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बलिया में सहारा के पत्रकार की हत्या के बाद आगरा के पत्रकारों ने इस अंदाज में जताया विरोध, देखें तस्वीरें

आगरा के शहीद स्मारक पर पत्रकारों ने दी श्रद्धांजलि, घर के किसी एक मेंबर को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपए मुआवजा दिलाने की प्रदेश सरकार से की मांग…

आगरा। उत्तर प्रदेश में आए दिन पत्रकारों पर हमले होते रहते हैं. इसके चलते यहां पत्रकारों का काम करना दुश्वार हो गया है. प्रदेश सरकार अपराधियो पर अंकुश नहीं लगा पा रही है. अभी हाल में ही कानपुर में हुई आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में प्रदेश सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए कई नामचीन बदमाशो के एनकाउंटर कर पुलिसकर्मियों की मौत का बदला लिया था। लेकिन जब भी पत्रकारों के ऊपर हमले की बात सामने आती है तो प्रदेश सरकार मौन हो जाती है.

बलिया में सहारा के एक पत्रकार की कुछ बदमाशो ने गोली मारकर हत्या कर दी. इससे आगरा में भी पत्रकारों में आक्रोश है. आगरा के पत्रकारों ने शहीद स्मारक पर एक जुट होकर मृतक पत्रकार को श्रद्धांजलि दी और प्रदेश सरकार से मृतक के परिवार से एक को सरकारी नौकरी व पचास लाख रुपए देने की मांग की है.

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बलिया निवासी रतन सिंह काफी लंबे समय से सहारा न्यूज़ में पत्रकार थे. उन्होंने अपनी ईमानदारी और मेहनत के बल पर पत्रकारिता में काफी अच्छी छवि बनाई हुई थी.

आगरा राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो प्रभारी समीर कुरेशी ने बताया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. बदमाश बड़ी अपराधिक वारदातों को अंजाम देने में लगे हुए हैं. प्रदेश में पत्रकार भी सुरक्षित नहीं हैं. आए दिन पत्रकारों के ऊपर हमले हो रहे हैं. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि बलिया में शहीद हुए पत्रकार के परिजनों में से एक को सरकारी नौकरी वह 50 लाख रुपए मुआवजे के बतौर दिए जाएं.

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इस दौरान पत्रकार अनुपम पांडे, शोबित चतुर्वेदी, पंकज गुप्ता , नितिन उपाध्याय, बिनीत दुबे, शिव चौहान, अनिल शर्मा, सय्यद शकील, संजय सिंह, मानवेन्द्र मल्होत्रा, पंकज गुप्ता, कपिल अग्रवाल, कमिर कुरेशी , हरीश कुमार, अनुज उपाध्याय, कामरान वरसी , शिवम प्रजापति, दीपक राठौर आदि शामिल रहे।

आगरा के पत्रकार गौरव अग्रवाल की टिप्पणी-

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मैं कभी कहता हूँ अडानी अम्बानी कितने पत्रकारो को बेरोजगार करा सकते है । कितनो की सरकार के सहारे हत्या करा सकते है बेरोजगार करा सकते है नौकरी छीन सकते है । देख लो आगरा के पत्रकारो का विरोध। अब कितनो की नौकरी खाओगे। यह ध्यान रखना जितना पत्रकार बेरोजगार उतनी सरकार की फजीहत। नृशंश हत्या, झूठे मुकदमे, जेल भेजना, नौकरी छीनकर आत्महत्या के लिए प्रेरित करना करो। आगरा के प्रदर्शन के लिए सिर्फ इतना कहूंगा- पत्रकार एकता जिंदाबाद।

मूल खबर ये है-

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बलिया में टीवी पत्रकार की गोली मारकर हत्या

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