पंद्रह दिन पहले केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि दिल्ली में ई-रिक्शा पर लगे बैन को खत्म करने के लिए सरकार कानून में बदलाव करेगी तथा दीनदयाल स्कीम लांच करेगी. इस स्कीम के तहत ई-रिक्शा खरीदनेवालों को तीन फीसदी ब्याज दर पर ऋण दिया जायेगा. यह न केवल दिल्ली में ई-रिक्शा चालकों के लिए अच्छी खबर थी, बल्कि नागपुर की उस कंपनी (पूर्ति ग्रीन टेक्नॉलजीज) के लिए भी राहत की बात थी जिसके गडकरी और उनके परिवार से करीबी संबंध हैं. एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक यह गडकरी की ओर से स्थापित पूर्ति समूह से जुड़ी कंपनी है.
2011 तक गडकरी कंपनी के चेयरमैन थे. यह कंपनी उन सात कंपनियों में शामिल है जिन्हें काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) ने 2012 में बैट्री से चलनेवाले रिक्शा बनाने और बेचने के लिए लाइसेंस दिया था. कंपनी के निदेशक अशोक उर्फ राजेश तोताडे (गडकरी के बहनोई) ने समाचार पत्र को बताया कि कंपनी छूट के लिए इंतजार कर रही थी, ताकि वह ई-रिक्शा का उत्पादन कर सके. समाचार पत्र के मुताबिक तोताडे उसी राहत के बारे में जिक्र कर रहे हैं जिसकी घोषणा गडकरी ने 17 जून को दिल्ली में एक रैली के दौरान की थी.
अखबार ने इस बारे में ई-मेल कर गडकरी से पूछा कि क्या उनकी घोषणा हितों के टकराव का मामला नहीं है? इसके जवाब में गडकरी ने कहा है कि ई-रिक्शा कई कंपनियां बना रही हैं और किसी एक कंपनी का एकाधिकार नहीं है और न ही किसी पर कोई रोक लगायी गयी है. उन्होंने कहा कि जहां तक ई-रिक्शा खरीदने के लिए तीन प्रतिशत दर पर लोन देने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने की बात है, मैं इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरु ण जेटली को पत्र लिखकर जरूरी कदम उठाने का आग्रह कर चुका हूं.
गडकरी इस बीच नितिन गडकरी ने मंगलवार को इस बात से इनकार किया कि ई-रिक्शा निर्माण क्षेत्र से उनके किसी तरह के वाणिज्यिक हित जुड़े हैं. ई-रिक्शा निर्माण क्षेत्र से वाणिज्यिक हित जुड़े होने संबंधी मीडिया के एक वर्ग में आयी खबरों का खंडन करते हुए गडकरी ने कहा कि उनका पूर्ती ग्रीन टेक्नॉलाजी प्रा लि से कोई रिश्ता नहीं है. भाजपा मुख्यालय द्वारा अपने पूर्व अध्यक्ष की ओर से जारी बयान के अनुसार बैट्री चालित ई-रिक्शा देश के कई हिस्सों में कई सालों से चल रहे हैं और इनका कई राज्यों में बड़े पैमाने पर निर्माण होता है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और देश के विभिन्न हिस्सों में दो लाख से ज्यादा ई-रिक्शा चल रहे हैं. बयान के अनुसार ई-रिक्शा के निर्माण का जिम्मा केवल उन्हीं निर्माताओं को दिया गया है जिन्हें वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) से इसके लिए लाइसेंस मिला है. बयान के अनुसार, ‘ना तो गडकरी और ना ही उनके परिवार का कोई सदस्य किसी ई-रिक्शा निर्माण फर्म से जुड़ा है.’