Ram Janm Pathak : हम तुम्हें निकालेंगे, मगर जब तुम अपनी यश पताका फहरा दोगे तो हम तुम्हें नवाजेंगे। वे अनिल को पहले धक्के मारकर नौकरी से निकाल देंगे मगर जब वे अपनी प्रतिभा साबित कर चुके हैं तो सम्मानित भी करेंगे।
अनिल को चाहिए इस सम्मान को नकार दे। यह बड़ी जीत होगी। गंदे संपादकों के खिलाफ। गंदे मालिकों के खिलाफ। पुरस्कारों के मसीहाओं को पता चलना चाहिए कि वे किसके गुरु वशिष्ठ हैं। यह मेरी बात है। अब रही पुरस्कार की बात।
Anil Yadav
अनिल यादव को “सोनम गुप्ता बेवफा नहीं है” पर अमर उजाला का एक लाख रुपए का “छाप सम्मान” मिला है। वह अब लखपति हो गया है। इसके लिए अनिल को बहुत बहुत बहुत बधाई। अमर उजाला के मतिमंद संपादकों ने अनिल को वहां से हटाने में महती अनुकंपा की थी। उन्हें भी साधुवाद। अनिल हमारी पीढ़ी का सबसे ज्यादा उजड्ड, बोहेमियन और उदास मगर स्वाभिमानी लेखक है।
उसे इन दिनों सम्मान से ज्यादा पैसों की बहुत सख्त जरूरत होगी। हालाँकि उसके पास पैसे होना खतरे से खाली नहीं। वह पैसे का कुछ भी कर सकता है, कुछ भी। किसी महंगे होटल में पार्टी देने, किताब खरीदने, किसी भिखारी के साथ बैठकर शराब पीने समेत कुछ भी कर सकता है। पैसे की निरर्थकता और सार्थकता से वह पूरी तरह वाकिफ है।
अमर उजाला अपने सम्मान की विश्वसनीयता बनाए रखने में फिलहाल कामयाब होता दिख रहा है। शायद इस परिकल्पना के पीछे यशवंत व्यास की सोच है। उन्हें भी बधाई। उनसे ज्यादा बधाई अमर उजाला को, जिसने उन पर विश्वास किया, अगर ऐसा है तो…!
वरिष्ठ पत्रकार रामजनम पाठक की फेसबुक वॉल से.