Nadim S. Akhter : सास बहू और साजिश…फिर आया सास बहू और बेटियां…फिर इसके आगे क्या…सास बहू और? Charul Malik आज तक छोड़कर इंडिया टीवी जा रही है. सास-बहू का कोई एक घंटे का शो बनना है शायद. एक वक्त था, जब दोपहर में स्टार न्यूज (अभी का एबीपी न्यूज) सास बहू और साजिश दिखाता था. फिर आज तक चैनल ने कम्पिटिशन में मिलते-जुलते नाम सास बहू और बेटियां (पता नहीं लोग हटकर नाम भी नहीं सोच सकते) से शो लॉन्च किया.
तब इंडिया टीवी अलग ही मूड में था. उसने तो बाकायदा कई दफा चैनल पर घोषणा की थी (जहां तक मुझे याद है) कि जब दूसरे इंटरटेनमेंट और सास-बहू दिखाते हैं, तब हम न्यूज दिखाते हैं. सो न्यूज देखना है तो इंडिया टीवी पर ट्यून कीजिए. अब वही इंडिया टीवी इंटरटेनमेंट की तरफ बढ़ चुका है. सुन रहा हूं कि टीवी के पर्दे वाली सास-बहू स्टोरी अब चारूल के नेतृत्व में नई गति-नए आयाम प्राप्त करेगी. बढ़िया है. वैसे चारूल से कभी मिला तो नहीं, लेकिन वो हैं टैलेंटेड. सीरियस न्यूज की दुनिया से चुलबुली इंटरटेनमेंट की दुनिया में उनका शिफ्ट जबरदस्त रहा है. इसके लिए Supriya Prasad बधाई के पात्र हैं. उन्होंने ही चारूल को आज तक पर इतना बड़ा ब्रेक दिया (मेरी जानकारी के मुताबिक) और फिर चारूल छा गईं. एबीपी न्यूज की सास-बहू वाली स्टार एंकर अदिति अरोड़ा सावंत के मुकाबले उन्होंने आज तक पर एक अलग छवि गढ़ी.
वैसे टीवी न्यूज चैनलों पर सास-बहु सीरियल्स की खबरें भी दिखाई जा सकती हैं, इसके आइडिएशन का क्रेडिट एबीपी न्यूज के (तब के स्टार न्यूज) सर्वेसर्वा शाजी जमा को जाता है (मेरी जानकारी के मुताबिक). उन्होंने ही सबसे पहले इस तरह के कार्यक्रम की शुरुआत की, जो दर्शकों को काफी पसंद आया. फिर क्या था. दूसरे टीवी न्यूज चैनलों में भी दोपहर को (जो महिलाओं का viewership time माना जाता है) सास-बहू वाले इंटरटेनमेंट प्रोग्राम्स की शुरुआत हो गई. तब IBN7 चैनल ने भी सास-बहू वाला राग छेड़ा और Atika Ahmad Farooqui उसे होस्ट करती थीं. (जहां तक मुझे याद है)
सास-बहु सीरियल-टीवी के कॉमेडी-डांस शोज को काट-छांटकर दिखाने का ये चस्का इतना पॉपुलर हुआ कि सिर्फ नैशनल ही नहीं, रीजनल न्यूज चैनलों ने भी अपनी प्रोग्रामिंग में बदलाव किए और चटपटे नामों वाले ऐसे शोज तैयार किए. और सभी ने इसे दिखाने का वक्त दोपहर में ही रखा.
खैर, भारतीय टीवी दर्शकों को सास-बहू के एक और तड़के का और स्वाद चखाने की कोशिश में लगे इंडिया टीवी को शुभकामनाएं. अब देखना ये है कि इस बार प्रोग्राम का नाम रखने में क्रिएटिविटी का इस्तेमाल होता है या फिर पहले वाला पैटर्न दुहराया जाता है. यानी. हमें -सास बहू और साजिश- तथा -सास बहुू और बेटियां- सीरीज से छुटकारा मिलेगा या फिर एक स्ट्रैटिजी के तहत इंडिया टीवी भी -सास बहू और ??? – के नाम से एक नए प्रोग्राम का आगाज करेगा !!!
वैसे एक बात बताऊं. टीवी न्यूज चैनलों की प्रोग्रामिंग में भेड़चाल बहुत है. कोई शो हिट हुआ नहीं कि उससे मिलते-जुलते या फिर ठीक वैसे ही शोज दूसरे चैनल लॉन्च कर देते हैं. मुझे याद है. तब मैं न्यूज 24 में था और सुप्रिय प्रसाद तथा सुभाष कदम के नेतृत्व में हिंदी टीवी न्यूज इंडस्ट्री का 100 खबरें देने वाला पहला शो यानी -न्यूज शतक- लॉन्च किया गया था. इसके तहत सिर्फ 15 मिनट में 100 खबरें देनी थीं. ये एक चैलेंजिंग काम था क्योंकि 100 खबरों के लिए विजुअल जुटाना भी आसान नहीं था. हिसाब-किताब लगाकर इसे संभव किया गया और ये शो हिट रहा. इसके बाद तो दूसरे चैनल भी भेड़चाल में लग गए.
लगभग सभी अग्रणी चैनलों ने कम समय में ज्यादा खबर देने के इस फॉर्मेट को अपनाया और 100 खबर देने के प्रोग्राम उनकी प्रोगामिंग लिस्ट का हिस्सा बन गए. कुछ चैनल तो अलग कर गुजरने में -मूर्खता- की हद को पार कर गए. वे 200 खबर देने का फॉर्मेट ले आए. फिर इसी फार्मेट को तोड़कर दिखाने की कोशिशें शुरु हुईं. यानी 5 मिनट में 25 खबर देख लो. 10 मिनट में 50 खबर देख लो आदि-आदि. मेरी समझ से 200 खबर दिखाने में लोचा ये रहा कि आप खबरों की इतनी हद से ज्यादा bombardment इतनी जल्दी-जल्दी कर देते हैं कि दर्शक खबर को समझे, उसे आत्मसात करे, इससे पहले ही बुलेट की रफ्तार से वह खबर रफू-चक्कर हो जाती है. लेकिन ठीक है. ऐसे प्रोग्राम भी चले- चल रहे हैं.
तो बात हो रही थी टीवी न्यूज के पर्दे पर आ रहे सास-बहु के नए तड़के की. कुछ नया और अलग देखने का हम सब को इंतजार रहेगा. और मुमकिन है कि इस प्रोग्राम की शुरुआत के बाद सास बहू साजिश और बेटियां वाले भी अपने कंटेंट के फॉर्मेट में कुछ बदलाव करें. फिलहाल तो इंतजार कीजिए.
टीवी पत्रकार रहे और इन दिनों मीडिया शिक्षण से जुड़े नदीम एस. अख्तर के फेसबुक वॉल से.