शीतल पी सिंह-
भारत के डेढ़ सौ साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि जनगणना अपने तय कार्यक्रम से बार बार निलंबित की जा रही है। देश में महामारी आईं,अकाल पड़े लेकिन जनगणना हमेशा तय अंतराल पर होती रहीं। अंग्रेजों ने भारतीय प्रशासनिक ढांचे में इतनी सामर्थ्य तो पैदा कर ही दी थी जिसका असर अब तक रहा।
लेकिन अब पृथ्वीराज चौहान के बाद पहले हिंदू नरेश के सिंहासनासीन होने के बाद भारतीय प्रशासन बार बार जनगणना के कार्यक्रम को स्थगित कर रहा है।
जनगणना देश के संचालन के जरूरी आंकड़े जुटाने का इकलौता और अनवरत आधारभूत ढांचा है। इसकी अनुपस्थिति में विकास योजनाओं का तखमीना बिठाना अंधेरे में तीर चलाने जैसा है लेकिन लग रहा है कि हम सचमुच तीर धनुष युग में लौट चुके हैं !
