राजीव शर्मा-
‘शब्दज्ञान’ के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए आज हम कुछ और शब्दों के बारे में जानेंगे। मकर संक्रांति (14.01.2023) की सुबह जब मैंने राजस्थान पत्रिका के जयपुर संस्करण में पृष्ठ सं. 02 पर प्रकाशित एक ख़बर का शीर्षक देखा तो चौंक गया।
लिखा था- ‘फिजां में घुली पंजाबियत की महक, लोकगीतों की मिठास’।
इसमें ‘फिजां’ क्या है? यह शब्द मेरे लिए भी नया था। अब तक ‘फ़ज़ा’, ‘फ़िज़ा’ तो पढ़ा/सुना था, लेकिन राजस्थान पत्रिका ने इसे ‘फिजां’ बना दिया। जब मैंने ‘फिजां’ को गूगल पर तलाशा तो मालूम हुआ कि यह ‘कारनामा’ अमर उजाला, नई दुनिया, हिंदी.न्यूज़18, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, नवभारत टाइम्स, हिंदी.वनइंडिया, लाइव हिंदुस्तान कई बार कर चुके हैं। इसलिए ‘फिजां’ में मेरी दिलचस्पी बढ़ गई है।
विद्वानों ने इसे ‘फ़ज़ा’ बताया है, जिसे हम हिंदीवाले ‘फ़िज़ा’ भी लिखते/बोलते हैं। उर्दू में इसे فضا लिखा जाता है। इसका अर्थ है- वातावरण, माहौल, खुली हुई जगह, मैदान, शोभा, रौनक आदि। ‘फ़ज़ा’ को अरबी भाषा का शब्द बताया गया है।
आपको इससे मिलते-जुलते एक और शब्द के बारे में बताता हूँ। उर्दू में इसे فزا लिखा जाता है। शब्दकोश में इसे ‘फ़िज़ा’ बताया गया है, जिसका अर्थ- ‘बढ़ानेवाला’ होता है। उदाहरण के लिए, ‘जाँफ़िज़ा’ यानी ज़िंदगी बढ़ानेवाला।
अरबी में फ़ज़ा’ शब्द भी मिलता है, जिसका अर्थ भय, त्रास, डर होता है।
उम्मीद करता हूँ कि इस जानकारी से आपके ‘शब्दज्ञान’ में बढ़ोतरी होगी। अगले अंक में कुछ और शब्द लेकर आऊँगा।
धन्यवाद!
.. आपका ..
राजीव शर्मा