राणा यशवंत-
टीवी न्यूज में जब आप किसी खबर पर लाइव होते हैं तो तबतक स्टैंड बाई यानी प्रतीक्षारत होते हैं, जबतक स्टूडियो से एंकर आपसे सवाल नहीं कर लेता. इस दौरान आप स्टूडियो में चल रही चर्चा या फिर लाइव सोर्स पर जो लोग जुड़े होते हैं, उनको सुनते रहते हैं. आप फ्रेम से बाहर नहीं जा सकते औऱ ना उस समय किसी गैर वाजिब, गैर जरुरी बात की तरफ ध्यान दे सकते हैं. अगर आप ऐसा करना भी चाहें तो पीसीआर से आपके कान में चीखती हुई आवाज आ सकती है – स्टैंड बाई रहो!
आप कैमरे में देखते हुए खड़ा रहते हैं, लेकिन कुछ भी कहेंगे तो ऑन एयर जा सकता है इस बात का ख्याल रखते हैं. हां, जब सवाल आप तक आ जाता है औऱ आप बोलना-दिखाना शुरु करते हैं तो फिर मैदान आपके लिए खुल जाता है. ये एक तकनीकी मामला है, जिसकी समझ टीवी के लोगों को रहती है. मगर जिनको नहीं है, उनके लिए अंधे के लिए हाथी वाली कहानी है. पूंछ पकड़े तो सांप कहे, सूंड पकड़े तो खंभा.
इंडिया न्यूज की एंकर शुभ्रा सुमन का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो देर तक चुपचाप खड़ी हैं और आसपास खड़े लोग उन्हें जाने को कह रहे हैं. शुभ्रा एकसीध कैमरे में चुपचाप देख रही हैं, बीच-बीच में सिर हिला रही हैं और आसपास के लोगों को लग रहा है कि वो चुप हैं क्योंकि उनके पास जवाब नहीं है. कहा ये जा रहा है कि किसानों ने इंडिया न्यूज की एंकर को भगाया. इसके साथ बदमगजी, कुढमगजी और कुचक्री कुंठाओं के शिकार लोगों का वमन भी चल रहा है.
वैसे भीड़ का अपना कोई चेहरा नहीं होता है और उसकी अपनी कोई आवाज भी नहीं होती, लेकिन शुभ्रा के आसपास से जो आवाज आ रही है वो उन किसानों की तो नहीं ही हो सकती जो अपनी मांगों को लेकर भरदम लड़ने का एलान कर रहे हैं.
खैर, मेरा इससे कोई लेना देना नहीं है. लेकिन जो वीडियो वायरल हो रहा है, वो आधा सच है. दरअसल उस समय शुभ्रा इंडिया न्यूज के सहयोगी अंग्रेजी चैनल ‘न्यूज एक्स’ पर लाइव थीं. जिस समय वो चुपचाप खड़ी दिख रही हैं, उस दौरान एंकर दूसरे रिपोर्टर से बात कर रहा था औऱ वो स्टैंड बाई थीं. जब उसने शुभ्रा से सवाल किया तो फिर उन्होंने अपनी बात रखनी शुरु की औऱ वहां के लोगों से बात करने लगीं.
वो चाहतीं तो जब आसपास से आवाजें आ रही थी, तब भी उन लोगों का जवाब दे सकती थी, लेकिन वो नहीं चाहती थीं कि कुछ लोगों की वजह से किसान आंदोलन के बारे में ये राय बने कि इसमें शरारती तत्व भी घुसपैठ कर गए हैं. मामला लाइव था. और इसके लिए शुभ्रा बधाई की पात्र हैं.
मैं बदहवासी में चलाए जा रहे उस आधे वीडियो का दूसरा आधा भी हिस्सा रख रहा हूं, ताकि पूरी बात समझ आ सके. कुछ लोगों के किए का खामियाजा समान पेशे में होने के चलते दूसरों को भी उठाना पड़ जाता है, लेकिन कुछ भी कहने से पहले कम से कम अपने विवेक को मौका जरुर देना चाहिए.
वीडियो लिंक-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10215398211303108&id=1671690176
Manoj Kumar
December 7, 2020 at 7:51 pm
राणा यशवंत जी , आपको मालूम ही होगा कि राणा प्रताप को हराने के लिए राजपूत ही अकबर की तलवार बनकर , अकबर के सहायक बनकर अकबर के पक्ष में राणा प्रताप के खिलाफ लड़े थे , लकड़ी को कुल्हाड़ी तब तक नहीं काट पाएगी जब तक लकड़ी का वेंट कुल्हाड़ी में ना पड़ा हो । आज का राणा भी , आज का हिन्दू भी ,अपने स्वार्थों के वशीभूत होकर , अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता अथवा अपने राजनैतिक स्वार्थों के वशीभूत होकर कुल्हाड़ी का वेंट बन कर हिन्दू समाज का अपमान करने वालों के साथ खड़े होते हैं भारत के टुकड़े टुकड़े करने वालों का बचाव करते हैं, देश को व हिन्दुओं को मजबूत करने वालों को कुतरकों का सहारा लेकर बेहिसाब गरियाते हैं चीख पुकार मचाए हुए हैं , समझ रहे हैं ना राणा जी कि मै आपसे क्या कह रहा हूं स्पष्ट कहूं कि , ऐसा लगता है कि आपने भी अपने किन्हीं निजी उद्देश्यों के पूर्ति की खातिर राष्ट्रवादी ताकतों से लड़ने के लिए कोई सुपारी ली हुई है । आपने इतिहास कोई सबक लिया या नहीं ?