उत्तराखंड के हल्द्वानी में आठ फरवरी को हुई हिंसा में कई पत्रकारों के भी घायल होने की सूचना है. घायल पत्रकारों की संख्या एक दर्जन से अधिक बताई जा रही है. इसके अलावा उपद्रवियों ने लगभग 20 बाईकों को भी आग के हवाले कर दिया.
हिंसा में जानबूझकर पत्रकारों की भीड़ को निशाना बनाने की बात कही जा रही है. दो फोटो पत्रकार गंभी रूप से जख्मी हुए हैं. करीब 15 पत्रकार शरीर में पत्थर लगने से चोटिल हुए हैं. पत्रकारों के दुपहिया वाहन चिन्हित कर जला दिए गए. घायलों में अधिकतर मेन स्ट्रीम अख़बारों के पत्रकार व फोटोग्राफर हैं.
हल्द्वानी हिंसा में सबसे अधिक चोट अमृत विचार के फोटोग्राफर संजय कनेरा और दैनिक जागरण के फोटोग्राफर बबली बिष्ट को आई है. इसके अलावा हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, अमृत विचार, टीवी18, न्यूज़24, न्यूज़ नेशन व टीवी24 के स्थानीय पत्रकार पत्थरबाजी में जख्मी हुए हैं. पत्रकारों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पत्रकारों को मदद का आश्वासन तो दिया है लेकिन किस तरह मदद होगी यह साफ नहीं है.
घटना को कवर करने गए संजय कनेरा की गिनती हल्द्वानी के सीनियर व सबसे अनुभवी फोटोग्राफर के रूप में होती है. संयज ने बताया कि शाम के वक्त जब पथराव बढ़ा तो उन्हें भी कुछ पत्थर लगे. वह बचने के लिए एक गली में भागे.
गली में उन्हें पांच दंगाइयों ने घेर लिया और उन्हें लात घूंसे मारने शुरू कर दिए. इसी बीच दो लोगों ने उनके सिर का हेलमेट उतार लिया और टोपी छीन ली. दोनों ने उनके सिर पर पत्थर व किसी धारदार हथियार से हमला किया. दंगाइयों ने उन्हें तब छोड़ा जब वे लहूलुहान हो गए.
इसी हालत में संजय लगभग 50 मीटर तक आगे गए. जहां उन्हें दूसरी भीड़ ने पकड़ लिया. यहां भी उन्हें पीटा गया. उनका कैमरा और मोबाइल छीन लिया गया. आगे खड़ी उनकी बाईक से पेट्रोल निकालकर दंगाईयों ने उनकी बाईक को आग लगा दी. इसके बाद हिम्मत जुटाकर संजय किसी तरह पुलिस बैरीकेट तक पहुंचे. संजय इस समय आईसीयू में भर्ती हैं. उनके सिर पर 11 टाके आए हैं. नाक और सिर की हड्डी टूटी है. इसके अलावा उनके पूरे शरीर पर चोटो के निशान हैं.