राय तपन भारती-
पटना में दूरदर्शन के डायरेक्टर रहे पी एन सिंह भी नहीं रहे। 4 दिन पहले इकलौती संतान का भी निधन हुआ था।
भाई पीएन सिंह न केवल मेरे पड़ोसी थे बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे।। कोरोना से पहले इकलौता बेटा आलाप गया और चार दिन बाद वे खुद। हम सबने एम्स के डाक्टरों से उन्हें बचाने की गुहार की पर सब निरर्थक रहा। हे ईश्वर, उन दोनों की आत्मा को शान्ति दें।
ओमकारेश्वर पांडेय- I am going…. ये तीन शब्द आज मेरे वाट्सएप्प पर तीन बजकर 53 मिनट पर चमके, तो कलेजा सिहर उठा। मैसेज बीमार पी एन सिंह का था। तत्काल फोन वापस लगाया तो उधर से चिर-परिचित आवाज़ पीएन सिंह की थी। लड़खड़ाती आवाज़ में वे बोले – सबको बता दीजिए पांडे जी, मैं जा रहा हूं। मैं कुछ कहता इससे पहले, फोन काट दिया और फिर नहीं उठाया….. देर शाम दिल का दौरा पड़ा और रात 11.53 पर उनके निधन की पुष्टि हो गयी।
करीब 10 दिनों से वे कोरोना से पीड़ित थे। हालत गंभीर हुई तो झज्जर एम्स में भर्ती कराया गया। हरसंभव इलाज हुआ। लेकिन चार दिन पहले जब उनका इकलौता बेटा आलाप कोरोना के कारण गुजर गया, तो वे हिम्मत हार गये। यह कोरोना शायद उनके पड़ोसी परिवार के कोरोना ग्रस्त सदस्य से उनके घर आया।
बहुआयामी प्रतिभा के धनी पी एन सिंह दूरदर्शन के गलियारे में सुपरिचित नाम तो थे ही, वह एक कवि, संगीतकार, नाटककार, शोधकर्ता, प्रस्तुतकर्ता / एंकर, और सबसे बढ़कर एक मृदु भाषी इंसान थे। दूरदर्शन में एक निर्माता और निर्देशक होने के साथ साथ टेलीविजन प्रोडक्शन एंड मैनेजमेंट के अलावा चैनल प्रबंधक के रूप में भी उन्होंने कुल मिलाकर 26 साल तक काम किया और इस दौरान विभिन्न प्रारूपों में 2000 से अधिक टीवी कार्यक्रमों का निर्माण किया।
वे डीडी-नेशनल, डीडी-मेट्रो और डीडी-भारती में वरिष्ठ प्रबंधन के पद पर रहे। दूरदर्शन का रांची केंद्र और पटना केंद्र खोला। 2003 से मीडिया मार्केटिंग में भी रहे और 2003 में डीडी के राजस्व को 21 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2010 में Rs.260 करोड़ तक का अद्भुत ग्राफ पहुँचाने में योगदान रहा।
दो साल पहले डी डी से रिटायर होने के बाद से वे कुछ फिल्म निर्माण और प॔ सुरेश नीरव के अखिल भारतीय सर्व भाषा साहित्य समन्वय समिति के मंच से जुड़कर साहित्य सेवा में लगे हुए थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, बहू और सवा साल की एक पोती है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दें।