मैं खुद कोअसुरक्षित और असहज महसूस कर रही हूं, अकेली महिला होना दुर्भाग्य हो गया है : सुमन
वाराणसी। भदैनी के जिस मकान में बचपन बीता जहां रहते हुए शिक्षा हासिल की और आज अखबार में नौकरी शुरू की सुख-दुख के पल बिताए, मेरे पिता अपने अंतिम समय तक यही रहे। यही से उनको अंतिम विदाई दी, आज उसी मकान पर दबंगों भूमाफिया ने ताला लगा रखा है।
इस काम को योजनाबद्ध तरीके से लाक डाउन में अंजाम दिया गया। इससे पहले भी इस तरह के प्रयास किए गए थे। कभी दरवाजा बाहर से बंद कर दिया जाता था तो कभी बेहद घटिया और अश्लील शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है।
मैं अपनी मां के साथ रहती हूं। 80 साल की मेरी बीमार मां को मेरी फ्रिक लगी रहती है। मैं उन्हें हर दिन समझाती तो हूं कि सब ठीक है लेकिन इन दिनों मैं खुद डरी हुई हूं। यकीन मानिए मैं खुद को असुरक्षित और असहज महसूस कर रही हूं। मेरे साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी मां को कौन देखेगा?
आज अखबार में वरिष्ठ उपसंपादक के पद पर कार्यरत सुमन द्बिवेदी की इन बातों को न हल्के में लिया जा सकता है और न ही नजर अंदाज ही किया जा सकता है। हालांकि पुलिस उनका पक्ष सुनने को तैयार नहीं है। सुमन बताती हैं कि बीते अप्रैल सम्पूर्ण लाक डाउन था। दोपहर के समय मैं अपने अखबार के कार्यालय में थी। तभी मोबाइल पर फोन आया कि आपके घर पर कुछ लोग कब्जा कर रहे हैं। उस तपती हुई दोपहर मैं कार्यालय से निकली। कोई तीन चार किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंची तो वहां मौजूद लोगों ने मेरे साथ बदतमीजी की।
इसके बाद जो हुआ मेरे लिए अकल्पनीय था। चौकी इंचार्ज के पास शिकायत की तो उन्होंने अशोभनीय तरीके से बात की। चौकी इंचार्ज अपनी गाड़ी से मौके पर पहुंचे और मैं उनके पीछे पैदल। वहां वही लोग मौजूद थे जिन लोगों ने कुछ देर पहले ही बदतमीजी की थी।
मेरे सामने उन्ही लोगों से चौकी इंचार्ज ने मेरी तरफ इशारा कर कि पूछा इसे जानते हो। उन लोगों ने कहा कि हमने इसे पहले कभी नहीं देखा तो मैंने कहा आप खुद मेरे हमलावरों से मेरी पहचान करवाएंगे, ये फर्जी लोग हैं। इस पर चौकी इंचार्ज ने कहा कि इनसे माफी मांगिए। मैंने कहा कि मैं किस बात की मांगूं? घटना को तीन महीने हो गए, पर मेरे हक में कुछ भी नहीं है! किस-किस बात की माफी मांगूं। मैं खुद के लिए इंसाफ मांगूं या माफी? या फिर सबसे बड़ी माफी इस बात के लिए मांगू कि मैं एक महिला हूं। कोई बता सकता है, ऐसे में मुझे न्याय कब और कितने दिनों में मिलेगा?
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बनारस से भास्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट.
मूल खबर-
Ajai Singh Singh
July 22, 2020 at 1:04 pm
यूपी में पत्रकार ही क्यों पुलिस के निशाने पर…? सरकार का कोई निर्देश है या फिर योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने की साज़िश…? कुछ तो गड़बड़ है। मोदी जी के निर्वाचन क्षेत्र में भी पत्रकारों पर कहर…? पहले एक बुजुर्ग पत्रकार और अब महिला पत्रकार का उत्पीड़न…?