बुन्देलखण्ड के टीवी रिपोर्टर मौरंग माफियाओं की कृपा से दो से तीन लाख महीना कमा रहे… दरससल जब से यूपी में खनन प्रक्रिया शुरू हुई है तब से नोएडा से लेकर लखनऊ के वरिष्ठों की निगाहें खनन वाले इलाकों पर टिक जाती हैं. निगाहें खबरों के लिए नहीं, वसूली के महारथी रिपोर्टर्स पर टिकती हैं.. एक यादवजी एक चैनल के लखनऊ संवाददाता हैं. ये किसी समय एक अन्य प्रादेशिक चैनल में हमीरपुर और जालौन के रिपोर्टर हुआ करते थे. खनन पट्टों से जबरदस्त वसूली के चलते चर्चित रहे. एक बड़े रीजनल पत्रकार के नेतृत्व वाले दौर में उस रीजनल चैनल से ये हटा दिए गए और फिर एक दूसरा चैनल ज्वाइन कर लिए लेकिन वहां से भी कुछ दिनों बाद हटा दिए गए.
बाद में बड़े रीजनल पत्रकार के दौर के अधिकतम लोकल रिपोर्टर्स या तो उनके साथ उनके नए खुलने वाले चैनल में चले गए या एक अन्य ब्रांडेड वेब चैनल में चले गए. कुछ को विवादों के चलते रीजनल चैनल से हटा दिया गया था. जो हटाए गए उनमें से कुछ ने बाद में दिल्ली से लखनऊ भेजे गए एक नए बड़े पत्रकार की दरबार में पहुंच बनाई. उसी दरबार में शकुनि की भूमिका निभा रहे यादव जी को काम मिल जाता है. खनन इलाकों हमीरपुर, बाँदा, जालौन, झाँसी आदि के रिपोर्टर्स से बड़े पत्रकार के नाम पर हर महीने की वसूली दिलाने का काम उन्हें मिलता है जिसे वह बखूबी निभाते हैं.
यादव जी ने बुंदेलखंड की कमान एक मिश्रा जी को दे रखी है जो बाँदा से त्रिपाठी जी और जालौन से एक अन्य त्रिपाठी जी से वसूली कर उस रकम को उपर तक पहुंचाता है. बुंदेलखंड में मिश्रा जी स्वतंत्र हैं. किसी भी खदान की खबर चलवाओ और महीने इंट्री बंधवाओ.
दरसअल बड़े रीजनल चैनल के ये रिपोर्टर खदान वालों से बुन्देलखण्ड में चैनल के नाम का प्रति खदान 20000 रुपया लेते हैं. हमीरपुर और जालौन के रिपोर्टर प्रमुखता से इस किरदार को निभा रहे हैं. इस तरह एक जिले से दो दो लाख रूपए महीना कमाने वाले ये रिपोर्टर खनिज विभाग और खदानों से मासिक माहवारी में लिप्त अधिकारियों की चाटुकारिता में लगे रहते हैं. लखनऊ के एक वरिष्ठ पत्रकार ने होटल ताज में खुले आम मीडिया के प्रमुख लोगों के सामने कहा था कि नए आए बड़े पत्रकार की पूरी लायजनिंग ये यादव जी ही देखते हैं. यादव जी की रहमत पर ही जालौन से त्रिपाठी को एक बड़े दलाल के माध्यम से चैनल में इंट्री मिली. जालौन में इस समय 13 खदानें चल रही हैं और हमीरपुर में 20. झाँसी में 26 और बाँदा में 54 जोड़ लीजिये. सोचिए, रीजनल चैनल के पत्रकार की मासिक सैलरी कितनी मिल रही है.
एक पट्टा धारक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि जालौन में एक पत्रकार जोड़ी वसूली में नंबर वन है. इनके माध्यम से ही लेनदेन होता है. यानि इन दोनों को त्रिपाठी का मुनीम समझिए. इसी तरह से दो मुनीम हमीरपुर में हैं. अगर चैनल मालिकान गोपनीय तरीके से पट्टों पर पहुंचकर जांच करा लें तो बुंदेलखंड में कोई भी खदान ऐसी नहीं जहा इन ईटीवी वालों का महीना न सेट हो.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.