ईटीवी एमपी से सूचना है कि नए सीनियर एडिटर प्रवीण दुबे ने अपना चाबुक चलाना शुरू कर दिया है। 31 मार्च के पहले कई लोग प्रवीण दुबे के निशाने पर हैं और प्रवीण दुबे ने रिपोर्टर्स के ग्रुप में खुलेआम सबको चेतावनी दे डाली है कि अगले कुछ दिनों में कई रिपोर्टर्स और एडिटोरियल के लोगों को बहार का रास्ता दिखाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि उपर से हरी झंडी मिलने के बाद प्रवीण दुबे ने भोपाल ऑफिस में छंटनी करने का मन बना लिया है। प्रवीण के आते ही कई लोग खुद ही छोड़ गए थे क्योंकि उन्हें डर था कि उनको निशाना बनाकर परेशान किया जा सकता है. खासतौर से जो लोग जगदीश चंद्र की टीम के रहे हैं वे निशाने पर हैं.
भोपाल ऑफिस से रिपोर्टिंग टीम के हिस्सा रहे शैलेंद्र आजारिया और अखिलेश सोलंकी ने प्रवीण के आते ही चैनल को बाय-बाय बोल दिया. जबलपुर ब्यूरो दीपक गम्भीर ने भी कुछ दिन पहले ही प्रबंधन को अपना इस्तीफ़ा दे दिया. इन सबके पीछे नए संपादक से खुश न होने का कारण बताया जा रहा है. इन सबको निशाना बनाकर परेशान करने की कोशिश की जा रही थी जिसके इन लोगों ने खुद ही चैनल से नमस्ते कर लिया. फिलहाल स्थिति ये है कि ईटीवी की टीआरपी गिर रही है और बिज़नस भी लगातार घट रहा है. इससे ईटीवी के सभी संपादक अपनी खीझ नीचे के लोगों पर उतारने में लगे हैं. भोपाल ऑफिस में इनदिनों डर का माहौल बना हुआ है. दबी जुबान में सबको पता है कि अगला नम्बर किसका होगा लेकिन कोई कुछ बोल नहीं रहा है. प्रवीण दुबे ने खुलेआम ग्रुप में सबको चेतावनी दी है कि अपनी कार्यशैली को सुधार लें वरना चैनल को खुद छोड़ दें. भड़ास के पास वो पत्र है जो प्रवीण दुबे ने जारी किया है… उसका प्रारूप कुछ इस प्रकार है…
मुझे असाइंमेंट, जिसमें डेस्क और रिपोर्टर दोनों शामिल हैं, से बेहद निराशा है. पांच बड़े एजेंडे मैंने देख लिए, जिसमें असाइंमेंट की न के बराबर भागीदारी थी. अभी भी बड़ी प्लानिंग के बारे में कोई आगे आकर रूचि नहीं दिखाता. बजट की स्टोरी का क्या हुआ, शिवरात्री का क्या हुआ… हमारे 8 मार्च वाले प्रोग्राम का क्या हुआ… कोई रूचि नहीं दिखाता और ना ही समर्पण के साथ काम करता कोई दिख रहा है. मल्टीप्लेक्स के बुकिंग काउंटर या रोडवेज बस के काउंटर के क्लर्क की तरह टिकट काटकर देने जैसा प्रदर्शन है आप में से बहुत से लोगों का… टिकिट काटी और बैठ गए बतियाने….सब तरह के प्रयोग और अवसर देकर मैंने देख लिया…चूँकि रैना सर आप लोगों से कह गए थे कि किसी की नौकरी नहीं जायेगी, इसलिए मैं आपको आपकी ही क्षमताओं के मुताबिक़ इश्तेमाल करने का मन बना चुका था….चार से ज्यादा मीटिंग की मैंने…सभी के बीच स्पष्ट कार्य का विभाजन कर दिया…किसी धर्मगुरु की तरह हौसला बढाने वाले कई मोटिवेशनल स्पीच भी देकर मैंने देख लिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ…..दरअसल काम करने की प्रवृत्ति ही नहीं है कुछ लोगों की….कुछ रिपोर्टर और असाइंमेंट के कुछ साथी अनिवार्य तौर पर बदले जाएंगे…एक सप्ताह का अंतिम मौका है. सभी लोगों को बता दीजिये….जिस व्यक्ति के पास शिफ्ट की जिम्मेदारी है, यदि वो चैनल को अपना निजी चैनल समझ कर काम नहीं करता और ख़बरों को लेकर चिंतित नहीं है, उसे भी बदला जाएगा…..अब कोई रियायत नहीं है…मैं अपने पूर्ववर्ती संस्थानों में बहुत कम लोगों की टीम के साथ बेहतर रिजल्ट दे चुका हूँ…व्यर्थ की भीड़ के बजाय काम करने वाले चुनिंदा लोगों से चैनल नम्बर वन हो सकता है, इसका मुझे भरपूर अनुभव है….मराठे पानीपत का युद्ध इसीलिए हार गए थे कि अकारण बोझ भरी भारी भीड़ उनके साथ थी जो ना युद्ध के काम थी और ना ही रणनीति बनाने के….मैं इस फंक्स्निंग का व्यक्ति नहीं हूँ कि अकारण ढोता रहूँ..पहली मीटिंग में मैंने कह दिया कि सभी को अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी…8 मार्च का प्रोग्राम चैनल का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है…इसको लेकर अभी तक किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई..बस इतना समझ लीजिये कि बड़ा फैसला बस आने को है….
सादर
प्रवीण दुबे