Sandeep Gupta-
कल रात में सरकार ने आमजनों की छोटी बचत वाली स्कीमों की ब्याज दरों में कटौती कर दी थी। आज सुबह जब सरकार जागी तो उसको पता चला कि अरे ये तो चुनाव का समय है। सुबह उठते ही सारा दोष “oversight” शब्द पर मढ़ते हुए सरकार ने ये फैसला वापस ले लिया। चुनाव है तो पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम भी नहीं बढ़ रहे हैं। एक बार चुनाव जाने दीजिए भाजपा अपना अनर्थशास्त्र फिर से लागू करेगी।
Samar Anarya-
चुनाव ही नहीं, वाटर टेस्टिंग भी है! ये सरकार ऐसे ही करती है! पिछले महीने सिलेंडर का दाम 150 रूपया बढ़ा के इस महीने 10 रूपये कम कर दिया. बीच चुनाव बचत खातों पर ब्याज घटाने से उपजे गुस्से को देखकर गुजरात सल्तनत ने आदेश वापस ले लिया है. प्याज़ न खाने वाली इसलिए प्याज के दाम से बेफिक्र रहने वाली निर्मला सीतारमण को आगे करके बोला है कि गलती से आदेश जारी हो गया था.
पहली बात कि अगर सरकार ऐसे ‘गलती’ से आदेश जारी कर देने वाले चला रहे हैं तो देश का भगवान ही मालिक है. दूसरे कोई गलती वलती है नहीं। गुजरात सल्तनत ऐसे ही टेस्ट लेती है कि कितना खून चूसने तक जनता उफ़ उफ़ नहीं, जरा और जरा और करेगी। चुनाव बाद रेत देगी। तीसरे- ये एक साल में ब्याज दर में दूसरी कटौती थी- पिछले साल जून में भी मध्य वर्ग का गला रेता था- 0.70 से 1.4% तक की कटौती की थी.
इसी पर दो शेर मुलाहिज़ा फरमाएं:
उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें
चाकू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिये– दुष्यंत कुमार
शब को मय ख़ूब सी पी सुब्ह को तौबा कर ली
रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई – जलील मानिकपूरी
उपरोक्त कमेंट्स इस पोस्ट पर आए हैं-
Vijay Shanker Singh-
विकास का एक और मास्टर स्ट्रोक… जब यह सवाल पूछा जाता है कि, कैसे अडानी और अम्बानी की हैसियत जब पूरे देश की जीडीपी माइनस 23.9 % पर आ गयीं थी, तो दिन दूनी और रात चौगुनी गति से बढ़ रही है, तब सरकार के सनर्थको को इसमे भी मास्टरस्ट्रोक नज़र आता है, और वे अपनी तमाम मुसीबतों को भूल कर अडानी औऱ अम्बानी जैसे गिरोही पूंजीपतियों के इस असामान्य हैसियत बढोत्तरी के बारे में ऐसे ऐसे तर्क लेने लगते हैं, जैसे वे इनके सीए हों !
सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर व्याज घटा दिया है और यकीन जानिये, अगले अगले एक दो साल में यह व्याज और घटेगा और फिर सरकार कहेगी कि, व्याज का कम या अधिक होना, सरकार नही बाजार औऱ बैंकिंग आवश्यकताए तय करती हैं।
सभी तरह की निजी बचतों पर ब्याज की दर एक बार और घटा दी गई हैं। सीनियर सिटीजंस भी इससे मुक्त नहीं हैं। ब्याज कम और महंगाई ज़्यादा। ब्याज दरें विदेशों के समान हैं। यह कहा जायेगा कि, अमेरिका में तो यही सिस्टम है, पर यह नहीं कोई कहेगा कि, अमेरिका में सोशल सिक्योरिटी उनके नागरिकों को बहुत है।
जीपीएफ हो या पीपीएफ, दोनो ही वेतनभोगी समाज की प्रिय अल्प बचत योजनाएं रही हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि इसमे निवेश कीजिये और लम्बे समय तक भूल जाइए। अच्छा व्याज मिलता है और घरेलू दायित्व के समय अच्छी खासी राहत मिल जाती है। पर अब इनके व्याज भी कम हो गए हैं। व्याज में यह कमी तीसरी बार की गयी है।
लम्बे समय से दुनियाभर के कामगारों ने जो अपने अधिकार अर्जित किये थे, 8 घन्टे काम के, नियमित वेतन वृद्धि के, नौकरी की जगह पर बेहतर जीवन के वे सब इस जनविरोधी सरकार ने, एक एक कर खत्म कर दिए। अब 8 घँटे नहीं 12 घँटे काम होगा। कहते हैं एक दिन के बजाय तीन दिन अवकाश मिलेगा। ओवरटाइम पर भी उसका वेतन कम मिलेगा।
इसी के साथ Rama Shankar Singh जी की यह पोस्ट पढ़े–
अच्छे दिनों का एक और मास्टर स्ट्रोक! बैंकों डाकखानों में सभी तरह की निजी बचतों पर ब्याज की दर एक बार और घटा दी गई हैं। सीनियर सिटीजंस भी इससे मुक्त नहीं हैं। ब्याज कम और महंगाई ज़्यादा। जो विदेशों में ब्याज दरें हैं उसके बराबर आ गई। कर्मचारियों के प्राविडेंट फंड समेत सभी बचतों का ब्याज भी शायद इस रामराज्य में तीसरी या चौथी बार घटाया गया है।
मंदिर तो बन रहा है, कश्मीर में प्लॉट ख़रीद लिया होगा आपने, किसानों की आमदनी अगले साल तक दुगुनी कर ही देंगें !
बेरोज़गार अब बचे नहीं सात साल में १४ करोड़ को रोज़गार दे चुके हैं। रहने को स्मार्ट सिटी मिल रही हैं। लोग इतने संतुष्ट हैं कि देश में आना जाना नहीं कर रहे लिहाज़ा ट्रैन बंद करनी पड़ी थी। मुल्ले सब टाइट हैं।
सैंकड़ों साल से धीरे धीरे लड़ लड़ कर जो श्रमिक अधिकार मिले थे परवरदिगार ने वे सब मज़दूर अधिकार काट दिये , १२ घंटे काम करने का नियम बना दिया है। ओवरटायम करो पर मिलेगा कम ही। फ़ैक्ट्री मालिक की मौज कर दी।
विपक्षी पस्त हैं। मनगढ़ंत खबरें चलवा कर नागरिक मानने लगे हैं कि पाकिस्तान त्राहिमाम कर रहा है। चीन को हमारी ताक़त पता चल गई है और दुम दबाये बैठा है। बाबा लोग बलात्कार कर प्रवचनों के लिये बरी हो रहे हैं।
सात साल में इतना कुछ हो गया लेकिन देश की काहिल जनता विकास माँगती ही रहती है और साहेब को हर चुनाव में वोट माँगना ही पड़ता है। नालायक स्वार्थी कहीं के।
ये टिप्पणियां भी पढ़ें-
Soumitra Roy
सोशल मीडिया पर हुई थू-थू के बाद मोदी सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर की कटौती वापस ले ली है। बोलिए, अन्याय का विरोध कीजिए। सरकार को झुका दीजिए।
Anil Ghige
पाच राज्यों के चुनाव पर परिणाम होने के डर से फैसला वापस लिया गया है. जून जुलाई में कटौती तय है…
Kanak Tiwari
जानबूझकर आदेश निकाला। जानबूझकर वापस लिया ताकि बता सकें हम जनता से झुकते हैं। हमको वोट दीजिए ।
Pravin Kumar
Social media नहीं बल्कि चुनाव। social मीडिया तो किसान आंदोलन में भी सक्रिय है, क्या हुआ?
Amresh Dwivedi
वो भी रातों-रात। बेशर्मी यह कि गलती से आदेश जारी हो गया।
गुलशन कुमार अरोड़ा
ढीठ सरकार है, 2 मई के बाद यही आदेश दोबारा लागू होगा
Pushp Kulshrestha
गलतफहमी है, किसान आंदोलन …?कितना शोशल मीडिया पर था..क्या हुआ..???
Manish Kumar Yadav
शायद 2 मई के बाद आर्थिक सुधारों के लिए ये कदम उठाया जाएगा
Suparna Dasgupta
चुनाव के खत्म होने तक टाले गए शायद
Vikas Sharma
घण्टा नई झुकी सरकार वो तो चुनाव थे बस इसलिए वो भी बंगाल के चुनाव जहां लोग इन सब मामलों को लेकर बड़े जागरूक रहते हैं । गोबर पट्टी में होते तो चुनाव तो ये निर्णय वापसी सम्भव ही नहीं थी
Rakesh Kumar
याद आ गया कि चुनाव है।
Skand Kumar Singh
कर्मचारी, मजदूर ड़ूब मरो। पहले DAकी तीन किस्त सीज। अब फन्ड पर ब्याज कम। इसमें कोरोना बारियर्स से लेकर फौज पुलिस डाक्टर सब हैं। सब चुप्प।
Anand Jat
भाई चुनाव बाद ये फ़ैसला भी लागू हो हाई जायेगा
Rakeshnarayan Mathur
अभी सिर्फ ट्वीट आया है…वोटिंग चल रही है…आदेश वापस नहीं होगा
Soumitra Roy
Finance Minister Nirmala Sitharaman on Thursday said the government will roll back a steep interest rate cut on small saving schemes such as PPF and NSC — saying it was an ‘oversight’.
Rakeshnarayan Mathur
will roll back…………not…..cancelled the order
Mahendra Pratap
चुनाव के कारण इस क्वार्टरली में रोक दिया है । 2 मई के बाद व्याज में कमी फिर कर देंगी निर्मला आंटी ।
Vikram Pratap
टाइमिंग गलत थी चुनाव जो चल रहे हैं
Deepak Sachdeva
5 राज्यों के चुनाव है
Mukhtar Khan
विधानसभा चुनाव के बाद फिर मुमकिन है
Rakander Kumar
बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी। चुनाव बाद करेगे
Kumkum Mishra
जी देखा था सुबह न्यूज़ मे कह रही थी कि गलती से मिस्टेक हो गाय है
Nirbhay Lodh
इस जुमलाबाज को हजारों तरीके की नौटंकी की जानकारी है ये उनमें से एक है
Rajeev Singh
April 1, 2021 at 9:27 pm
वित्त मंत्री ने अपनी सफ़ाई में कहा है कि छोटी बचत वाली योजनाओं के ब्याज में कटौती का आदेश ‘भूल’ से जारी हो गया। राज्यों में जब चुनाव चल रहे हों उस दरमियान कटौती का आदेश को रणनीतिक भूल ही कहा जाएगा। वित्तमंत्री के ‘भूल’ शब्द से मुक्तिबोध याद आते हैं-
भूल गलती
आज बैठी है ज़िरह- बख्तर पहनकर
तख़्त पर दिल के,
चमकते है खड़े हथियार उसके दूर तक,
आँखें चिलकती हैं नुकीले तेज पत्थर सी,
खड़ी हैं सिर झुकाए
सब क़तारें
बेज़ुबा बेबस सलाम में,
अनगिनत खंभों व मेहराबों-थमे
दरबारे आम में।