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सियासत

येचुरी से भी कोई उम्मीद नहीं… ये सब ड्राइंग रूम वामपंथी हैं…

Gunjan Sinha : येचुरी से भी कोई उम्मीद नही. करात, येचुरी आदि सब ड्राइंग रूम वामपंथी हैं… इन्हें कभी जनता के साथ संघर्ष करते देखा? सुना? चाहे हज़ारों किसान मर जाएं , लोग बिन दवा बिना भोजन मरें, लड़कियां रेप का शिकार हों, देश गिरवी हो जाए, आतंकी धर्मान्धता दिलों को बाँट दे, ये ड्राइंग रूम वामपंथी दिल्ली के एयर कंडीशन बेडरूम के बाहर रात नहीं बिता सकते. कुँए का पानी नहीं पी सकते. लेकिन मीडिया मैनेज कर सकते हैं. इनसे फिर भी बेहतर हैं माणिक सरकार या अतुल अनजान जो अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं.

<p>Gunjan Sinha : येचुरी से भी कोई उम्मीद नही. करात, येचुरी आदि सब ड्राइंग रूम वामपंथी हैं... इन्हें कभी जनता के साथ संघर्ष करते देखा? सुना? चाहे हज़ारों किसान मर जाएं , लोग बिन दवा बिना भोजन मरें, लड़कियां रेप का शिकार हों, देश गिरवी हो जाए, आतंकी धर्मान्धता दिलों को बाँट दे, ये ड्राइंग रूम वामपंथी दिल्ली के एयर कंडीशन बेडरूम के बाहर रात नहीं बिता सकते. कुँए का पानी नहीं पी सकते. लेकिन मीडिया मैनेज कर सकते हैं. इनसे फिर भी बेहतर हैं माणिक सरकार या अतुल अनजान जो अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं.</p>

Gunjan Sinha : येचुरी से भी कोई उम्मीद नही. करात, येचुरी आदि सब ड्राइंग रूम वामपंथी हैं… इन्हें कभी जनता के साथ संघर्ष करते देखा? सुना? चाहे हज़ारों किसान मर जाएं , लोग बिन दवा बिना भोजन मरें, लड़कियां रेप का शिकार हों, देश गिरवी हो जाए, आतंकी धर्मान्धता दिलों को बाँट दे, ये ड्राइंग रूम वामपंथी दिल्ली के एयर कंडीशन बेडरूम के बाहर रात नहीं बिता सकते. कुँए का पानी नहीं पी सकते. लेकिन मीडिया मैनेज कर सकते हैं. इनसे फिर भी बेहतर हैं माणिक सरकार या अतुल अनजान जो अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं.

येचुरी करात जमात ने शंकर गुहा नियोगी, चंद्रशेखर आदि की तरह कभी लोगों के साथ जुड़ कर संघर्ष नहीं किया. किसी ने सुना क्या? और शायद जगदीश मास्टर का तो नाम भी नहीं सुना होग. ऐसे में क्या उम्मीद की जाए इन से देश की राजनीती को बैलेंस करने की? एक बार राजेन्द्र माथुर ने लिखा था कि भारत की सभी पार्टियां कांग्रेस कल्चर की ही उपज हैं – वामपंथी दलों के बारे में भी अब तो यही लगता है और भाजपा और ‘आप’ के बकरे में भी। जबतक जातीय पहचान नहीं ख़त्म होगी और धर्म सिर्फ व्यक्तिगत आस्था की चीज नहीं होगा जिसका सामाजिक राजनैतिक जीवन में कोई प्रत्यक्ष दखल नहीं हो, तबतक देश में समता समाजवाद की कोई उम्मीद नहीं, साम्यवाद तो दूर की बात।

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वरिष्ठ और बेबाक पत्रकार गुंजन सिन्हा के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Mukesh Kumar Singh

    April 22, 2015 at 8:53 pm

    वाह, गुंजन जी!
    दो टूक में इतनी सटीक और बेबाक़ी के लिए साधुवाद!

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