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IRS2017 : हे अखबार वालों, सुधर जाइए… दुनिया बहुत तेजी से डिजिटल हो रही है

Harsh Vardhan Tripathi : हिन्दी ही है हिन्दुस्तान… बाकी सब भ्रम है…  इस भ्रम को तोड़ना जरूरी है… देश के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबारों की सूची में 20 अखबारों में सिर्फ एक अंग्रेजी का अखबार है, टाइम्स ऑफ इंडिया। महानगरों में जिसे पढ़ते लगता है कि, सब यही अखबार पढ़ते हैं। और, हिन्दी ही है हिन्दुस्तान, जब मैं कह रहा हूं तो, इसका सीधा सा मतलब है, हर क्षेत्र की अपनी भाषा यानी हिन्दुस्तानी।

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Harsh Vardhan Tripathi : हिन्दी ही है हिन्दुस्तान… बाकी सब भ्रम है…  इस भ्रम को तोड़ना जरूरी है… देश के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबारों की सूची में 20 अखबारों में सिर्फ एक अंग्रेजी का अखबार है, टाइम्स ऑफ इंडिया। महानगरों में जिसे पढ़ते लगता है कि, सब यही अखबार पढ़ते हैं। और, हिन्दी ही है हिन्दुस्तान, जब मैं कह रहा हूं तो, इसका सीधा सा मतलब है, हर क्षेत्र की अपनी भाषा यानी हिन्दुस्तानी।

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हिन्दी देश की सम्पर्क भाषा है और बड़े हिस्से में आसानी से बोली जाती है। लगभग हर जगह समझी जाती है। भारतीय भाषाओं का अपना जुड़ाव भी है। अंग्रेजी के साथ यह पूरी तरह से गायब होता है। इसका नतीजा होता है कि अंग्रेजी में पारंगत होता बच्चा अपनी भाषा सबसे पहले भूलता है। फिर हिन्दी हो, तमिल, मलयालम, कन्नड़, गुजराती, मराठी, अवधी, भोजपुरी … लेकिन, अगर हिन्दी पढ़ रहा है तो, उसे अपनी मां वाली बोली जरूर याद रहती है।

1- दैनिक जागरण 7,03,77,000

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2- हिन्दुस्तान 5,23,97,000

3- अमर उजाला 4,60,94,000

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4- दैनिक भास्कर 4,51,05,000

5- दैनिक तांती 2,31,49,000

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Manish Shandilya : आज कई अखबारों ने अपनी लोकप्रियता और बुलंदी का दावा किया है। ऐसा आप सब ने आईआरएस के आंकड़ों के हवाले से किया है। आप सबों को बधाई। आगे बढ़ते रहिए। दनदनाते रहिए।और आगे भी अपने खबरों में सही सोर्स बताइए, पूरे कॉन्टेक्स्ट के साथ। आप ये बताइये कि आप जो कह रहे हैं किसके हवाले से कह रहे हैं। साथ ही खबरों में सभी पक्ष बताइये। खबर चाहे किसी गांव-कस्बे की हो या आपके स्टेट-नेशनल ब्यूरो से निकली हो, आप अक्सर अलग-अलग कारणों से ऐसा करने से चुके हुए लगते हैं। नहीं तो दुनिया बहुत तेजी से डिजिटल हो रही है। और इसका असर आप बखूबी जानते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी और मनीष शांडिल्य की एफबी वॉल से.

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#IRS2017

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