रविंद्र सिंह-
इफको बोर्ड बना माफिया.. केंद्रीय रजिस्ट्रार (सहकारिता) आशीष भूटानी ने 5 अक्टूबर 2017 को आदेश जारी कर कहा है देश भर की सभी मल्टीस्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी केंद्रीय सतर्कता आयोग की परिधि में जांच के लिए आती हैं, यह कार्यालय ज्ञाप संख्या 399/9/2010/एबीडी-3, 1 फरवरी 2013 को पेंशन एवं कार्मिक मंत्रालय ने जारी किया था.
उक्त ओ.एम को इफको बनाम यूनियन ऑफ इंडिया याचिका योजित कर दिल्ली उच्च न्यायालय में अवस्थी ने चुनौती दी थी जिसमें 16 अगस्त 2016 को उच्च न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए CVC की निगरानी में सभी समिति का आना जरूरी है. सहकारिता रजिस्ट्रार, अवस्थी से सांठ-गांठ करते हुए उक्त आदेश 14 माह तक जारी करने में कंजूसी करते रहे हैं.
इफको बोर्ड 1967 में श्रीलाल शुक्ल द्वारा लिखी गई नॉवेल राग दरबारी में (लेखक) ने भ्रष्ट तंत्र का चित्रण उस समय की व्यवस्था के अंतर्गत किया था. उक्त नॉवेल के पढ़ने के बाद भ्रष्ट, बेईमान, अत्याचारी और दबंग सब कुछ छोड़कर सामान्य जीवन व्यतीत करने पर ध्यान देंगे, ऐसी मंशा भाप कर ही लेखक ने पूरी ईमानदारी और तटस्थता के साथ शब्दों में उतारा होगा. उन्हें इस बात का भी यकीन नहीं होगा कि वह जिस तरह से सहकारी समिति में प्रबंधन द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार का जिक्र कर रहे हैंवह किस तरह से संस्था लोकहित के कार्य करने के बजाए राजनीतिक और भ्रष्ट संस्कृति के चलते किसानों के नाम पर चंद लोगों की जागीर बनकर भला कर रही है.
भ्रष्टाचार प्रेमी उदय शंकर अवस्थी आज से 50 वर्ष पहले लिखी गई नॉवेल को अपनी कार्य संस्कृति में उतारते हुए नेता, सरकार, राजनीतिक दलों व नौकरशाहों को अपनी संस्कृति के अनुरूप कार्य करने के लिए लंबे समय से तरह-तरह के राग अलापते आ रहा है. यह बात श्री शुक्ल को स्वप्न में भी पता नहीं होगी कि उनका दामाद भ्रष्टाचार पर वार करने वाली लेखनी को ढ़ाल बनाकर अपने कुकर्मों को छुपाने का काम करेगा. दिलचस्प बात यह है कि श्री शुक्ल के नाम पर प्रत्येक वर्ष 15 दिसंबर को भव्य साहित्य सम्मान समारोह कराने का इरादा क्या रहा है?
यह सच्चाई समीक्षा कर मीडिया भी देश को बताने में पूरी तरह विफल रहा है. आजादी के तुरंत बाद जिस तरह से गांव शिवपाल गंज में वैद्य जी सहकारी समिति में भ्रष्टाचार कर अपने हित साधते रहे भ्रष्ट व्यवस्था के सामने हर किसी को मजबूर कर उसकी आवाज दबाते रहे.
उसी तरह अवस्थी भी सरकार, नेता, मीडिया का राग अलापते हुए 25 साल से अपने हित साधने में सफल हैं. गरीब किसानों की संस्था से उनका रत्ती भर भी फायदा होता दिखाई नहीं दे रहा है. अगर किसान खेतों में उर्वरक बुवाई करता है तो बाजार भाव में खरीदता भी है कहने के लिए किसानों के अंश धन से उक्त इफको दिन दोगुना रात चौगुना विकास कर विश्व स्तर की संस्था बन चुका है. क्या बोर्ड देश के किसानों को यह बताएगा, उसके अंश धन पर 50 साल में कितना डिविडेंट दिया गया है.
श्रीलाल शुक्ल सम्मान समारोह के नाम पर बोर्ड करोड़ों का बजट खर्च कर रहा है इससे गरीब किसानों की जिंदगी में किस तरह का सुधार हुआ है यह देश जानना चाहता है और बोर्ड को बताना चाहिए. यही समारोह खेतों में तन उघारे काम करने वाले किसानों को प्रोत्साहन स्वरूप सम्मान देता तो उनके जीवन में अव्श्य बदलाव दिखाई देता. इसके अलावा इफको के जन्मदाता श्री पॉल पोथन एवं बीबी सिंह के सम्मान में दिया जाता तो देश के 5.5 करोड़ किसानों को भी समझ आता यह पुरस्कार वाकई इपको को सम्मान दिला रहा है. इफको की साधारण वार्षिक सभा के अवसर पर निदेशक मंडल सदस्य, फंक्शनल निदेशक एवं डेलीगेट्स की मौजूदगी में संसद को ललकारते हुए अवस्थी ने कहा मैं सरकारें बनाता और गिराता हूं, मैं सरकार से नहीं हूं बल्कि सरकार मुझसे है.
अवस्थी के यह विचार सुनकर देश भर से आए सभी दंग रह गए. इससे साफ होता है अवस्थी अपनी चतुराई से रेनकोट पहनकर नहाने वाले नेताओं का एक्स-रे उनके बेडरूम तक रखा है. अगर कोई नेता बड़े बोल बोलेगा तो उसका चरित्र समाज के सामने रखकर उसकी राजनीतिक हत्या कर दी जाएगी. इस तरह बोर्ड किसान, सरकार और देश विरोधी निर्णय लेकर इफको को आर्थिक संकट में डालते जा रहा है.
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय चीख-चीख कर कह रहा है मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट बनाते समय संसद की ऐसी मंशा कभी नहीं रही है कि इफको बोर्ड बल पूर्वक, गैर कानूनी, अवैध प्रक्रिया अपना कर उपनियम 6-7 में परिवर्तन कर लेगा और कृषि सचिव बोर्ड भंग न कर सरकार का रिसीवर बैठाने के बजाए आंखें बंद कर रातो रात बायलॉज पंजीकृत कर कानून की मुख्य धारा से जोड़ देंगे.
यह बात बिल्कुल सच है कि संसद भी सहकारिता माफियाओं के मंशा के अनुरूप निर्णय लेती आई है और इस पवित्र लोकतंत्र के मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा और चर्च में धर्म और नेशन फर्स्ट के कार्य करने की बजाए अधर्मी की मदद की जा रही है. उक्त अधर्म के कार्य में सहकारिता माफिया भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोगी है. इसलिए संसद भी इन माफियाओं के सामने नत-मस्तक है वरन् अब तक राजनीतिक भंडाफोड़ कब का हो गया होता.
बरेली के पत्रकार रविंद्र सिंह द्वारा लिखित किताब ‘इफ़को किसकी?’ का सातवां पार्ट.
जारी है…
छठवां पार्ट.. इफको की कहानी (6) : उदय शंकर अवस्थी के खिलाफ बोलने वाले का IFFCO में हुक्का-पानी बंद हो जाता है!
Chandan kumar
January 26, 2024 at 9:37 pm
I have also news of iffco
How make benefits behalf push sells of nano urea
With live examples