दैनिक जागरण तो ‘ जागरण परिवार और करोड़ों पाठकों का पत्र ही नहीं मित्र भी’ के रूप में जाना जाता रहा है। ‘महान’ पत्रकार विष्णु त्रिपाठी ने ऐसा क्या कर दिया है कि वही अपने परिवार और पाठकों का शत्रु बनता जा रहा है। कर्मचारियों की प्रताड़ना की बात की जाए तो दैनिक जागरण प्रबंधन पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होना चाहिए, क्योंकि वह अपने कर्मचारियों से जबरन दस्तखत करा कर उन पर हमले करा रहा है।
…क्या महान संपादकजी पाठकों को यह बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट की खबर में उन्हें वाणिज्यिक खबर कहां से नजर आ गई। दूसरों के जेस्चर पोस्चर पर तो वह बड़ी टिप्पणी करते हैं, क्या कभी अपने गिरेबान में झांकना उनके संपादक धर्म का कर्तव्य नहीं है। मुझे मालूम है कि उनका संवाद वन-वे होता है। शायद इसीलिए अखबार अब वन वे (डाउन वर्ड) की ओर अग्रसर है। मित्र लगे रहो। दैनिक जागरण की विदाई करके खुद भी विदाई ले लो। संजय गुप्ता जी को आप भीख मंगवा कर ही दम लेंगे। मेरी भी शुभकामना आपके साथ है। बधाई हो दैनिक जागरण को बर्बाद करने की। दैनिक जागरण की जम्मू यूनिट को काला पानी कहा जाता है। जैसे राजाओं महाराजाओं के महल के एक भाग में काल कोठरियां हुआ करती थीं और उसी में बागियों को कैद करके रखा जाता था। ठीक उसी प्रकार दैनिक जागरण की जम्मू यूनिट को काला पानी कहा जाने लगा है, जहां सत्याग्रह करने वालों को प्रताडि़त करने के लिए भेजा जाता है।
काला पानी की बात आई तो पहले पानी पर ही चर्चा करते हैं। दैनिक जागरण की जम्मू यूनिट में पानी की जो व्यवस्था है, उसके लिए भूमिगत टैंक बनाया गया है। कार्यालय की फर्श का लेवल पूरे क्षेत्र से नीचे है। बताया जाता है कि कार्यालय का भवन बनते समय दैनिक जागरण के तारनहारों ने कमीशन खाकर लेबल ऊंचा कराया ही नहीं। अब बरसात में पूरे क्षेत्र का गंदा पानी कार्यालय में घुस जाता है, जो भूमिगत पानी के टैंक में चला जाता है। यही पानी कर्मचारियों को पीने के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
महाप्रबंधक महोदय का दावा है कि इस पानी को आरो के जरिये साफ किया जाता है, लेकिन कर्मचारी कहते हैं कि आरो सिस्टम में सिर्फ लाइट जलती है, वास्तव में वह काम नहीं करता। वहां जिस तरह से लोग बीमार हो रहे हैं, उससे कर्मचारियों की बात में दम लगता है। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि जम्मू यूनिट में असुविधाओं को कुछ इस तरह से परोसा जाता है कि कर्मचारी ऊब कर नौकरी छोड़ दे और उसे जबरन निकाल कर कानून हाथ में न लेना पड़े।
यहां यह बताना जरूरी है कि डीप बोरिंग कराकर संस्थान में पेयजल की व्यवस्था की गई थी, लेकिन बोरिंग में थोड़ी सी खराबी को महाप्रबंधक ने ठीक नहीं कराया और लाखों के खर्च पर कराई गई बोरिंग अब पूरी तरह से नष्ट हो गई है। संस्थान के कर्मचारी अब सप्लाई के पानी पर निर्भर हैं, जिसके स्वच्छ और स्वास्थ्यकर होने पर हमेशा संदेह बना रहता है। मजे की बात यह है कि अशुद्ध पानी की वजह से छपाई की प्लेट बनाने वाली मशीन की एक यूनिट ही खराब हो गई, जिसे ठीक कराने में बताया जाता है कि सात लाख रुपये खर्च हो गए, लेकिन अभी भी महाप्रबंधक के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है।
उधर, श्रीमान कपिल सिब्बल ने सहारा श्री की नैया डुबो दी है। अब दैनिक जागरण का नंबर है। लगता है संजय गुप्ताजी को जेल भेजे जाने का निमित्त महानुभाव कपिल सिब्बल ही बनेंगे। उनकी बहस में उनके पूर्व मंत्री पद का अहंकार जरूर गरजेगा। वह जो कानून मंत्री रह चुके हैं। गरीबों के विरोध में कानून से खेलने का शायद उन्होंने अपना हक समझ रखा है। धन्य हैं पूर्व मंत्री जी। गरीब जनता पर कहर बरसाने की कसम खा रखी है। उसी गरीब जनता की हाय ने कांग्रेस को खा लिया, अब और कितना विनाश चाहते हैं। क्या सब कुछ समाप्त कर देने का इरादा है। चलो बढि़या है, 28 को कोर्ट में मिलोगे तो पूछेंगे हाल।
(श्रीकांत सिंह के फेसबुक वॉल से)
Comments on “दैनिक जागरण प्रबंधन पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होना चाहिए”
kapil sibbal g…….purani kahabat ko dohra rhe hein……..ki.hum to dobenge sanam…tumko bi le dubeng,,,,,,,,,,,
sunaa hai inkaa himachal may bi bura haal hai