Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

बाइडेन अब नाटो और भारत जैसे गैर नाटो देशों को कभी मदद का यकीन नहीं दिला पाएंगे!

सौमित्र रॉय-

ईश्वर युद्ध की रचना इसलिए करता है, ताकि अमेरिकियों को दुनिया के भूगोल का पता चले।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मार्क ट्वेन की इस उक्ति को रूस-यूक्रेन के मौजूदा युद्ध के बरक्स खूब अच्छे से आंका जा सकता है।

और कल रात यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेन्सकी के उस रुला देने वाले भाषण से भी, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके देश के साथ आज कोई नहीं खड़ा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हम भारतीयों को अपने शहर का भूगोल ही पता नहीं होता, लेकिन पकिस्तान का भूगोल कोई भी बता देगा।

यूक्रेन पर रूसी कब्ज़े के आलोक में 2 सवाल उभरे हैं- भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद के परिप्रेक्ष्य में भारत के साथ कौन खड़ा है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

यही सवाल अब ताइवान के सामने भी है। वह भी खुद को आज बहुत अकेला महसूस कर रहा होगा।

यूक्रेन पर रूसी हमले ने दुनिया की तमाम गोलबंदी और शक्ति संतुलन को बदल दिया है। अमेरिका पर कौन भरोसा करेगा, जो रूस और चीन से लड़ना नहीं चाहता?

Advertisement. Scroll to continue reading.

जैसे ही बाइडेन ने पिछली रात यह बात कही तो नैशडेक उछल गया। निवेशक लहालोट हो गए। खुद नाटो देशों की अमेरिकापरस्ती भी डगमग है।

हालांकि अमेरिका ने कहा है कि अगर रूस ने नाटो की ओर कदम बढ़ाए तो लड़ाई फैलेगी। क्या तब भी अमेरिका कूदेगा?

Advertisement. Scroll to continue reading.

चलिए दुनिया का भूगोल समझें-

रूस की समुद्री सीमा 36000 किमी है, लेकिन ज़्यादातर तट 6 महीने जमे रहते हैं, सो भूमध्य सागर इकलौता व्यापारिक जलमार्ग है, जहां यूक्रेन फंस रहा था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

याद कीजिये 2013-2014 में पुतिन के उस बयान को जिसमें उन्होंने कहा था- किसी स्प्रिंग को उसकी हद तक दबाओगे तो वह दोगुना उछलेगा।

यूक्रेन का तट काला सागर को भूमध्य सागर से जोड़ता है और सालभर खुला है। 2010 में हुए चुनाव में यूक्रेन के पूर्वी हिस्से ने रूस का साथ देकर बगावत कर दी थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अगर यूक्रेन ने सिर्फ अपने पश्चिमी हिस्से के नाटो में शामिल होने की मांग पर रूस के मिजाज की अनदेखी की तो इसे समझदारी नहीं कहेंगे।

पुतिन अमेरिका और नाटो की इस चाल को बखूबी समझ गए कि यूक्रेन के बहाने रूस की घेराबंदी की जा रही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब यूक्रेन पर कब्ज़े के बाद भी रूस को बोसफोरस नहर का रास्ता पकड़ना होगा, जो नाटो देश तुर्की के नियंत्रण में है। उधर, अमेरिका ने रोमानिया में रूस का रास्ता रोकने की कोशिश शुरू की है।

बात सिर्फ़ यूक्रेन पर कब्ज़े की ही नहीं, बल्कि व्यापारिक रास्ते की भी है, जिसकी ज़रूरत रूस को अब आर्थिक प्रतिबंधों के बाद ज़्यादा होगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उसे कतई बर्दाश्त नहीं होगा कि तुर्की या रोमानिया में से कोई भी उसके रास्ते की रुकावट बने। फिर अमेरिका का रुख क्या होगा?

इस पूरी जंग में कौन जीता और कौन हारा? पुतिन अपनी जनता को समझा देंगे कि देश को घेरने और व्यावसायिक मार्ग बंद करने की कोशिश का जवाब देने के लिए उनके सामने और कोई रास्ता नहीं था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन बाइडेन नाटो और भारत जैसे गैर नाटो देशों को कभी मदद का यकीन नहीं दिला पाएंगे।

शक्ति संतुलन चीन और रूस के पास केंद्रित हो चुका है और दोनों अब साथ-साथ हैं। रूस का तेल, गैस, गेहूं, हथियार, खनिज- सब चीन खरीदेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भारत किसके साथ खड़ा होगा?

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement