
यशवंत सिंह-
जाने क्यों, बहुत अशुभ मोड में चला गया है अपना देश!
जो है सरकारी… चाहें जितने हों भारी…लुढ़क रहे बारी-बारी…
मूर्ति, ट्रेन, पुल, होर्डिंग… सब ध्वस्त हो रहे हैं…
माहौल में कुछ तो गड़बड़ है भैये…
नई संसद से संबंधित त्रुटिपूर्ण वास्तु / खनन या सेंगोल की जग चुकी आत्मा / रूह… कुछ तो है…
मैंने पहले सारी घटनाओं को अलग अलग लिया… फिर थोड़ा गहरे ध्यान में उतरा तो एक कनेक्शन बना…
ग्रह नक्षत्र कुपित हैं… राष्ट्र के पुरखे नाराज़ हैं…
इशारा है कि जनता को झेलना होगा…
आइये हम सब प्रार्थना करें, हमें हमारी ग़लतियों के लिए माफ़ करो ऋषियों…
अब सोचो सब लोग हमने क्या ग़लतियाँ की हैं?
और हाँ, ऐसे वक़्त में जो जहां है, दुबके रहे, अंदर पश्चाताप पैदा करे… अनर्थ को रोकने का माध्यम बनने में थोड़ा मदद प्रदान करे… जैसा पहले बहुत कुछ झेला, इन संकटों से झेल जूझ कर निकलेगा देश, लेकिन भारी क़ीमत चुका कर… !
महादेव शांति!
