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उत्तराखंड

हरिद्वार के कई टीवी पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज

न्यूज़ नेशन और ईटीवी न्यूज़ के पत्रकार आशु शर्मा, उनकी साथी पत्रकार वंदना गुप्ता और संचित ग्रोवर के खिलाफ गंभीर धाराओं में कनखल थाने में हुआ मुकदमा दर्ज…

324 394 504 और एसटी एससी एक्ट के तहत होगी कार्यवाही.. हरमीत इंदौरिया मामले में न्याय की जगी आस..

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हरिद्वार सिंह द्वार क्षेत्र में 31 मई की रात 9:30 से 10:30 के बीच हरमीत इंदौरिया पर तथाकथित पत्रकारों द्वारा अपने कुछ गुंडे साथियों के साथ जानलेवा हमला किया गया था. इसमें दलित समाज के हरमीत इंदौरिया गंभीर रूप से घायल हुए थे. वह मरते-मरते बचे थे.

इस हमले में खुद को न्यूज़ नेशन और ईटीवी भारत का पत्रकार बताने वाले आशु शर्मा, उनकी सहयोगी वंदना गुप्ता और उनका एक साथी संचित ग्रोवर अपने 8-10 साथियों के साथ शामिल हुए थे. ये लोग सिंह द्वार के समीप नहर पटरी पर हरमीत इंदौरिया पर जानलेवा हमला करने की नीयत से पहुंचे थे. जैसे ही इन लोगों को नहर पटरी के समीप हरमीत इंदौरिया अकेले में मिले, इन सभी हमलावरों ने हरमीत इंदौरिया को जातिसूचक शब्द कहे और मां बहन की गाली गलौज करने के साथ उन्हें मारना पीटना शुरू कर दिया.

इन हमलावरों में से ही किसी व्यक्ति ने उनके सर पर धारदार हथियार से वार किया जिसकी वजह से हरमीत इंदौरिया बेहोश होकर गिर पड़े.

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यह मामला इससे पहले सिंह द्वार पर हुई एक पुरानी घटना से जुड़ा हुआ है.

4 अप्रैल को एक रिटायर्ड अध्यापक योगेंद्र पाल राठौर से रिश्वत मांगी गई. उनके द्वारा रिश्वत ना देने पर तथाकथित पत्रकारों ने उनके साथ मारपीट की. मारपीट में न्यूज़ नेशन और ईटीवी भारत के तथाकथित पत्रकार आशु शर्मा हिंदुस्तान अखबार के तनुज वालिया और ए एन आई के पत्रकार जहांगीर मलिक शामिल थे. इन लोगों ने पहले रिटायर्ड अध्यापक से रिश्वत के नाम पर खर्चा पानी मांगा. जब रिटायर्ड अध्यापक ने किसी भी प्रकार का कोई पैसा देने से मना कर दिया तब पत्रकार आशु शर्मा व इनके अन्य साथियों ने रिटायर अध्यापक पर थप्पड़ बरसा दिए.

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इसकी शिकायत पीड़ित द्वारा कनखल थाने में दर्ज कराई गई. रिटायर्ड अध्यापक के साथ हुई मारपीट के चश्मदीद गवाह हरमीत इंदौरिया थे. उनकी गवाही देने से यह सभी हमलावर काफी नाराज चल रहे थे. वह उनको डरा धमका भी रहे थे. 31 तारीख की रात को हरमीत इंदौरिया को जब इन्होंने अकेला पाया तब उन पर तथाकथित पत्रकारों द्वारा जानलेवा हमला किया गया. उनका मोबाइल और नकदी भी लूट ली गई. इसकी शिकायत डीजीपी देहरादून को की गई थी.

डीजीपी देहरादून ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत एसएसपी हरिद्वार को इसकी जांच के आदेश दिए. यह जांच 2 जून को सौंपी गई थी. 26 जून को यह जांच पूरी हुई. यह जांच तेजतर्रार आईपीएस सीओ सदर विशाखा द्वारा की गई. जांच में शिकायतकर्ता के सभी तथ्य सही पाए गए. इसके तहत दिनांक 27 जून की रात्रि को डीजीपी और एसएसपी के आदेश पर थाना कनखल में मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

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इस कार्यवाही से पीड़ित हरमीत इंदौरिया, पीड़ित रिटायर्ड अध्यापक और हरिद्वार वासियों को न्याय के प्रति आस जगी है. हरमीत इंदौरिया के लिए न्याय की इस लड़ाई में शहर के तमाम सामाजिक संगठन जैसे वाल्मीकि महासंघ, भीम आर्मी भी शामिल रहे.

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