Connect with us

Hi, what are you looking for?

बिहार

पत्रकारों के लिए ज़रूरी है बिहार विधान मंडल के चार धामों की परिक्रमा करना

Bihar assembly

बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में खबरों के चार अलग-अलग केंद्र हैं। ये राजनीतिक सत्‍ता व चर्चा के भी केंद्र हैं। इसे सुविधा के लिए पत्रकारों ने नाम रख दिया है चार धाम। दोनों सदनों में दो-दो धाम हैं। इसके अलावा भी कुछ धाम हैं, लेकिन उनकी कोई खास अहमियत नहीं है।

Bihar assembly

Bihar assembly

बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में खबरों के चार अलग-अलग केंद्र हैं। ये राजनीतिक सत्‍ता व चर्चा के भी केंद्र हैं। इसे सुविधा के लिए पत्रकारों ने नाम रख दिया है चार धाम। दोनों सदनों में दो-दो धाम हैं। इसके अलावा भी कुछ धाम हैं, लेकिन उनकी कोई खास अहमियत नहीं है।

पत्रकारों ने इन धामों का नामकरण भी कर रखा है। इसमें दो धाम विधान सभा में हैं। पहला है जीतू धाम। यानी मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी का कक्ष। खबरों के लिहाज से यह धाम सबसे ताकतवर माना जाता रहा है। नीतीश राज में इसकी महिमा अपरंपार थी। लेकिन मांझी राज में इसकी महिमा भी कम हुई और आकर्षण भी कम हुआ है। पत्रकारों की बैठकी भी आमतौर पर कम लगती है। लेकिन सीएम का चैंबर होने के कारण खबरों का केंद्र तो माना ही जाता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दूसरा धाम हैं नंदू धाम। यह नेता प्रतिपक्ष नंद किशोर यादव का कार्यालय है। यह भी खबरों का केंद्र है। कार्यवाही के दौरान पत्रकारों की बैठकी यहां भी लगती है। भाजपा में सीएम पद के उम्‍मीदवार को लेकर चर्चा शुरू होने के बाद इसकी महिमा भी बढ़ गयी है। चाय से अपना नाता जोड़कर नंदू जी ने सीएम पद के दौड़ में अपनी दावेदारी जता दी है। फिर प्रतिपक्ष का नेता होने के कारण इस तरह की अपेक्षा अप्रत्‍याशित भी नहीं है।

तीसरा धाम है मोदी धाम। यह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील कुमार मोदी का चैंबर है। सत्‍ता के स्‍वागत की सबसे ज्‍यादा बेचैनी यहीं दिखायी पड़ती है। सुशील मोदी को भी सत्‍ता का स्‍वाभाविक दावेदार माना जाता है। वह भाजपा विधायक मंडल के नेता भी हैं। सरकार पर हमला की रणनीति यहीं तैयार होती है। सरकार पर सबसे ज्‍यादा आक्रमण भी यहीं से होता है। पूर्व उपमुख्‍यमंत्री के नाते भी उनका महत्‍व बढ़ जाता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चौथा धाम है सुशासन धाम। यह विधान परिषद की आचार समिति के सभापति व पूर्व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार का चैंबर है। खबरों के लिए सबसे प्रमुख केंद्र यही है। वजह साफ है कि सत्‍तारूढ़ दल जदयू के नीति नियंता भी यही हैं। विपक्षी हमले का शिकार भी नीतीश ही होते हैं। सरकार के एकमेव पक्षकार व प्रवक्‍ता भी यही हैं। जब भी सुशासन धाम से बारह निकलते हैं, खबरों का कोई न कोई पटाखा छोड़ जाते हैं और फिर चैनल वाले उसे दाल की तरह घोटते रहते हैं। इतना ही नहीं, राजनीतिक खबरों का पूरा फोकस उनके बयान के आसपास ही होता है।

विधानमंडल का पांचवां धाम है भूतहा धाम। यह धाम पत्रकारों का मजमा है। दोनों सदनों के गेट पर दिनभर मजमा लगा रहता है। कैमरा वालों को देखकर मंत्री, विधायक, विरोधी सभी भूत के तरह बयान देने लगते हैं। परिसर में ओझा के ओटा के तरह नेताओं के लिए भी ओटा बना हुआ। दर्जनों माइक रखे गए हैं। सदन में घुसने से पहले विरोधी दल वाले जेल में कैदी के तरह पत्रकारों के समक्ष अपनी हाजिरी लगाते हैं। तख्‍ती लेकर दिखाते हैं। अब तो सदन के अंदर हाजिरी लगाने की परंपरा शुरू हो गयी है। सदन की कार्यवाही के प्रसारण के कारण विपक्षी पार्टी वाले वहां भी कैमरे के सामने वेल में आकर हाजिरी लगाते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुल मिलाकर पत्रकारों के लिए यह आवश्‍यक हो गया है कि सभी धामों का परिक्रमा कर लें, ताकि कोई खबर छूट न जाए। सदन की रिपोर्टिंग के अलावा धामों की यात्रा भी करना भी आवश्‍यक हो गया है।

 

Advertisement. Scroll to continue reading.

पटना निवासी वीरेंद्र कुमार यादव बिहार में कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement