Arunesh C Dave : इस सरकार की सबसे बड़ी मूर्खता नोटबंदी नहीं, गायबंदी है. इसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तीन तरफ से मारा है. पहला तो हर गांव को प्राप्त होने वाली कम से कम दस लाख रूपये की आय समाप्त हो गई. दूसरे पशुपालन से संबंधित व्यवसायी और उससे रोजगार पा रहे रहे ग्रामीणो का भट्टा बैठ गया. तीसरे गौ बंदी के बाद हकाल दिये गए आवारा पशुओं ने किसानो के खेतों में कहर बरपा रखा है.
इसके बाद नंबर आता है गौ माता की जय करने वाली सरकारों का. देश के खरबों रुपए निकाल दिए गए आवारा पशुओं की देखरेख और उनके जल्दी मरने के इंतजार में प्रतीक्षारत गौशाला चलाने वाले गोभक्तों की सेवा में खर्च हो रहे हैं. अब आ जाइए पशुपालकों और पशुओं का व्यापार करने वालों की अगली समस्या पर. यदि कोई व्यक्ति दुधारू गाय खरीदना चाहे तो भी उसे उसके ट्रांसपोर्ट के लिए शासन से ज्यादा महान गौ सेवकों की अनुमति लगती है इसके बाद रास्ते में मिलने वाले पुलिसवालों और गौ सेवकों से बचकर पहुंच गए तो गंगा स्नान तो बनता ही है.
अब आ जाइए गौमाता स्थापित पर. गौमाता से टकराकर रास्ते में मर रहे लोगों को तो छोड़ दीजिए, प्रतिदिन आपको अखबार में दुर्घटना में गायों की मौत की खबर मिल ही जाएगी. देख रेख और इलाज ना होने से मरने वाली गायों का तो कोई हिसाब नहीं है. अगले 5 वर्षों में गौमाता की आबादी आधी हो जाए तो हैरानी की कोई बात नहीं होगी. इस पूरे प्रकरण ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचाया है उसी के परिणाम अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आंकड़ों में नजर आ रहे हैं.
रायपुर के सोशल एक्टिविस्ट अरुणेश सी दवे की एफबी वॉल से.
Madan Kumar Tiwary
September 14, 2019 at 4:00 pm
It is really disgusting, you encroached the land of other species, now crying ,grazing of crop ?who gave you title of the land ?who permitted you taking milk of a cow? Will you allow milking of your wife for the purpose of marketing the same ? extremely inhuman person you are .