दिल्ली : मजीठिया मामले में हिंदुस्तान ग्रुप पत्रकारों का हक मारने के लिए इन दिनो जोरशोर से अंदरूनी तौर पर कई तरह की कागजी तैयारियों में जुटा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक न्यूज सेक्शन को मल्टी मीडिया डिवीजन में कन्वर्ट किया जा रहा है ताकि मीडियाकर्मी कल को वेज बोर्ड के फायदे का क्लेम न कर पाएं। संस्थान में सेवारत मीडियाकर्मियों के पदनाम आदि भी परिवर्तित किए जा रहे हैं। इससे अंदर ही अंदर संस्थान के मीडिया कर्मियों में भारी रोष है। पता चला है कि वे भी अपने सांस्थानिक कागज-पत्र झाड़पोंछ कर फाइलिंग करने लगे हैं ताकि मौका आने पर वे अपने हक को प्रमाणित कर प्रबंधन की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे सकें।
सूत्रों के मुताबिक मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद से अन्य कारपोरेट मीडिया घरानों की तरह हिंदुस्तान ग्रुप की मंशा ठीक नहीं है। अखबार प्रबंधन संपादकीय विभाग से जुड़े पत्रकारों का हक मारने के लिए ‘मल्टी मीडिया न्यूज डिवीजन’ नाम से नया विभाग गठित कर रहा है। इस विभाग में वही कर्मी काम करेंगे, जो इस समय संपादकीय और रिपोर्टिंग सेक्शन से संबद्ध हैं।
पता चला है कि संस्थान का एचआर डिपार्टमेंट बाकी काम बाद में, पहले मीडिया कर्मियों के खिलाफ कागजी दस्तावेज तैयार करने में व्यस्त है। संपादकीय विभाग को तो मल्टी मीडिया डिवीजन में दर्शाने की मंशा है। इसके अलावा संस्थान के जो अन्य मीडियाकर्मी हैं, जैसे रिपोर्टर, सीनियर रिपोर्टर, सब एडिटर या चीफ रिपोर्टर आदि, उनके पदनाम बदले जा रहे हैं, जैसेकि कंटेंट क्रिएटर, सीनियर कंटेंट क्रिएटर, चीफ कंटेंट क्रिएटर आदि।
इस समय हिंदुस्तान प्रबंधन की अपने मीडिया कर्मियों के साथ ये कागजी चीटिंग की रूपरेखा जोर शोर से बनाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक प्रबंधन मीडिया कर्मियों को सूचित किए बगैर कॉन्ट्रैक्ट भी मनमाने पदनाम और विभाग संशोधन के साथ चेंज कर रहा है। कागजी तौर पर उसे ‘न्यूज पेपर डिवीजन’ से मल्टी मीडिया न्यूज डिवीजन में परिवर्तित किया जा रहा है।
हिंदुस्तान प्रबंधन की इस हरकत से मीडिया कर्मियों में अंदर ही अंदर भारी गुस्सा है। मजीठिया मामले में वे भी अब प्रबंधन के साजिशाना पैंतरे का जवाब देने के लिए अपनी पिछले पांच वर्षों की सेलरी स्लिप, कॉन्ट्रैक्ट लेटर्स, हर साल के अप्रेजल लेटर, कंपनी मैग्जीन, बाइलाइन स्टोरी, फिल्ड के परिचय पत्र आदि संभाल कर रखने लगे हैं, ताकि मौका आने पर हिंदुस्तान प्रबंधन द्वारा उनके पेट पर लात मारने की हरकत का सामना किया जा सके।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
अरुण श्रीवास्तव
April 5, 2015 at 10:47 am
भइया अखबार भी धंधा है । हर धंधे की तरह इसका लक्ष्य मुनाफा कमाना है । शोभना भरतिया ऐसे अरबपति नहीं नहीं हैं