वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी द्वारा दो साल की बच्ची पर बनाई गई फिल्म ‘पिहू’ अगले महीने की 16 तारीख को रिलीज हो रही है. लेकिन फिल्म के ट्रेलर ने हर ओर धूम बचा दिया है. इसे दस घंटे में वन मिलियन लोगों ने देखा. ताजी स्थिति ये है कि 4 मिलियन व्यूज की ओर ये ट्रेलर अग्रसर है. ये खबर लिखे जाने तक 35 लाख से ज्यादा लोग ट्रेलर देख चुके हैं.
आखिर दो मिनट के ट्रेलर में ऐसा क्या है जो हर कोई इसकी चर्चा कर रहा है. इंडियन एक्सप्रेस ने तो इस फिल्म के ट्रेलर के आधार पर ही एक लंबी स्टोरी पब्लिश कर दी है जिसमें पैरेंट्स को बताया गया है कि वे अपने छोटे बच्चों को इमरजेंसी हालात के लिए कैसे व क्यूं ट्रेंड करें. यूट्यूब पर पिहू का ट्रेलर वायरल होने के बाद इसकी खबर गूगल पर ट्रेंड करने लगी.
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और बिग भी ट्रेलर देखने के बाद ट्वीट किए बिना नहीं रह सके. जाने माने एक्टर मनोज बाजपेयी ट्वीट कर कहते हैं- पूरी फिल्म में सिर्फ दो साल की बच्ची, और कुछ नहीं. मेरे लिए और भारतीय सिनेमा के लिए ये शायद एक ख़ास फिल्म है। स्वरा भास्कर, अनि शर्मा समेत दर्जनों अभिनेताओं, अभिनेत्रियों, निर्देशकों ने फिल्म के ट्रेलर को देखने के बाद ट्वीट किया है.
इस फिल्म को लेकर पत्रकार Satyandra Kumar Yadav फेसबुक पर लिखते हैं :
जरा सोचिए । घर में मां और 2 साल की बेटी हों । किसी कारण से मां बेसुध पड़ी हो या उसकी मौत हो जाती है । तो 2 साल की मासूम बंद कमरे में कैसे रहेगी ? वो क्या क्या करेगी ? भूख लगेगी तो खाना कैसे खाएगी… जब मां नहीं उठेगी तो उसके अंदर कैसे भाव आएंगे ? वो किसको बुलाएगी ? पापा की कॉल आते ही मोबाइल जमीन पर गिरकर बंद हो जाए… कोई पड़ोसी बहुत देर तक घर का दरवाजा ना खटखटाए… अगर नॉक भी करे तो घर के अंदर दरवाजा खोलने वाला कोई ना हो तो मासूम बेटी के साथ क्या होगा ? ऐसे तमाम सवालों का जवाब इस फिल्म में है । Vinod Kapri सर की फिल्म पीहू 16 नवंबर को आ रही है …. पहले ये ट्रेलर देखिए… फिर जब फिल्म आएगी तो एक बार जरूरत देखने की कोशिश कीजिएगा । ये आपको अंदर से झंकझोर देगी … । ये फिल्म इंटरटेनमेंट के लिहाज से मत देखिएगा.. ये आपको अपने बच्चों के प्रति सचेत करती है … और एक ट्रू स्टोरी है । Rohit Vishwakarma सर, बेटी ने बेहतरीन अभिनय किया है । इतनी कम उम्र के बच्ची से बेहतरीन अभिनय कराना आसान नहीं होता । विनोद सर को ढेर सारी शुभकामनाएं।
बिजनेस स्टैंडर्ड के पत्रकार Satyendra PS इस फिल्म के बारे में लिखते हैं :
पीहू फ़िल्म आ रही है। फ़िल्म के ट्रेलर देखने और थोड़ी बहुत चर्चा सुनने के बाद यह लग रहा है कि यह छोटे बच्चे की जिंदगी पर आधारित फिल्म है। क्या आपने कोई ऐसी फिल्म देखी है, जो किसी बच्चे की जिंदगी और बाल सुलभ हरकतों पर आधारित हो? मैं कम ही फ़िल्म देखता हूँ। मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखी है। कुछ कुछ बच्चों की फिल्में आती हैं लेकिन उसमें कोई किस्सा कहानी होता है, जो कोई वयस्क लिख देता है।
इस फ़िल्म का ट्रेलर देखने पर ऐसा लग रहा है कि एक शैतान बच्चा जिस तरह घर में बदमाशियां करता है, उसको ही फ़िल्म में ढाल दिया गया है। मैं अपने बेटे गांधीजी की हरकतें अक्सर फेसबुक पर डालता रहता हूँ। आज गोरखपुर के लिए निकल रहा हूँ। यही वह महीना था जब पिछले साल गांधी जी छत पर से छलांग लगाकर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। मैं भी उनके साथ लगातार भर्ती रहा और पूरा घर तबाह। बस यूं समझिए कि मेडिकल कॉलेज में मेरे एक रिश्ते के मामा जी ने ऑपरेशन कर दिया, गांधी जी को सुरक्षित कर दिया और मुझे आर्थिक रूप से तबाह होने से बचा लिया। वरना छत से गिरने के बाद गांधी जी का हाथ टूटा, दांत टूटा और पेट के अंदर स्प्लिन फट गई थी!
ऐसे में फ़िल्म के ट्रेलर में बॉलकनी से बच्ची के गिरने की कोशिश करते देखकर सब कुछ तरोताजा हो गया। फ़िल्म मुझे भी देखनी है। मुझे लगता है कि और लोगों को देखनी चाहिए और बच्चों को भी दिखानी चाहिए, क्योंकि ऐसी फिल्में बनती नहीं हैं। मुझे इसलिए भी देखनी है कि बाल मनोविज्ञान और बाल सुलभ हरकतों को फ़िल्म में कैसे पिरोया गया है। आखिर मैं भी तो गांधीजी के बारे में लिखता ही रहता हूँ। (डिस्क्लेमर- मेरा इस फ़िल्म में कोई स्टेक नहीं है। मेरा लिखा हुआ फ़िल्म का प्रचार न माना जाए। यूं ही जैसे फेसबुक पर लिखता रहता हूँ वैसे ही लिख दिया है। इसलिए कि लिखने का मन कर दिया।)
देखें ट्रेलर…
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