अमर उजाला कानपुर से सात इस्तीफे

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अमर उजाला कानपुर से बीते महीनों में एडिटोरियल स्टाफ के सात कर्मचारियों ने इस्तीफा देकर दूसरे संस्थानों में ज्वाइन कर लिया है। अभी कई और लोग जाने की तैयारी में हैं। सूत्रों ने बताया कि अगले हफ्ते दो से तीन और इस्तीफे हो सकते हैं।

इस्तीफा देने वालों की बात करें तो खेल और कल्चरल बीट में बेहतर पकड़ रखने वाले पुलकित तिवारी ने जनवरी अंत में इस्तीफा देकर जी मीडिया ज्वाइन कर लिया। उसके बाद संपादक की फटकार से तंग आकर कानपुर साउथ में अमर उजाला की पहचान कहे जाने वाले महेश प्रताप सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया।

मार्च मध्य में दिव्यांश सिंह जिनकी खबरें अमर उजाला के कैंपस पेज पर छाई रहती थी, उन्होंने इस्तीफा देकर कानपुर में ही दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के साथ नई पारी शुरू की है। वहीं बीते लगभग साढ़े 3 साल से अप कंट्री डेस्क पर काम कर रहे आशुतोष मिश्रा ने भी इस्तीफा देकर दैनिक जागरण का हाथ थामा है।

आशुतोष को कानपुर में जिला प्रशासन आरटीओ की रिपोर्टिंग का धुरंधर माना जाता है। इन्होंने कानपुर में अवैध असलहे और राजा हिंदू सिंह के किला बिकने समेत कई हार्ड न्यूज को ब्रेक किया है।

अपकंट्री डेस्क से संजय पांडेय और सुबोध शुक्ला ने अमर उजाला से अपनी पारी को समाप्त करके दैनिक जागरण कानपुर में नई पारी शुरू की है।

इससे पहले डिजाइनर शैलेंद्र सिंह भी वर्क लोड से परेशान होकर इस्तीफा दे चुके हैं वह अमृत विचार में अपनी सेवाएं दे रहे हैं‌।

इसके अतिरिक्त अगर अपकंट्री ब्यूरो की बात करें तो औरैया से सुमित, कानपुर देहात से विकास‌ और कन्नौज से धंधे समेत लगभग 10 से ज्यादा इस्तीफे हो चुके हैं। अमर उजाला कानपुर से लगभग 2 साल पहले इस्तीफा देकर ऐश्वर्या द्विवेदी के जाने के बाद संस्थान को कोई फीमेल रिपोर्टर भी नहीं मिल रही है। यहां इस्तीफों की झड़ी लगने के बाद से कईयों को वीक ऑफ मिलना बंद हो गया है।

यह है इस्तीफे होने का कारण
अमर उजाला में काम कर रहे संवाद न्यूज़ एजेंसी के कर्मठ पत्रकारों को अमर उजाला में स्टाफर ना बनाया जाना इस्तीफे का प्रमुख कारण है। इसके अलावा स्टाफ की कमी से एक वर्कर पर दो से तीन वर्कर का लोड भी यहां के लोगों को परेशान कर रहा है।

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Comments on “अमर उजाला कानपुर से सात इस्तीफे

  • दिनेश कुमार says:

    यहां से अभी कुछ और इस्तीफे होंगे। पुराने संपादक ने इस यूनिट का माहौल ही कुछ बना दिया था कि यहां बेहतर काम करने वाले लोगों के लिए माहौल नहीं रह गया है। अब चाटुकारिता करने वाले पुराने कर्मचारी ही यहां काबिज हैं और नए संपादक को वो अपने इशारे पर चला रहे हैं। इसके अलावा ‘लखनऊ’ से भी कई लोग संचालित हैं और वो अखबार को नई बुलंदियों तक ले जाना चाहते हैं। अपकंट्री डेस्क पर कई लोग लखनऊ के इशारे पर यहां माहौल दुरस्त करने में लगे हुए हैं।

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