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200 करोड़ रुपये के ‘हिंदुस्तान’ सरकारी विज्ञापन घोटाला मामले की पुनर्जांच की मांग

मुंगेर (बिहार) : मुंगेर के पुलिस अधीक्षक श्री बाबू राम ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कानूनी रूप से पराजित 200 करोड़ के दैनिक हिन्दुस्तान सरकारी विज्ञापन फर्जीवाड़ा मुकदमे को कमजोर और रफा-दफा करने की जो कोशिश की, वह कांड के सूचक मन्टू शर्मा के आवेदन से उजागर होता है. मुंगेर प्रक्षेत्र के डीआईजी मनु महाराज को सूचक मन्टू शर्मा की ओर से मुंगेर विधिज्ञ संघ के अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने सभी कानूनी तथ्यों को साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किया. स्मरणीय है कि सूचक मन्टू शर्मा की ओर से अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने ही पटना उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में अकेले पूरी बहस की थी और कानूनी जीत हासिल की थी।

पूरे देश के लोग हतप्रभ हैं कि आखिर किन परिस्थितियों में प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 के कानूनी प्रावधानों, प्रेस-रजिस्ट्रार (नई दिल्ली) कार्यालय के जिला-जिला संस्करण संबंधित केन्द्र सरकार के विभागीय निर्देर्शों, पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर मुंगेर के पूर्व जिला पदाधिकारी की जांच-रिपोर्ट और माननीय पटना उच्च न्यायालय के मंतव्य के दस्तावेजी-साक्ष्यों के बावजूद तात्कालीन पुलिस अधीक्षक मुंगेर श्री बाबू राम ने अपनी प्रतिवेदन रिपोर्ट-4 में जो मंतव्य जारी किया है, वह न्याय की हत्या के समान है. मुंगेर के डीआईज को दिए गए मन्टू शर्मा के आवेदन को नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है…

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सेवा में,
श्रीमान् पुलिस उप-महानिरीक्षक,
मुंगेर

विषयः- कोतवाली थाना कांड संख्या-445।2011 के तहत दर्ज आपराधिक कांड में एस0पी0।मुंगेर। महोदय के स्तर से जारी प्रतिवेदन-04 के आलोक में केवल पी0आर0बी0 एक्ट के उल्लंघन केमामले में दिए मंतव्य की पुर्नजांच का आदेश माननीय एस0पी0 ।मुंगेर । को देने के संबंध में ।

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प्रसंग– तात्कालीन पुलिस अधीक्षक ।मुंगेर। श्री बाबू राम के द्वारा समर्पित जांच-प्रतिवेदन-04, ज्ञापांक- 640 सी0आर0, दिनांक – 30 नवम्बर, 2018 के संदर्भ में ।

महाशय,

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उपरोक्त विषयक प्रसंगाधीन संदर्भ में मैं वादी मंटू शर्मा , पे0 स्व0 गणेश शर्मा, साकीन-पुरानीगंज, थाना-कासिम बाजार, जिला-मुंगेर श्रीमान् का ध्यान सादर निवेदन के साथ आकृष्ट करना चाहता हूं:-

।1। यह कि यह मामला देश के बहुचर्चित दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र की चेयरपर्सन, मालकिन, उद्योगपति और पूर्व राज्य सभा सांस़द श्रीमती शोभना भरतिया एवं समाचार पत्र से जुड़े अन्य पांच आरोपियों के विरूद्ध माननीय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, मुंगेर के न्यायालय में दायर परिवाद-पत्र संख्या- 993सी0। दिनांक- 2011 में भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420। 471। 476 एवं प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 8।बी।, 14 और 15 में माननीय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ।मुंगेर । के आदेशानुसार कोतवाली थाना कांड संख्या-445। 2011 के तहत दर्ज प्राथमिकी के आलोक में दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र के भागलपुर एवं मुंगेर संस्करण के फर्जी प्रकाशन के द्वारा केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के विज्ञापन -मद में अवैध तरीके से करोड़ों रूपयों की निकासी से जुड़ा है ।

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।2। यह कि पुलिस उपाधीक्षक ।मु0। मुंगेर ने पर्यवेक्षण टिप्पणी, जिसका ज्ञापांक – 430।मु0।, दिनांक 21।04। 2012 है, में पृष्ठ संख्या-20 पर पारा संख्या-03 में मंतव्य दिया है कि -‘‘ अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण के क्रम में आए तथ्यों, प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर प्रथम दृष्टया यह कांड सत्य प्रतीत होता है । पर्यवेक्षण के क्रम में अभियोजन पक्ष तथा बचाव पक्ष की ओर से प्राप्त सभी दस्तावेजों का संबंधित कार्यालयों से सत्यापन एवं कतिपय बिन्दुओं के आलोक में गहन अनुसंधानोपरांत ही अभियुक्तिकरण के बिन्दु पर निर्णय लेना श्रेयष्कर प्रतीत होता है ।‘‘

।3। यह कि पुलिस अधीक्षक ।मुंगेर। ने अपने प्रतिवेदन संख्या-2 ,जिसका ज्ञापांक संख्या- 1705। सी0आर0, दिनांक – 30।04।2012 है, में पृष्ठ संख्या- 07 पर पारा -03 में लिखा है -‘‘ उपाधीक्षक के मंतव्य से सहमत होते हुए अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया जाता है कि पर्यवेक्षण-टिप्पणी में दिए गए सभी अनुदेशों का अनुपालन त्वरित गति से पूर्ण करते हुए सात दिनों के अन्दर अद्यतन कांड दैनिकी समर्पित करें । साथ ही, पु0 नि0। उपा0 अनुपालन सुनिश्चित करायें तथा पर्यवेक्षण-टिप्पणी में दिए गए अनुदेशों का अनुपालन पूर्ण कराते हुए अभियुक्तिकरण के बिन्दु पर स्पष्ट निर्णय लेकर अद्यतन प्रतिवेदन समर्पित करें । ‘‘

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।4। पुलिस अधीक्षक ।मुंगेर। के स्तर से प्रतिवेदन-02 जारी होने के बाद कोतवाली थाना कांड संख्या-445। 2011 की प्रथम नामजद अभियुक्त श्रीमती शोभना भरतिया और दूसरे नामजद अभियुक्त दैनिक हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर ने माननीय पटना उच्च न्यायालय में क्रिमिनल मिससेलिनियस नम्बर – 2951।2012 और क्रिमिनल मिससेलिनियस नम्बर – 16763।2012 दायर किया और प्राथमिकी रद्द करने की प्रार्थना कीं । पटना उच्च न्यायालय ने दोनों मामलों में 17 दिसंबर 2012 को फैसला सुनाया और अभियुक्तों की प्राथमिकी रद्द करने की मांग को रद्द कर दीं और कांड की जांच तीन माह में पूरा करने का आदेश दिया ।

।5। यह कि माननीय पटना उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में पारा नम्बर -12 में लिखा है कि –‘‘ अभियुक्तों ने दी प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867‘‘ की धाराएं 5-।2 सी।,3 और 19 सी का पालन किया है या नहीं ? विवादपूर्ण मामला है । यह और भी अधिक प्रासांगिक हो जाता है कि मुंगेर के जिला पदाधिकारी के 27 सितम्बर 2012 के पत्र से जिसमें जिला पदाधिकारी।मुंगेर । ने पटना उच्च न्यायालय को दैनिक हिन्दुस्तान के मुंगेर संस्करण के संबंध में लिखा है कि –

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‘‘मैंने एक ही तिथि के भागलपुर, मुंगेर और लखीसराय जिलों के लिए दैनिक हिन्दुस्तान के अलग-अलग जिलाबार संस्करणें की मूल कांपियां प्राप्त की हैं । तीनों संस्करणों में एक ही संपादक, एक ही प्रकाशक, एक ही मुद्रक, एक ही फोन नम्बर, एक ही आर0एन0आई0 नम्बर हैं । इस प्रकार, एक ही रजिस्ट्रेशन और रजिस्ट्रेशन नम्बर पर भिन्न-भिन्न -कन्टेन्ट ।समाचार। को मुद्रित , प्रकाशित और वितरित भिन्न-भिन्न जिलों में किया जा रहा है । चूंकि, ‘कन्टेन्ट ‘ भिन्न-भिन्न हैं, इसीलिए सभी संस्करणों को अलग-अलग अखबार समझे जायेंगें । और सभी के लिए अलग-अलग रजिस्ट्र्ेशन नम्बर होने चाहिए । लेकिन इन तीनों संस्करणों के लिए एक ही रजिस्ट्र्ेशन नम्बर हैं ।

।6। पटना उच्च न्यायालय में कानूनी शिकस्त खाने के बाद कांड की प्रथम नामजद अभियुक्त शोभना भरतिया ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन नं0- 1603।वर्ष 2013 दायर कीं और सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में मुंगेर कोतवाली कांड संख्या- 445। 2011 में पुलिस अनुसंधान और अदालती काररवाई पर अंतिम आदेश तक अंतरिम रोक लगा दीं।

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।7। यह कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में 11 जुलाई, 2018 को आदेश पारित करते हुए अपीलकर्ता श्रीमती शोभना भरतिया के स्पेशल लीव पीटिशन ।क्रिमिनल। -1603 । 2013, जो बाद में क्रिमिनल अपील- 1216 । 2017 में तब्दील हो गया, को खरिज करते हुए पुलिस अनुसंधान और अदालती काररवाई पर लगी रोक हंटा दीं ,कोतवाली कांड संख्या-445। 2011 में पुलिस अनुसंधान जल्द से जल्द पूरा करने का आदेश दिया । माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता के पक्ष में कोई राहत देने संबंधी मंतव्य नहीं दिया।

।8। माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में दिनांक 23 जुलाई, 2018, 07 अगस्त, 2018 और 13 अगस्त, 2018 को मैंने श्रीमान् पुलिस अधीक्षक ।मुंगेर। श्री गौरव मंगला को आवेदन देकर पुलिस अनुसंधान पूरा करने और अंतिम जांच प्रतिवेदन समर्पित करने हेतु अनुरोध किया जिसके आलोक में कार्यवाही प्रारंभ करने से पूर्व बिहार सरकार ने उन्हें विशेष प्रशिक्षण हेतु लंबी छुट्टि पर भेज दिया।

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।9। यह कि इस बीच प्रभारी पुलिस अधीक्षक ।मुंगेर । श्री बाबू राम से मैंने इस कांड में पुलिस अनुसंधान पूरा करने और अंतिम जांच प्रतिवदेन समर्पित करने का अनुरोध किया क्योंकि इस दौरान कांड के दर्जनों अनुसंधानकत्र्ताओं का स्थानान्तरण हो चुका है ।

।10। यह कि श्रीमान् को बता दूं कि इस कांड में तात्कालीन पुलिस उपाधीक्षक श्री ऐ0के पंचालर की पर्यवेक्षण टिप्पणी, तात्कालीन पुलिस अधीक्षक श्री पी0कन्नन के प्रतिवेदन- 02 के द्वारा दस्तावेजी साक्ष्योंके साथ-साथ माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर मुंगेर के तात्कालीन जिला पदाधिकारी।मुंगेर। श्रीकुलदीप नारायण के द्वारा माननीय पटना उच्च न्यायालय को समर्पित जांच प्रतिवेदन और इस कांड में अभियोजन के पक्ष में सूचक के अतिरिक्त तीन स्वतंत्र गवाहों के प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज वयानों के अधार पर कांड के सभी अभियुक्तों के विरूद्ध लगाए गए सभी आरोप ‘सत्य‘ पाए गए हैं।

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।11। यह कि जांच के दौरान तात्कालीन पुलिस अधीक्षक ।मुंगेर। श्री वरूण कुमार सिन्हा के द्वारा भी प्रतिवेदन-03 जारी किया गया जिसका ज्ञापांक 3500।सी0आर0, दिनांक 21 जून, 2015 है ।प्रतिवेदन-03 में मुख्य अभियुक्त श्रीमती शोभना भरतिया के संबंध में की गई टिप्पणी दस्तावेजी साक्ष्य के विरूद्ध और संदिग्ध है ।

।12। यह कि हाल में तात्कालीन पुलिस अधीक्षक।मुंगेर। श्री बाबू राम के द्वारा जारी प्रतिवेदन-04 से द प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एकट, 1867 के उल्लंघन के मामले में दी गई जांच रिपोर्ट से न्याय की हत्या हुई है। प्रतिवेदन-04 में पुलिस अधीक्षक श्री बाबू राम ने अंतिम पृष्ठ -05 के पारा -02 में अपना अंतिम मतव्य दिया है कि — ‘उपरोक्त विश्लेषण से ऐसा प्रतीत होता है कि अभियुक्तों के द्वारा पी0आर0बी0 एक्ट के प्रावधानों का उल्न्लंघन कर भागलपुर और मुंगेर संस्करणों का प्रकाशन किया गया है, पी0आर0बी0एक्ट के प्रावधानों के आलोक में सही होना प्रतीत नहीं होता है।’

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पुलिस अधीक्षक श्री बाबू राम की इस टिप्पणी से न्याय ही हत्या हुई है निम्नलिखित कानूनों के प्रावधाानों, प्रेस-रजिस्ट्रार ।नई दिल्ली। के दिशा-निर्देशों, माननीय उच्च न्यायालय के मंतव्य और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर तात्कालीन जिला पदाधिकारी की जांच रिपोर्ट के आलोक में–

यह कि दैनिक हिन्दुस्तान के भागलपुर और मुंगेर संस्करणों के रजिस्ट्रेशन नम्बर और सर्टिफिकेट आफ रजिस्ट्रेशन की कानूनी बाध्यता कानून के प्रावधानों में क्या है, मैं श्रीमान् के अवलोकनार्थ क्रमबार प्रस्तुत कर रहा हूं ।

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।ए0। यह कि ‘‘ दी प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 भारत वर्ष में प्रिंटिंग प्रेस और अखबार के मुद्रण और प्रकाशन को विनियमन। रेगुलेट। करता है ।

।बी0। यह कि इस एक्ट में धारा -05 में स्पष्ट कानूनी प्रावधान है कि भारत वर्ष में एक्ट में दिए गए कानूनी प्रावधानो के पालन के बिना कोई भी अखबार किसी भी कीमत पर प्रकाशित नहीं होंगें।

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।सी0। यह कि एक्ट की धारा -5।3। में अखबार के नए संस्करण का स्पष्ट प्रावधान है । धारा -05।3। में प्रावधान है कि -‘ जितनी भी बार मुद्रण और प्रकाशन का स्थान परिवर्तित होता है, उतनी बार नवीन घोषणाएं आवश्यक होंगीं।’

यहां यह बताना जरूरी है कि घोषणा । डिक्लरेशन। का तात्पर्य उस आवेदन से है जिस आवेदन पर प्रेस-रजिस्ट्रार । नई दिल्ली। अखबार के मुद्रक और प्रकाशक को अखबार का रजिस्ट्रेशन नम्बर और सर्टिफिकेट आफ रजिस्ट्रेशन प्रदान करता है ।

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।डी0। यह कि एक्ट में जिस डिकलेरेशन की चर्चा है, उस डिकलेरेशन में कालम नं0-11 में नए संस्करणोंके लिए विशेष कालम की व्याख्या निम्नवत है:-

कृपया बतावें कि क्या घोषणा निम्न के संबंध में है-

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।क। नया समाचार-पत्र, या

।ख। विद्यमान समाचार-पत्र,

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।ग। यदि घोषण ।ख। के अधीन आती है, तो नयी घोषणा दाखिल करने का कारण बतावें ।

।ई0। यह कि द रजिस्ट्रेशन आफ न्यूजपेपर्स । सेन्ट्रल रूल्स् 1956। में अखबार के संस्करण की भी स्पष्ट चर्चा शीर्षक प्रेस रजिस्ट्रार को समाचार -पत्र की प्रतियों का परिदान में किया गया है। यह स्पष्ट लिखा है कि प्रत्येक प्रकाशक अपने समाचार -पत्र के अंक के प्रकाशन के 48 घंटों के भीतर प्रेस-रजिस्ट्रार को डाक द्वारा या किसी संदेशवाहक के द्वारा उस अंक की एक प्रति भेजेगा। परन्तु यह कि जहां किसी समाचार-पत्र के एक ही घोषणा के अधीन एक से अधिक संस्करण प्रकाशित होते हैं और ऐसे किसी संस्करण के अंक के लिए लिया गया फुटकर विक्रय-मूल्य, अथवा उसमें अन्तर्विष्ट पृष्ठों की संख्या अन्य किसी संस्करण के अंक से भिन्न हों, तो ऐसे प्रत्येक संस्करण के अंक की भी एक प्रति उसी प्रकार से प्रेस-रजिस्ट्रार को भेजी जायेगी।

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।एफ0। यह कि प्रेस रजिस्ट्रार ।नई दिल्ली। ने अपने कार्यालय के सरकारी वेबसाइट पर अखबार के रजिस्ट्रेशन से संबंधित गाईडलाइन्स् जारी कर रखा है। प्रेस-रजिस्ट्रार ।नई दिल्ली। ने रजिस्ट्रेशन के लिए गाईडलाइन्स में स्टेप-02 के तीसरे और चौथे पारा में प्रेस रजिस्ट्रार ।नई दिल्ली। ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि यदि अखबार के मुद्रण और प्रकाशन का स्थान अलग-अलग जिलों में है, तो दोनों जिलों से अलग-अलग डिकलेरेशन ।रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन। देना होगा। मुद्रक को अखबार के मुद्रण-स्थान वाले जिले में और प्रकाशक को अखबार के प्रकाशन वाले जिले में ‘डिकलेरेशन’ देना पड़ेगा।

।एफ0। यह कि प्रेस -रजिस्ट्रार । नई दिल्ली। ने अपने कार्यालय के सरकारी वेबसाइट पर टाइट्ल्स – वेरिफिकेशन के लिए गाइड्लाइन्स में कालम नं0- 05 के पारा नं0-6।4। में स्पष्ट उल्लेख किया है कि ‘एक ही राज्य में यदि पहले से प्रकाशित अखबार का दूसरे जिलों में नया संस्करण का प्रकाशन करना है, तो टाइटल-वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं है। प्रकाशक सीधे प्रेस-रजिस्ट्रार (नई दिल्ली) को आवश्यक कागजात के साथ नए संस्करण के लिए आवेदन कर सकता है।’

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।जी0। यह कि माननीय पटना उच्च न्यायालय के क्रिमिनल मिससेलिनियस नम्बर – 2951। 2012 और क्रिमिनल मिससेलिनियस नम्बर – 16763। 2012, जिसमें नामजद अभियुक्त शोभना भरतिया और शशि शेखर ने कोर्ट से मुंगेर कोतवाली कांड संख्या- 445। 2011 को रद्द करने की मांग की थीं , में न्यायमूर्ति माननीय श्रीमती अंजना प्रकाश ने 17 दिसंबर 2012 को फैसला सुनाया और अभियुक्त की एफ0आई0आर0 रद्द करने की मांग को न्यायालय ने रद्द कर दीं । माननीय न्यामूर्ति ने अपने फैसले में पारा नम्बर -12 में अपना मंतव्य भी दिया है इस प्रकार ‘‘ अभियुक्तों ने द प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराए 5- 2 सी0, ।3। और 19 सी0 का पालन किया है या नहीं ? विवादपूर्ण मामला है । यह और भी प्रासांगिक हो जाता है मुंगेर के जिला पदाधिकारी के 27 सितम्बर 2012 के पत्र से जिसमें जिला पदाधिकारी। मुंगेर ने पटना उच्च न्यायालय को दैनिक हिन्दुस्तान के मुंगेर संस्करण के संबंध में लिखा है कि –

‘मैंने एक ही तिथि के भागलपुर, मुंगेर और लखीसरय जिलों के लिए दैनिक हिन्दुस्तान के अलग-अलग जिलाबार संस्करणों की मूल कापियां प्राप्त की हैं। तीनों संस्करणों में एक ही संपादक, एक ही प्रकाशक, एक ही मुद्रक, एक ही फोन नम्बर, एक ही आरएनआई नम्बर हैं। इस प्रकार, एक ही रजिस्ट्रेशन और रजिस्ट्रेशन नम्बर पर भिन्न-भिन्न ‘कन्टेन्ट’ ।समाचार। को मुद्रित, प्रकाशित और वितरित भिन्न-भिन्न जिलों में किया जा रहा है। चूंकि ‘कन्टेन्ट’ भिन्न-भिन्न हैं, इसीलिए सभी संस्करण अलग-अलग अखबार समझे जाएंगें और सभी के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन नम्बर होने चाहिए। लेकिन इन तीनों संस्करणों के लिए एक ही रजिस्ट्रेशन नम्बर हैं।’

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उपर्युक्त वर्णित कानून की धाराओं, प्रेस-रजिस्ट्रार ।नई दिल्ली। के संस्करण से संबंधित सरकारी दिशा-निर्देशों, पटना उच्च न्यायालय के द्वारा दैनिक हिन्दुस्तान से जुड़ी जिला पदाधिकारी ।मुंगेर। की जांच रिपोर्ट और माननीय उच्च न्यायालय के मंतव्य के दस्तावेजी-साक्ष्यों के बावजूद माननीय पुलिस अधीक्षक श्री बाबू राम ने अपने प्रतिवेदन-04 में इस एक्ट के उल्लंघन के संबंध में जो मंतव्य दिया है वह न्याय की हत्या है।

अतः श्रीमान् से विनम्र प्रार्थना है कि उपरोक्त वर्णित तथ्यों, कानून के प्रावधानों और माननीय पटना उच्च न्यायालय में समर्पित मुंगेर के श्रीमान् डी0एम0 की जांच रिपोर्ट और माननीय उच्च न्यायालय के मंतव्य के आलोक में कांड में अभियुक्तों के द्वारा पी0आर0बी0 एक्ट, 1867 के उल्लंघन के मामले की पुर्नजांच वर्तमान पुलिस अधीक्षक श्री गौरव मंगला से शीघ्र कराने की अनुमति देने की कृपा करेंगें जिससे मीडिया की छत्रछाया में देश का खजाना लूटने वालों के विरूद्ध दंडात्मक काररवाई हो सके।

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आपका विश्वासी
मंटू शर्मा
वादी
मोबाइल 9431828239

मुंगेर से अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट.

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https://www.youtube.com/watch?v=uLygDrXpTUs
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