गुरदीप सिंह सप्पल-
तीन भारतीय वैज्ञानिकों ने हिम्मत कर दुनिया को जानकारी दे दी, लेकिन वो भी अंतराष्ट्रीय एजेन्सी रायटर की मार्फ़त दी है। भारतीय मीडिया पर न तो विश्वास बचा है, न ही उनसे कुछ कहने की हिम्मत बची है।
इन भारतीय वैज्ञानिकों ने बताया कि सरकार द्वारा वैक्सीन के दो डोज़ के बीच जो समय बढ़ाया गया था उसे वैज्ञानिकों के उस पैनल की स्वीकृति प्राप्त नहीं थी जिसे खुद सरकार ने अपना सलाहकार चुना है!
ज़रा सोचें, इन वैज्ञानिकों के विवेक पर कितना दबाव होगा? कल्पना करें कि उनका ज़मीर एक ऐसी नीति का हिस्सा होने पर कितना झकझोरता होगा, जो अवैज्ञानिक है और लोगों की जान से खेल रही है।
इसीलिए तमाम ख़तरे उठा कर भी उन्होंने इस बात को सार्वजनिक करने का फ़ैसला लिया।
सच, हर किसी का ज़मीर मरा नहीं है!
सौमित्र रॉय-
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर ने सरकार के सलाहकार पैनल के तीन सदस्यों के हवाले से बताया है कि भारत सरकार ने वैज्ञानिक समूह की सहमति के बिना ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) वैक्सीन की दो खुराक के बीच के अंतर को दोगुना कर दिया था।
13 मई को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच का गैप 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया था।
मैंने उसी दिन लिख दिया था कि सरकार का यह फैसला अवैज्ञानिक और तथ्यहीन है।