एक खलनायक संत से ब्रेकिंग न्यूज़ में 7 दशकों की ‘निर्भीक पत्रकारिता’ वाले अमर उजाला को डर लगता है… कहते हैं मीडिया ना सच दिखाता है ना झूठ दिखाता है.. वो जो हो, वो ही दिखाता है. पर आज स्थिति बहुत ही भयावह है। जो कुछ मुझे लगा और मैने देखा, शायद आपने भी वही देखा हो. रामपाल पर आरोप लगे. बरवाला आश्रम में हुडदंग को हमने देखा. आपने भी. पर क्या आपने देखा की अगले ही दिन लगातार बिना रुके न्यूज़ आती रही.
रामपाल के आश्रम से बहुत कुछ मिला जिसकी पुष्टि हुई. पिछले सात दशकों से निर्भीक जर्नलिज्म के नाम से बुलंद आवाज़ अमर उजाला एक अधर्मी संत से डर गया. ये संत वही है जिन्होंने हरियाणा सरकार से लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को चुनौती दी थी. इनका नाम है संत रामपाल. हालांकि संत को लेकर जो परिभाषा है, रामपाल उसमें कहीं भी फिट नहीं बैठते. हरियाणा में इन्हें लेकर आज से कुछ साल पहले यानी अगस्त 2014 में जो नाटक हुआ वो देश ही नहीं बल्कि दुनिया देख चुकी है.
इस हरियाणा संत के आचरण के बिलकुल खिलाफ इनके ढंग देख कर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इन पर देशद्रोह का मुकद्दमा चल रहा है. संत का चोला लेकर रामपाल भले जेल में हों लेकिन उनके कथित गुंडे अब उस मीडिया पर हमला कर रहे हैं जिस मीडिया ने उनके अधर्मी संत को बेनकाब किया. उसी मीडिया ने जी न्यूज़ में काम कर रहे एक पत्रकार को खो दिया. अब एक बार फिर रामपाल के इन अंधभक्तों ने देश के नामी मीडिया हाउस को टार्गेट किया है.
खबर है कि अमर उजाला डाट काम ने रामपाल के खिलाफ एक खबर को चला दिया.. इस खबर में अधर्मी रामपाल का कच्चा चिटठा पूरी तरह से खुल गया. रामपाल को लेकर कुछ शब्दों से उनके गुंडे इस कदर खफ़ा हुए कि देखते ही देख सात दशकों की निर्भीक पत्रकारिता धरी रह गई. हरियाणा में रोहतक यूनिट में रामपाल के गुंडे हथियारों के साथ धमक पड़े… इसके बाद हरियाणा की राजधानी में इस ग्रुप के ऑफिस में सिक्यूरिटी बढ़ा दी गई… मीडिया हब के नाम से मशहूर नोएडा के अमर उजाला मुख्यालय पर रामपाल के गुंडे धरना देने लगे. रोहतक से मिली जानकारी के मुताबिक़ रामपाल की खबर पर मुहर लगाने के लिए उनके समर्थकों के ढेरों फोन कॉल काफी थे..
अमर उजाला के चंडीगढ़, रोहतक, नोएडा में फोन कॉल से खबर पर ढेरों प्रतिक्रियायें आयीं. रोहतक में रामपाल के समर्थकों ने अमर उजाला को एक धर्म विशेष का एजेंडा चलाने तक की बात कह दी. यही नहीं, रोहतक में आकर संत रामपाल के खिलाफ साजिश करने का अमर उजाला को हिस्सेदार बता दिया गया. इसके बाद रामपाल को लेकर अमर उजाला के मालिक ने सभी खबरों को रुकवा दिया. अगले दिन सुबह मीटिंग हुई तो पता चला रामपाल के खिलाफ सिर्फ कुछ शब्दों का इस्तेमाल हुआ, जिसे लेकर रामपाल के कथित गुंडे अमर उजाला पर सीबीआई जांच करवाने की मांग को लेकर खबर खरीदना चाहते थे.
अमर उजाला ने रामपाल के खिलाफ ‘अय्याश’ शब्द का इस्तेमाल किया.. इससे उनके अंधभक्त भड़क गए.अब सवाल है कि क्या एक शब्द को लेकर ही डील थी… या कुछ और… संत रामपाल का कच्चा चिट्ठा खुला तो रामपाल को नायक समझने वाले उनके अंधभक्त लाल हो गए… टीवी चैनल एबीपी न्यूज़ के ‘सनसनी’, आजतक के ऑपरेशन ‘गुंडागर्दी’ में जिस तरह रामपाल को बेनकाब किया गया, उससे अंध भक्तों को फर्क नहीं हुआ लेकिन जैसे ही अमर उजाला ने रामपाल को लेकर एक न्यूज़ ब्रेक की, सबकी हवा निकल गई…
अमर उजाला को मिली धमकियों के बाद ग्रुप में भारी उथल पथल मच गया है… खबर को लेकर जहां सम्मान होना था वहां अमर उजाला को अपने ही पत्रकार पर एक्शन लेना पड़ा. बिना किसी जांच, बिना किसी बहस, और बिना किसी खबर के अपने होनहार पत्रकार को अमर उजाला ने एक झटके में किनारा कर लिया… पत्रकारिता में ये आज के बाजारू दौर में आम हो चला है कि सच्ची खबर लिखने वाले पत्रकार को ही दबा दिया जाए… होना तो ये चाहिए था कि इस पत्रकार को मुहर और सम्मान मिले… लेकिन इसकी जगह पत्रकार को ही दबा दिया गया.. खबर पर मैनेजमेंट में एडिटर कोई सफाई नहीं दे पाए… इस मामले में नोएडा ऑफिस में एक चाटुकारिता करने वाले जनाब फंसे तो मामला उलझ गया… अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में सालों से बैठे धुरंधर इसे खेलने लगे… मीडिया की गन्दी वाली राजनीति में अपनी कुर्सी बचाने के लिए सब कुछ खेल कर दिया गया….
अमर उजाला के मालिकान पत्रकारिता भूल गए… अपने ही पत्रकार को नोटिस थमा दिया.. अब अगर लोग कहते हैं कि पत्रकारिता क्रेडिबल न रही तो इसे क्या कहिये, इसका क्या करें? रामनाथ गोयनका ने एक रिपोर्टर को नौकरी से निकाल दिया था, जब उनसे एक राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा था कि आपका रिपोर्टर बड़ा अच्छा काम कर रहा है… यहाँ तो सटीक खबर को लेकर ही अमर उजाला अपने स्टाफ के खिलाफ हो गया.. खबर को लेकर की गई आलोचना हमारे लिए इज़्ज़त की बात है, लेकिन मीटिंग में कुर्सी बचाने का खेल खेलने वाले इस बात को नहीं समझेंगे.. ये उन लोगों को जवाब है जिन्हें लगता है कि अच्छी पत्रकारिता मर रही है और पत्रकारों को सरकार ने खरीद लिया है…. अच्छी पत्रकारिता मर नहीं रही, ये बेहतर और बड़ी हो रही है… हां, बस इतना है कि बुरी पत्रकारिता ज़्यादा शोर मचा रही है जो कुछ दशकों पहले नहीं मचाती थी.
इंडियन एक्सप्रेस में रामपाल को लेकर और उनके आश्रम का सच बताया गया है… टीवी चैनल में रामपाल को लेकर दिखाया गया रीयल ड्रामा सबको याद भी है.. सर्च के दौरान देशद्रोह व हत्या के आरोपी कबीरपंथी बाबा रामपाल के बरवाला (हिसार, हरियाणा) स्थित सतलोक आश्रम में महिला टॉयलेट में सीसीटीवी कैमरा लगा था…. इतना ही नहीं, कैमरे का मुंह भी टॉयलेट के अंदर की ओर था.. रामपाल खुद सिंहासन पर बैठता था और लिफ्ट से मंच पर प्रकट होता था… 5 लाख रुपए का मसाजर भी उसके कमरे से मिला था… इसके अलावा, कंडोम और अश्लील साहित्य भी बरामद किया गया था… ऐसी खबर के बाद भी अगर अमर उजाला ने रामपाल को अय्याश बना कर सवाल उठाया तो गलत क्या था… लेकिन अमर उजाला ने अपने ही पत्रकार का साथ नही दिया…
फैक्ट्स और सच्चाई के बाद भी अगर देश का तीसरा बड़ा मीडिया ग्रुप डर गया तो शर्मनाक है.. इस ग्रुप के सात दशकों की निर्भीक पत्रकारिता पर सवाल है… लगता है कि इस ग्रुप ने अपना कंटेंट वाला तेवर खो दिया है और केवल मार्केटिंग का धुन अलाप रखा है….रामपाल दूध के धुले हैं तो 2014 से लेकर 2017 तक जेल में किस आरोप में बैठे हैं…
BHAKT M PUN
June 26, 2017 at 6:28 am
Amar Ujala management is incompetent. Managing Director is a coward person. He is not deserving person.