हिंदुस्तान के मीडियाकर्मियों के पदनाम और विभाग में वर्ष 2010 से फेरबदल की खबर !

नोएडा : मजीठिया मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक बार पुनः मुकरने की तैयरारी में दैनिक हिंदुस्तान प्रबंधन इन दिनो अपने यहां के मीडिया कर्मियों के सिर्फ तात्कालिक तौर पर विभाग और पदनाम के साथ खेल नहीं कर रहा, बल्कि कागजों में वर्ष 2010 से ही उन सभी मीडिया कर्मियों के पदनाम परिवर्तित कर रहा है, जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार मजीठिया बेजबोर्ड के लाभ के हकदार हो सकते हैं। 

देखते हैं, ‘मजीठिया’ से बचने को किस हद तक गिरता है जागरण

चलो करते हैं न्याय की बात। दैनिक जागरण का कार्मिक प्रबंधक रमेश कुमार कुमावत खुद प्रताड़ना का शि‍कार हो रहा है। यह मैं नहीं कह रहा हूं, ये साक्षात माननीय कुमावत जी के ही वचन हैं। मैं नोएडा के सेक्टर-छह स्थि‍त कार्यालय में पुलिस अधि‍कारियों से मिलने गया था कि वहां रमेश कुमार कुमावत जी से मुलाकात हो गई। वह मुझसे कहने लगे-भइया मुझे क्यों फंसा दिया।

दैनिक जागरण प्रबंधन पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होना चाहिए

दैनिक जागरण तो ‘ जागरण परिवार और करोड़ों पाठकों का पत्र ही नहीं मित्र भी’ के रूप में जाना जाता रहा है। ‘महान’ पत्रकार विष्णु त्रिपाठी ने ऐसा क्या कर दिया है कि वही अपने परिवार और पाठकों का शत्रु बनता जा रहा है। कर्मचारियों की प्रताड़ना की बात की जाए तो दैनिक जागरण प्रबंधन पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होना चाहिए, क्योंकि वह अपने कर्मचारियों से जबरन दस्तखत करा कर उन पर हमले करा रहा है।

‘कारवां’ मैग्जीन में प्रकाशित हुई जागरण मैनेजमेंट के शोषण और मीडियाकर्मियों के संघर्ष की कहानी

हिंदी समाचारपत्र ‘दैनिक जागरण’ प्रबंधन द्वारा संस्थान के मीडिया कर्मियों के शोषण और संघर्ष की कहानी अब आए दिन चर्चाओं में आ रही है। इसी क्रम में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अमल को लेकर उसके कर्मचारी विरोधी कदम पर संदीप भूषण ने ताजा सविस्तार टिप्पणी की है। ‘द कारवां’ (The Karavan) मैग्जीन में प्रकाशित पूरी कहानी हम साभार यहां अविकल रूप से प्रकाशित कर रहे हैं –

दैनिक ‘नव ज्योति’ के अखबारकर्मी भारी दबाव में

जयपुर। दीनबंधु चौधरी की ओर से शुरू किया गया दैनिक नव ज्योति का जयपुर संस्करण बंद होने की कगार पर है। बताया गया है कि प्रबंधन की नीतियों से क्षुब्ध कई पत्रकार नौकरी छोड़ने के मूड में हैं।