सोमवार 4.30 बजे डीडी न्यूज़ की चौथी मंजिल पर कमरा संख्या 227 में दूरदर्शन समाचार के स्पेशल सेल में कार्यरत कुमार अविनाश की शनिवार 27 जून 2015 की रात हुई अचानक मौत पर शोक सभा का आयोजन किया गया था। ऑफिस के सभी अनुबंधित कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित हुए। डीडी न्यूज़ के निदेशक सतीश नम्बूंदरीपाद ने शोक सभा का आरंभ करते हुए दो मिनट का मौन धारण कराया। दो मिनट के मौनधारण के दौरान खडे अवस्था में ही कुछ बिन बोले सभी अधिकारी चलते बने। सभी उपस्थित अनुबंधित कर्मचारी अधिकारियों के इस रवैये से अवाक रह गए और एक सुर में उनका विरोध शुरु हो गया।
इसके बाद अशोक श्रीवास्तव के साथ कुछ और साथी डीडी न्यूज़ के डीजी वीणा जैन से मिलकर इस घटना पर रोष व्यक्त किया और फिर से शोक सभा में चलने को कहा। वीणा जैन और एडीजी दूरदर्शन मनोज पांडे ने आकर अनुबंधित कर्मचारियों से बात कर सफाई दी और समस्याएं सुनीं। क्रोधित अनुबंधित कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं से न सिर्फ डीजी वीणा जैन को अवगत कराया बल्कि उन्हें वर्षों से चली आ रही एचआर पॉलिसी न बनने की वजह भी जाननी चाही। वीणा जैन ने कहा कि उन्होंने अभी ज्वॉइन किया है। भरोसा कीजिए, सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा।
कुमार अविनाश सन् 2008 से दूरदर्शन समाचार में कार्यरत थे। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि दूरदर्शन न्यूज में एच आर पॉलिसी न होने की वजह से अनुबंधित कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की सामाजिक और स्वास्थ्य सुरक्षा मय्यसर नहीं हो पाती। इसी से समय-समय पर अनुबंध खत्म करने की धमकी प्रशासन की ओर से मिलती रहती है। पिछले लगभग तीन सालों से दूरदर्शन के अनुबंधित कर्मचारी बिना किसी अनुबंध पत्र के काम कर रहे हैं। बीते छह माह से दूरदर्शन समाचार में अनुबंधित कर्मचारियों की छंटनी की धमकी प्रशासन की ओर से मिलती रही है। जिससे अधिकतर अनुबंधित कर्मचारी तनाव से ग्रसित हैं। उनमें से एक नाम कुमार अविनाश का भी था।
इन सारी परिस्थितियों के बीच अनुबंधित कर्मचारिंयों ने एक प्रस्ताव पारित कर कुमार अविनाश के परिवार के लिए आर्थिक सहायता और उनकी पत्नी को संस्थान में उनकी शैक्षिणिक योग्यता के मुताबिक नौकरी के लिए प्रशासन से गुजारिश की। पत्र शोक सभा के दौरान ही डीजी डीडी न्यूज़ को देना चाहते थे, जिसकी भनक उनको पहले ही लग चुकी थी। इससे बचने के लिए डीजी, एडीजी और अधिकारियों ने शोक सभा में अपेक्षित समय नहीं दिया और वहां से चलते बने। इस तरह की प्रशासन की संवेदनहीनता शायद ही देश के किसी संस्थान में सुनने को मिली हो।
लेखक अरविंद शर्मा से संपर्क : [email protected]