पूरे आईटीवी नेटवर्क के खजाने में अमानत में खयानत का माहौल चल रहा हैं। रीजनल से लेकर नेशनल चैनल में काम करने वाले कर्मचारियों का दो से लेकर तीन महिने का पगार बाकी हैं। ऐसी स्थिती में कई कर्मचारी दफ्तर नहीं आते, लोगों की वित्तीय स्थिति चरमरा रही हैं।
एचआर भी स्थिति का जमकर फायदा उठा रहे हैं। बिना पगार दिए एचआर द्वारा लोगों को आफिस आने का दबाव दिया जा रहा है। इसके लिए धमकाया जा रहा है।
नेटवर्क की माली हालत इतनी कंगाल है कि चैनल में काम कर रहे आम लोगों की पगार कब आएगी, उसके ठिकाने नहीं हैं। वैसे भी इस नेटवर्क में एक महीने की पगार ‘चाउं’ कर जाने की नीति आम है! जो लोग रिजाइन कर या नोटिस देकर भी जाते हैं, तब भी फुल एंड फायनल आने की संभावना बहुत कम दिखती है!
नेटवर्क के कई चैनल में काम कर रहे वीडियो एडिटर, आईटी, कोपी एडिटर, एंकर, ग्राफिक्स एडिटर, बुलेटीन प्रोड्यूसर, पीसीआर में काम कर रहे कई लोगों की पगार मारी गई है! ऐसे में जरूरत है शब्दों की शमशीर से सैलरी का इतिहास खंगालकर नेटवर्क के झूठ को सामने लाया जाए।
Krishna Patel
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