बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नई परिपाटी शुरू की है। सरकार की ख़ामियों व ज़मीनी हक़ीकत को रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों के ख़िलाफ FIR दर्ज की जा रही है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के फ़र्जी एंबुलेंस का पर्दाफाश करने वाले ईटीवी भारत के पत्रकार के ख़िलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है।
दो दिन पूर्व गया जिले में सरकारी अव्यवस्था की पोल खोलने वाले दैनिक भास्कर के पत्रकार पर भी अस्पताल प्रशासन ने FIR दर्ज करवाई थी। बताइए भला, अब सत्ताधारी नेता, मंत्री और संस्थान ही पत्रकारों पर केस दर्ज करवा रहे हैं।


आइए बताते हैं बिहार में एंबुलेंस विवाद में ईटीवी भारत संवाददाता पर दर्ज 10 पन्नों की FIR में क्या क्या है…
बक्सर जिले के चर्चित एंबुलेंस मामले को प्रमुखता से दिखाने पर सदर थाना में ईटीवी भारत के संवाददाता उमेश पांडेय पर एफआईआर दर्ज की गई है. ये एफआईआर बीजेपी नेता और बक्सर विधान सभा के पूर्व प्रत्याशी परशुराम चतुर्वेदी ने दर्ज कराई है. बक्सर के सदर थाना में उनपर 500, 506, 290, 420 और धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
बीजेपी नेता परशुराम चतुर्वेदी ने उमेश पांडेय पर धमकाने, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और बीजेपी की छवि धूमिल करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं. 14 मई 2021 को ईटीवी भारत ने बक्सर से एक रिपोर्ट प्रकाशित की. जिसका शीर्षक था ‘जनता से धोखा! 5 पुराने एम्बुलेंस पर नए स्टिकर लगाकर दूसरी बार वर्चुअल उद्घाटन करेंगे अश्विनी चौबे’.
इस खबर के बाद सूबे में सियासी हंगामा मच गया. हालांकि 15 मई 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने सभी एंबुलेंस का दोबारा उद्घाटन किया. इस बीच हमें पता चला कि इन एंबुलेंस का उद्घाटन दूसरी बार नहीं बल्कि चौथी बार कर रहे हैं.
इस बीच जनता के साथ हुआ एक और छलावा उजागर हुआ. वो ये था कि इन सभी एंबुलेंस का दूसरी बार नहीं बल्कि चौथी बार उद्घाटन किया गया है. इन एंबुलेंस का चौथी बार नाम बदलकर वर्चुअल उद्घाटन किया गया था. ईटीवी भारत ने जन सरोकार से जुड़ी इस खबर से पर्दा हटाया तो सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया. ईटीवी भारत ने इस सवाल के साथ कि ‘हद हो गई! केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने 2 बार नहीं 4 बार किया एक ही एंबुलेंस का उद्घाटन’.
एंबुलेंस विवाद मामले में एक नया मोड़ तब आया जब पता चला कि चार बार उद्धाटन हुए एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ है. बक्सर के जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज रजक ने कहा- ‘बीएस-4 मॉडल की गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में ही रोक लगा दी है.’
इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जिला परिवहन पदाधिकारी से पूछा कि जब इस गाड़ी से कोई दुर्घटना होगी, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. इस पर उन्होंने कहा कि सबसे पहले धनुष फाउंडेशन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा. उसके बाद उसके बयान के आधार पर अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी. सड़क पर वह गाड़ी दिखेगी तो उसे जब्त भी किया जाएगा.
इस खबर को 22 मई 2021 को ईटीवी ने प्रमुखता से डीटीओ के बयान के साथ प्रकाशित किया था. जिसका शीर्षक था ‘4 के चक्कर में फंसे चौबे जी! 4 बार उद्घाटन के बाद भी BS-4 मॉडल एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन पर पेंच’.
इस खबर के चलने के दो दिन बाद ही 24 मई 2021 को बक्सर के जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज रजक अपने बयान से पलट गए. उन्होंने कहा कि ”फिलहाल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर में उस तरह का प्रोविजन नहीं है. गाड़ियां अभी भी चल रही हैं. स्वास्थ्य विभाग स्तर पर बात कर रहे हैं. बात करने के बाद दिशा-निर्देश के अनुसार काम किया जाएगा.”
आखिरकार एंबुलेंस विवाद में बक्सर के ईटीवी भारत संवाददाता उमेश पांडेय पर एफआईआर दर्ज की गई है. ये एफआईआर बीजेपी नेता और बक्सर विधान सभा के पूर्व प्रत्याशी परशुराम चतुर्वेदी ने दर्ज कराई है.
दरअसल, ईटीवी भारत ने 14 मई, 15 मई, 16 मई, 19 मई, 22 मई और 24 मई 2021 को सभी सबूतों के आधार पर एंबुलेंस विवाद की खबर को प्रमुखता से दिखाया था. खबर में बक्सर ईटीवी भारत संवाददाता उमेश पांडेय ने बताया था कि कैसे 5 पुराने एम्बुलेंस पर नए स्टिकर लगाकर एक बार नहीं चार बार उद्घाटन किया था.
इस एंबुलेंस के पूर्व ड्राइवर सह 102 एंबुलेंस चालक के अध्यक्ष कृष्णा कुमार ने बताया कि सबसे पहले इस एम्बुलेंस का सदर अस्पताल में उदघाट्न किया गया था. दूसरी बार किला मैदान बक्सर में, तीसरी बार रामगढ़ और चौथी बार समाहरणालय सभागर से 6 में से 4 एम्बुलेंस को अलग-अलग विधानसभा के लिए रवाना किया गया.
एंबुलेंस विवाद की खबर सामने आने के बाद खूब सियासी हंगामा हुआ. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वा यादव से लेकर कांग्रेस और दूसरे दलों के नेताओं ने केंद्रीय मंत्री से इस मुद्दे पर सफाई मांगी.
One comment on “केंद्रीय मंत्री के फ़र्जी एंबुलेंस का पर्दाफाश करने वाले टीवी पत्रकार पर मुकदमा दर्ज”
खामियां उजागर करना पत्रकार का काम है। ईटीवी भारत संवाददाता उमेश पांडेय ने इस मामले में व्याप्त खामियों को ही उजागर किया है। पत्रकार उमेश पांडेय पर केस दर्ज कराने की झारखण्ड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन निंदा करती है।