रविंद्र सिंह-
इफको पर पूरी तरह से माफियाओं का एकाधिकार कायम है. यह किसानों के अंश धन को बढ़ाने के बजाए इफको के शेयर बेच-बेच कर मुनाफा दिखा रहे हैं. जब सरकार इनके काले कारनामे की जांच बैठाती है तो देश भर में सहकारिता के 50 वर्ष मनाने के नाम पर नेताओं पर धन खर्च करते हैं, किसानों के मसीहा होने का दावा करते हैं.
इसके पीछे उदय शंकर का उद्देश्य है अगर सरकार कार्रवाई का मन बनाती है तो देश के किसान भड़क जाएंगे. हाल ही में डिजिटल प्लेटफार्म इफको ई-बाजार के माध्यम से किसानों को फायदा पहुंचाने के नाम पर धन का घोटाला किया जा रहा है. इसी तरह CSR के तहत भारतीय कृषि वानिकी विकास सहकारी लिमिटेड एक कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में देश में विशेष रूप से गरीब ग्रामीण समुदाय आदिवासी और महिलाओं को अपने स्थायी सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अलग-अलग सामाजिक और CSR की पहल करने वाली परियोजनाओं का कार्य कर रही है.
यह बात इफको द्वारा कही जा रही है सही मायने में इफको द्वारा किसानों के विकास की यात्रा की राह को पूरी तरह से भटका दिया है. किसानों के नाम पर तरह-तरह की योजनाएं संचालित कर देश भर में धन का दोहन किया जा रहा है. इसी तरह जलवायु परिवर्तन, सामुदायिक स्वास्थ्य, कौशल विकास, सुरक्षित पेयजल, महिला सशक्तिकरण, कृषि विकास, पशुधन विकास, सामुदायिक संस्थान विकास नाम पर यदा कदा सेमीनार और कार्यक्रम का आयोजन कर फोटो खींच ली जाती है. इसके बाद प्रचार प्रसार किया जाता है परंतु जमीनी स्तर पर उक्त योजनाएं सफलता पूर्वक संचालित होती दिखाई नहीं दे रही हैं.
निदेशक मंडल सदस्यों पर धन खर्चा दिखाने के लिए तरह-तरह के नवाचार अपनाए जा रहे हैं. देश भर में फैले सहकारिता नेटवर्क के तहत राज्य सरकारों के नियंत्रण वाले पीसीएफ फेडरेशन के अध्यक्ष को इफको का निदेशक मंडल में सदस्य प्राइमरी सहकारी समिति सदस्यों द्वारा चुनाव प्रक्रिया पूरी करते हुए चुने जाते हैं. इसी तरह निजी बहु-उद्देश्यीय सहकारी समिति से आने वाले निदेशक का अपनी समिति पर एकछत्र अधिकार होता है.
सन् 2002 से अब तक निदेशक मंडल के किसी सदस्य ने संस्था में चल रही मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए आवाज नहीं उठाई है. इसके पीछे मुख्य बात यह है इफको की मार्केटिंग टीम चुनाव के समय अघोषित तौर पर मनचाहे सदस्यों को चुनाव जिताकर लाने में योगदान निभाते रहे हैं.
वैसे भी सहकारी समिति डेलीगेट, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में वही लोग सफल होते हैं जो सत्ता के नजदीक रहते हैं. सरकार इन्हें संस्थाओं में खाने पीने और मौज मस्ती करने का अवसर प्रदान करती रही हैं. निदेशक मंडल का जो भी सदस्य भ्रष्ट उदय शंकर का विरोध करने का मन बनाता है उसे पद से हटा दिया जाता है. इस तरह इफको निदेशक मंडल में लोकतंत्र कायम होने की बात फाइलों और निदेशक मंडल तक ही सीमित है. समय-समय पर सदस्य राज्य, पीसीएफ से किसान सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए इफको में आते रहे हैं वे निदेशक मंडल में आने पर अपने हित साधने में कैसे लग जाते हैं, यह भी सोचनीय विषय है?
चुनाव के दौरान कोई भी दल जनता के बीच जाकर सरोकारी मुद्दों के आधार पर वोट मांगता है. जनता की भावनाओं से खेलता भी है और जब उसकी सरकार सत्ता में आ जाती है तो जनता को भूलकर अपने मनपसंद अधिकारियों की तैनाती दिलवाकर पैसे की कमाई की जाती है. फिर यही जनता अपने वोट से चुनी गई सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर विरोध जताती है. इसी तरह से इफको निदेशक मंडल अपना व प्रबंधन का ख्याल रखता है.
सरकार के आंखों में धूल झोंकने के लिए 36666 समिति 5.5 करोड़ किसानों के इफको की बात करता है. गरीब किसानों के बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं, बीमारी की हालत में इलाज नहीं हो पाता है. वह पेट से भूखे और तन से नंगे होकर दिन-रात खेतों में मेहनत करते हैं तब जाकर उसे दो वक्त की रोटी मिल रही है. वहीं उसके अंश धन से इफको का 31 सदस्यीय महानिदेशक मंडल विदेश जाकर समय-समय पर पिकनिक मनाता रहा है. इफको की यह सबसे बड़ी विडम्बना है.
उल्लेखनीय है वर्तमान में डेलीगेट्स द्वारा निदेशक मंडल के सदस्य चुने जाते हैं. निदेशक मंडल मनमाफिक सदस्यों को जिताने के लिए उदय शंकर अवस्थी इफको की पूरी की पूरी मार्केटिंग टीम प्रचार-प्रसार एवं खरीद फरोख्त करने के लिए उतारते आए हैं. इस तरह 80 फीसदी सदस्य वे जीत कर आते हैं जिन्हें उदय शंकर अवस्थी चाहते हैं.
अब निदेशक मंडल में आने के बाद कोई भी सदस्य उदय शंकर के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करता है तो उसे विदेश घुमाने और पैसा देकर मुंह बंद कर दिया जाता है. आने वाले चुनाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए उक्त सदस्य को चुनाव में पराजय का मुंह दिखाकर बाहर कर दिया जाता है. इफको में प्रबंधन के अलावा निदेशक मंडल पर भी उदय शंकर का ही कब्जा है.
बरेली के पत्रकार रविंद्र सिंह द्वारा लिखित किताब ‘इफ़को किसकी?’ का छठवां पार्ट.
जारी है…
पांचवा पार्ट.. इफको की कहानी (5) : सुरेंद्र जाखड़ की हत्या कर IFFCO प्रबंधन ने उनके नाम से छात्रवृत्ति योजना चला दी!