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भास्कर में एजेंट ही समाचार का काम देखेंगे, इस नई नीति से ढेर सारे पत्रकार हुए बेरोजगार

आदरणीय,

अभिवादन स्वीकार करें.

निवेदन करना चाहूंगा कि रायसेन जिले के बरेली में दैनिक भास्कर, भोपाल के लिए स्ट्रिंगर के रूप पांच वर्ष से कार्यरत हूं. अब यह तय हुआ है कि भास्कर में एजेंट ही समाचार का काम देखेंगे. यह संपूर्ण मध्यप्रदेश में किया गया है. इसके पीछे कंपनी की सोच यह बताई जा रही है कि रिपोर्टर पर केवल खर्च होता है, जबकि एजेंट कमाकर भी देते हैं. इस तरह मेरी सेवाएं करीब-करीब समाप्त हैं.

<p>आदरणीय,</p> <p>अभिवादन स्वीकार करें.</p> <p>निवेदन करना चाहूंगा कि रायसेन जिले के बरेली में दैनिक भास्कर, भोपाल के लिए स्ट्रिंगर के रूप पांच वर्ष से कार्यरत हूं. अब यह तय हुआ है कि भास्कर में एजेंट ही समाचार का काम देखेंगे. यह संपूर्ण मध्यप्रदेश में किया गया है. इसके पीछे कंपनी की सोच यह बताई जा रही है कि रिपोर्टर पर केवल खर्च होता है, जबकि एजेंट कमाकर भी देते हैं. इस तरह मेरी सेवाएं करीब-करीब समाप्त हैं.</p>

आदरणीय,

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निवेदन करना चाहूंगा कि रायसेन जिले के बरेली में दैनिक भास्कर, भोपाल के लिए स्ट्रिंगर के रूप पांच वर्ष से कार्यरत हूं. अब यह तय हुआ है कि भास्कर में एजेंट ही समाचार का काम देखेंगे. यह संपूर्ण मध्यप्रदेश में किया गया है. इसके पीछे कंपनी की सोच यह बताई जा रही है कि रिपोर्टर पर केवल खर्च होता है, जबकि एजेंट कमाकर भी देते हैं. इस तरह मेरी सेवाएं करीब-करीब समाप्त हैं.

मेरी शैक्षणिक योग्यता प्राचीन इतिहास और दर्शनशास्त्र में एमए है और 1985 से सक्रिय पत्रकारिता करता रहा हूं. इसमें भोपाल में साप्ताहिक हिंदी हेराल्ड, नवभारत और दैनिक भास्कर का कार्यकाल और आकाशवाणी के समाचार एकांश के लिए जिले की चिट्ठी शामिल है. पारिवारिक कारणों से बरेली आने के बाद यहां भी निरंतर सक्रिय बना रहा हूं. अचानक मौखिक आदेश से दैनिक भास्कर के लिए काम कर रहे मेरे जैसे तमाम लोग बेरोजगार हो गए हैं.

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धन्यवाद सहित!
सत्य नारायण याज्ञवल्क्य
जवाहर कॉलोनी, बरेली
जिला रायसेन. मप्र
[email protected]

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0 Comments

  1. आनंद शर्मा शिमला।

    September 4, 2015 at 12:26 pm

    कारपोरेटपरस्त मीडिया को केवल ब्लैकमेलियों या मंत्रियों, अधिकारियों के तलुए चाटने वाले लोगों से मतलब रह गया है। लिखने- पढ़ने वाले पत्रकार उनके लिए किसी काम के नहीं रह गए। यही कारण है जो अब पत्रकारिता भी पत्रकारिता नहीं रह गई। पता नहीं तथाकथित मीडिया की यह भांडगिरी कब तक चलेगी।

  2. Ek wachak

    September 5, 2015 at 5:47 pm

    Maharashtra dainik bhaskar ke divya marathi news paper main badalija rahi karmchariyoki post.karmchariyoke computer se nikale jarahe software.

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