Shailesh Bharatwasi : भारत में ऑनलाइन ख़रीदारी का प्रचलन बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। लोग मोबाइल, लैपटॉप, टैब, जूते, चप्पल, कपड़े ऑनलाइन ख़रीदने से भले ही एक बार हिचकते हों लेकिन किताबें ख़रीदने में बिलकुल नहीं हिचकते क्योंकि उन्हें लगता है कि किताबों में ये ऑनलाइन कंपनियाँ क्या बेईमानी करेंगी! इसी कारण सभी ईकॉमर्स पोर्टल हर किताब के ऑर्डर पर रु 200-रु 300 का घाटा सहते हुए भी किताबों को ख़ुशी-ख़ुशी बेचते हैं ताकि लोगों को ख़रीदारी के इस नए तरीक़े पर भरोसा जम सके।
ऑनलाइन शॉपिंग से सबसे बड़ा बिजनेस करने वाली कंपनी flipkart.com किताबों के मामले में भी नंबर वन है। फ्लिपकार्ट पर किताबप्रेमियों का भरोसा इस कदर है कि वे अन्य वेबसाइटों से ज़्यादा मूल्य चुकाकर भी इसी वेबसाइट से किताबें खरीदना पसंद करते हैं। फ्लिपकार्ट पर 2719 बेस्ट सेलिंग किताबों की एक सूची है, जिसमें 86 किताबें हिंदी की है। ये 2719 किताबें लोकप्रियता के क्रम में ऊपर-नीचे होती रहती हैं। केवल हिंदी बेस्ट सेलिंग किताबों की बात करें तो 86 में से मात्र 22-23 ही ऐसी किताबें हैं जिन्हें हिंदी का मौलिक लेखन कहा जा सके। यहाँ मौलिक लेखन का मतलब मूलरूप से हिंदी में लिखी गई किताब से है। इस सूची में डायमंड पॉकेट बुक्स से छपी ‘प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ’ नौवें नं पर है यानी इस सूची में पहली मौलिक किताब नौवें स्थान पर है। इससे ऊपर के 8 स्थानों पर अंग्रेज़ी बेस्ट सेलरों के हिंदी अनुवादों का कब्ज़ा है। जल्द ही छपने वाली Anu Singh Choudhary की किताब ‘नीला स्कार्फ़’ 11 वें पायदान पर है। राजपाल प्रकाशन से छपी Harivansh Rai Bachchan की मशहूर किताब ‘मधुशाला’ 12वें स्थान पर है।
बिग एफएम के शो ‘यादों का इडियट बॉक्स विद Neelesh Misra’ में प्रसारित होने वाली कहानियों से चुनिंदा कहानियों की किताब ‘याद शहर-2’ 19वें स्थान पर है। इस साल विश्व पुस्तक मेला के दरम्यान हार्पर हिंदी से छपा जासूसी उपन्यासों के स्टार लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक का उपन्यास ‘कोलाबा कॉन्सपिरेसी’ 27 वें नंबर है। इसी साल मार्च में छपा Divya Prakash Dubey का दूसरा कहानी-संग्रह ‘मसाला चाय’ 28वें पायदान पर है। लोकभारती प्रकाशन से छपा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का क्लासिक ‘रश्मिरथि’ 30वें नं. है। यानी हिंदी में पिछले 3-4 दशकों में आईं कविताओं की ज़्यादातर किताबें भले ही 500 की संख्या को न पार कर पाती हों, लेकिन आज भी हिंदी पाठकों को कविताओं के क्लासिक बहुत पसंद हैं।
पिछले साल छपी Nikhil Sachan की कहानियों की किताब ‘नमक स्वादानुसार’ 33वें पायदान पर है। इस स्थान के बाद हिंदी की मौलिक किताब नीलेश मिश्रा की ‘याद शहर-1’ है जो 42 वें नंबर है। 47वें स्थान पर Gulzar के कविताओं, गीतों, संवादों और फिल्मों की पटकथाओं की किताब ‘रात पश्मीने की’ है जिसे रूपा एंड कंपनी ने छापा है। हिंदी की साहित्यिक कृतियों में अत्यंत लोकप्रिय जिसे एक अनूठा उपन्यास भी कहा जाता है, राजकमल प्रकाशन से सबसे अधिक बिकने वाली किताबों में से एक श्रीलाल शुक्ल की ‘राग दरबारी’ 51वें स्थान पर है। Dr. Kumar Vishwas की कविताओं की किताब ‘कोई दीवाना कहता है’ 52वें नं पर है। इसके बाद 68वें पायदान पर रामधारी सिंह दिनकर की काव्यकृति ‘उर्वशी’ है, जो लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित है। बेस्ट सेलरों की सूची में Kashinath Singh का उपन्यास ‘रेहन पर रघ्घु’ भी शामिल है और इस सूची का 69वाँ स्थान घेरे हुए है। प्रेमचंद के दो कालजयी उपन्यास ‘गबन’ और ‘गोदान’ क्रमशः 70वें और 77वें नंबर पर हैं। Atal bihari bajpayee की प्रसिद्ध कविता-कृति ‘मेरी इक्यावन कविताएँ’ भी लोग ख़ूब खरीदते हैं, तभी ये किताब भी बेस्ट सेलर लिस्ट में है और 84वें स्थान पर काबिज़ है।
हिंदी बेस्ट सेलिंग किताबों को बिकने के संख्या-बल के हिसाब से केवल हिंदी में ही देखा जा सकता है। कुल 2719 किताबों की भीड़ में इनका स्थान खोजिए भी, तो आप उन्हें बमुश्किल ही खोज पाएँगे। सूची में इतने नीचे जाकर कौन देखता है! जैसे हिंदी सूची में नौवें स्थान वाली किताब ‘प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ’ 388वें पायदान पर है। अनु सिंह चौधरी की ‘नीला स्कार्फ’ 462वें पायदान पर है वहीं हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला’ 495वें स्थान पर है। एक तथ्य यह भी है कि प्रेमचंद के रॉयल्टी फ्री होने की वजह से उनका साहित्य न जाने कितने प्रकाशकों ने छापा होगा, और प्रेमचंद की किताबें कोई प्रकाशक देखकर ख़रीदता भी नहीं। कोई देखता भी होगा तो कहानियों की संख्या, चयन और मूल्य देखता होगा, उपन्यास खरीदते समय भी क़ीमत पर विशेष बल देता होगा। अगर प्रेमचंद का साहित्य किसी एक प्रकाशन से छपता तब निश्चित तौर पर सारे ही किताबें शुरुआती स्थानों पर होतीं, हालाँकि ये सांख्यिकी अंग्रेज़ी की रॉयल्टी मुक्त किताबों पर भी लागू होते हैं, इसलिए 2719 की सूची में प्रेमचंद साहित्य तो अव्वल नहीं ही होता, लेकिन हिंदी में तो ज़रूर होता।
इन दोनों सूचियों का विश्लेषण करें तो कुछ ख़तरनाक संकेतों की आहट भी सुनाई पड़ती है। समकालीन हिंदी साहित्यिक किताबें इन दोनों सूचियों से पूरी तरह से गायब हैं। हिंदी में प्रेमचंद और कुछ क्लासिक को छोड़कर बाक़ी अनुवाद ही बिक रहे हैं। हिंद युग्म प्रकाशन की जो तीन किताबें इस सूची में शामिल हैं, वो अभी एक साल के भीतर ही शामिल हुई हैं। फिलहाल यह कहना तो मुश्किल है कि ये कितने दिनों तक लोगों की पसंद का हिस्सा रह पाती हैं।
हिंदी बेस्ट सेलरों की सूची- http://bit.ly/hbsflipkart
सभी बेस्ट सेलरों की सूची- http://bit.ly/bsflipkart
लेखक शैलेष भारतवासी चर्चित हिंदी ब्लागर और हिंदयुग्म प्रकाशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. उनका यह लिखा उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है.
mukesh kumar sinha
July 15, 2014 at 4:38 am
शुभकामनायें !! ऐसे ही नित नए आयाम गढ़ें …. !!