शाहजहांपुर। पत्रकारिता को बदनाम करने वाले पांच फर्जी पत्रकारों को बीती रात कोतवाली पुलिस ने हाईवे पर पशु व्यापारी से रंगदारी बसूलते हुए अरेस्ट कर लिया। पशु व्यापारी की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर पांचों फर्जी पत्रकारों का चालान कर दिया। शहर कोतवाली अंतर्गत पुलिस चौकी अजीजगंज के प्रभारी वीके मिश्रा ने बताया कि पुलिस को काफी समय से कुछ लोगों द्वारा टोल टैक्स बैरियर के आसपास पशु व्यापारियों व अन्य वाहन चालकों से तथाकथित पत्रकारों द्वारा वसूली किए जाने की सूचनाएं मिल रही थीं। पुलिस उनकी फिराक में थी। बीती रात पुत्तूलाल चैराहा निवासी पशु व्यापारी रफी अहमद ने पुलिस को सूचना दी कि टोल टैक्स बैरियर के पास पांच कथित पत्रकारों ने उनकी भैंसों से भरी डीसीएम रोक रखी है और वह सभी रंगदारी मांग रहे हैं। उसने यह भी बताया कि इससे पहले भी यह लोग दो बार पांच-पांच हजार रुपया वसूल चुके हैं। इस सूचना पर पहुंचे चौकी प्रभारी वीके मिश्रा ने पांचों तथाकथित पत्रकारों को पकड़ लिया और रात में ही उन्हें थाने लाकर बंद कर दिया।
सुबह पुलिस ने रफी अहमद की तहरीर पर रंगदारी मांगने समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। पुलिस ने बताया कि पकड़े गए फर्जी पत्रकारों में रामासरे, अरविंद, वीरेश, कुलदीप व नरेश हैं। इनमें नरेश, अरविंद व कुलदीप थाना सेहरामऊ दक्षिणी के ग्राम कुतुबापुर के रहने वाले हैं। जबकि रामासरे हद्दफ मोहल्ले और वीरेश हरदोई जिले के ग्राम विरला का रहने वाला है। पकड़े गए युवकों में से एक युवक ने पुलिस को एक चैनल का आइकार्ड दिखाते हुए रौब झाड़ने की भी कोशिश की। लेकिन जब पुलिस ने उन्हें आड़े हाथों लिया तो पांचों ने कबूल किया कि वह हाईवे पर रंगदारी बसूलते हैं। उन्होने अपने सरगना का भी नाम लिया और कहा कि वे लोग उसे 15-15 हजार रुपये देकर पत्रकार बने हैं। वसूली का प्रमुख ठिकाना है टोल टैक्स। यहां फर्जी पत्रकारों के साथ पुलिस, ट्रैफिक पुलिस वाले व आरटीओ विभाग के कर्मचारी दिनदहाड़े वाहनों से उगाही करते देखे जा सकते हैं। इसके अलावा शहर के हथौड़ा चैराहा, रोजा, गर्रा फटकिया आदि ठिकानों पर भी फर्जी पत्रकार व पुलिस वसूली करती है। यहां उनकी स्थिति चोर-चोर मौसेरे भाई जैसी रहती है। फर्जी पत्रकार और पुलिस दोनों एक दूसरे का सहयोग करते हैं। सबसे ज्यादा वसूली पशुओं, रेत खनन और गौमांस के वाहनों से होती है। यह नजारा इन स्थानों पर तड़के आसानी से देखा जा सकता है। धंधेबाज लोग तो पंगे से बचने के लिए तयशुदा ठिकानों पर पैसा पहुंचा देते हैं।