ये यूपी मॉडल का रामराज है. बेटी से विधायक के घर में दुष्कर्म हो, इसकी खबर छापने पर पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो. पूरा पुलिस प्रशासन मिलकर विधायक को बचाने में जुट गया है क्योंकि विधायक जी सत्ताधारी पार्टी के हैं. पुलिस व प्रशासन के अफसरों ने भले ही ट्रेनिंग में न्याय दिलाने और अन्याय न होने देने की शपथ ली हो पर वे जनता के पैसे से मिल रही सेलरी से जो ड्यूटी निभा रहे हैं उसमें उनका पहला काम बलात्कारियों को बचाना हो गया है, सच्चाई को उजागर करने वाले पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करना हो गया है.
फतेहपुर के पत्रकारों को बहुत सारा सलाम है जिन्होंने इस विकट दौर में भी पुलिस प्रशासन नेता सियासत के आगे घुटने न टेके और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए मुखर होकर आवाज उठा रहे हैं…. सच लिखने कहने पर मुकदमा दर्ज होना दरअसल ये सच्ची पत्रकारिता का सम्मान है, सच्ची पत्रकारिता को मेडल है…
पिछले दिनों भड़ास पर इस प्रकरण से जुड़ी खबर तो प्रकाशित की गई थी लेकिन उसमें पत्रकारों के नाम और पत्रकारों पर क्या क्या धाराएं लगाई गई हैं, वे सब डिटेल नहीं थे. आज मेल पर कुछ साथियों ने फतेहपुर से संबंधित घटना की खबर की कटिंग और एफआईआर की कॉपी भेजी है…
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इस बीच पता चला है कि इस मामले में कई प्रमुख अखबार व टीवी चैनलों के प्रतिनिधि विधायक और जिला प्रशासन के सामने दंडवत हो गए हैं। कुछ तो नंबर बढ़ाने के लिए प्रशासन और विधायक से ये डील तक कर बैठे हैं कि न झुकने वाले पत्रकारों पर कुछ और फर्जी मुकदमे लाद दिए जाएं। ये भी सूचना है कि जिला प्रशासन ने पुलिस व लेखपालों को मौखिक निर्देश दिया है कि कहीं से कुछ भी अवैध कब्जा जैसा निकाल कर लाइये। सलाह देने वाले कथित पत्रकारों की रोजी रोटी भी प्रशासन के रहमो करम पर चलती है। ये नमक अदायगी है। फिर भी क्रांतिकारी पत्रकार अडिग हैं।
मेल में कुछ प्रमुख अखबारों के प्रकाशन की कटिंग है। लेकिन इन सब पर नामजद मुकदमा नहीं है। मुकदमा बहुत सोच समझकर लिखाया गया है जिसमें विभिन्न समाचार पत्रों का जिक्र है। इसका डर दिखाकर सबका मुँह बंद करने की कोशिश की गई है। परिणामस्वरूप लगभग इन सबने मौका देख बंद कमरे में पैर छूकर माफी भी मांग लिए हैं। जिला प्रशासन तिलमिलाया हुआ है। फर्जी मामले भी बनाने की जुगत में है।
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