हेमलता अग्रवाल ने ‘भास्कर न्यूज’ नामक कथित न्यूज चैनल पर लांच होने से पहले ही ताला लगवा दिया. इनके दत्तक पुत्र राहुल मित्तल पूरा जोर लगा कर भी चैनल नहीं चला पाए. अब हेमलता का पूरा ध्यान समीर अब्बास पर है जिन्होंने नया मालदार निवेशक लाने का वादा किया है. आईबीएन7 से भास्कर न्यूज गए समीर अब्बास नए निवेशक तलाश रहे हैं. चर्चा है कि नए निवेशक को पटाने मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं. एकाध के पटने की भी खबर है. भास्कर न्यूज अब किसी दूसरे आफिस से चलेगा ताकि पुराने लेनदार न टपक पड़ें और नए निवेशक को सब्जबाग दिखाने में आसानी हो. देनदारियों से पीछा छुड़ाने के लिए भास्कर न्यूज प्रबंधन अब अपने पुराने स्टाफ और पुराने आफिस से पीछा छुड़ाने की फिराक में है.
इसी साजिश के तहत कल भास्कर न्यूज के न्यूज रूम में ताला लगा दिया गया और मीडियाकर्मियों को घुसने सो रोक दिया गया. देखते ही देखते सैकडो़ं मीडियाकर्मी इकट्ठे हो गए और नारेबाजी करने लगे. इन्हें समझाने जब समीर अब्बास नीचे आए तो इन मीडियाकर्मियों ने उन्हें दौड़ा लिए. उसके बाद फिर दुबारा समीर अब्बास ने आंदोलित मीडियाकर्मियों के सामने शकल नहीं दिखाई. भास्कर न्यूज प्रबंधन ने कई महीनों की तनख्वाह हड़प रखी है और अब मीडियाकर्मियों से कहा दिया है कि चैनल स्लीपींग मोड में रहेगा इसलिए आफिस आने की जरूरत नहीं है. लेकिन मीडियाकर्मी आफिस आए और जब ताला लगा देखा व उन्हें घुसने से रोका गया तो नारेबाजी करने लगे.
कई भास्कर न्यूज कर्मियों ने प्रबंधन के खिलाफ लेबर कोर्ट में लिखित शिकायत की है. लेबर कोर्ट भास्कर न्यूज मैनेजमेंट के अराजक, अगंभीर और शोषणकारी रवैये से सख्त नाराज है. जल्द ही भास्कर न्यूज प्रबंधन के खिलाफ आदेश पारित होने की संभावना है. दरअसल हेमलता अग्रवाल झूठ बोलने में उस्ताद हैं. वह करीब दर्जन भर बार सेलरी देने के लिए डेट तय करा चुकी हैं लेकिन जब सेलरी देने का दिन आता है तो फिर एक नया झूठ गढ़ने लगती हैं. कई महीनों की तनख्वाह हड़प चुकीं हेमलता अग्रवाल इस कोशिश में हैं कि पुराने स्टाफ और पुराने आफिस से पीछा छूटे और फिर से नए नाम नए आफिस और नए स्टाफ के जरिए दूसरों को फंसाने और पैसा हड़पने का धंधा शुरू किया जा सके.
ताजी सूचना है कि सैटेलाइट का पैसा न दिए जाने के कारण चैनल अपलिंकिंग डाउनलिंकिंग का एग्रीमेंट एकतरफा तौर पर निरस्त किया जा चुका है और भास्कर न्यूज की स्क्रीन पूरी तरह काली हो चुकी है. भास्कर न्यूज नाम भी किराए का है. मूल नाम चैनल का एपीएन है. एपीएन को किराए पर लेकर भास्कर न्यूज नाम से चलाया जा रहा है. चर्चा है कि एपीएन को भी किराए का लाखों रुपये नहीं दिया गया है जिसके कारण वह भी अब भास्कर न्यूज से अपना लायसेंस छीन रहा है. ऐसे में देखना है कि अब कौन सा नया निवेशक आकर करोड़ों रुपये इन लोगों पर स्वाहा करता है. कहा जा रहा है कि पुराने निवेशकों और फ्रेंचाइजी लेने वालों के करोड़ों रुपये दबा लिए गए और उन्हें कागजों पर खर्च दिखा दिया गया. कर्मचारियों को भले घाटा हुआ हो लेकिन चैनल प्रबंधन से जुड़े लोग तो पूरी तरह फायदे में हैं.
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Deepak Gupta
December 7, 2014 at 7:56 am
आंखिर ये हो ही गया…. धरातल पे मेहनत कर ख़बरें बना के भेजने वाले मजदूरों को, जब उनका मेहनताना न मिले तो दिल से निकली हुई बद्दुआ तो लगती ही है मालिक.. खुद ऐश करो कर्मचारी के पेट में लात मारो…. ठीक ही हुआ कई और भाई, बिरादर, शोषित होने से बच जायेंगे…. दिल को तसल्ली तो मिली…. सजा जरूर मिलती है.
jarnalist
December 7, 2014 at 4:23 pm
bilkol deepak bhai ap ne shi kha jb tk rahull mittal jase dallal media mai hai tb tk esa hota rhaga aur unka chmcha bhi hai jinki wjhe se bhaskar doob gya