कार्रवाई तो दूर, एसएसपी ऑफिस में गायब हो जाता है डीएम का पत्र!
नोएडा : डीएम ऑफिस से एसएसपी कैंप कार्यालय की दूरी कुल 10 कदम होगी। लेकिन इस दूरी तक डीएम की चिट्ठी पहुंचना तो दूर, दो बार गायब हो चुकी है। यह तो एक उदाहरण मात्र है। इसी प्रकार गौतमबुद्धनगर के न जाने कितने फरियादी आए दिन पुलिस से निराश हो रहे होंगे। इस उदाहरण से यह भी पता चलता है कि किस प्रकार पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फेल करने में लगे हैं।
दैनिक जागरण के मुख्य उपसंपादक श्रीकांत सिंह ने 24 फरवरी 2015 को नोएडा के सेक्टर-26 स्थित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कैंप कार्यालय में दैनिक जागरण प्रबंधन के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉक्टर प्रीतेंद्र सिंह ने मामले की जांच का आदेश दिया था और उस समय के दैनिक जागरण के एचआर मैनेजर श्री रमेश कुमावत को बुलाकर पूछताछ की गई थी। उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
तीन एसएसपी आए और गए, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहा। जबकि तत्कालीन दूसरे अधिकारी कहते रहे- ”दैनिक जागरण के खिलाफ कार्रवाई करने की मेरी औकात नहीं है। आप अदालत जाएं, तभी मामला दर्ज हो सकता है।” अंत में थक हारकर उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी एनपी सिंह से मुलाकात की, जिन्होंने कार्रवाई का आदेश भी दिया। लेकिन एसएसपी आफिस में बताया गया कि वहां ऐसा कोई पत्र मिला ही नहीं है।
पिछले 21 अप्रैल को उन्होंने दोबारा जिलाधिकारी एनपी सिंह से मुलाकात की और उनसे फिर पत्र (डिस्पैच नंबर-3004/एचडी 4117-21-04-17) लिखवाया। इस बार उन्होंने पत्र की फोटो कॉपी भी ले ली। जैसी कि आशंका थी, जिलाधिकारी का पत्र न मिलने की बात दोबारा बता दी गई। उस पत्र को यहां अपलोड भी किया जा रहा है।
इससे पहले भी उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मेल के जरिये संपर्क किया था, जिन्होंने कार्रवाई का आदेश दिया था, लेकिन उस समय भी अधिकारियों ने आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसके अलावा आरटीआई के जरिये भी उन्होंने एफआईआर की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी, जिसका गोलमोल जवाब दे दिया गया था।
अब हालत यह है कि गूगल करेंगे तो वहां आपको गौतमबुद्धनबर के एसएसपी का कोई फोन नंबर नहीं मिलेगा। इस हाल में आखिर अपराध पर नियंत्रण कैसे और क्यों हो पाएगा। पुलिस अधिकारी इसी तरह से अन्यायी दैनिक जागरण प्रबंधन के अपराधों को इग्नोर करेंगे तो वह माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश कैसे मानेगा और अपने कर्मचारियों को प्रताडि़त करने से कैसे बाज आएगा। इस मुद्दे पर जनमत तैयार न किया गया और उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष न रखा गया तो आम जनता इसी प्रकार उत्पीड़न और अन्याय झेलने को बाध्य होगी।
Pranshu jain
May 23, 2017 at 11:17 am
इन अखबार वालो ने तो जनता व शासन प्रशासन को अपने पैर की जूती समझ रखा है।
वास्तव में शिकायतकर्ता को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में प्रयास करना चाहिए एवं यदि वहां से भी न्याय न मिले तो हाईकोर्ट जाने से तुरंत कार्यवाही निश्चित ही होनी है..
हार न मानकर प्रयासरत रहे.. अभी न्यायपालिका कमजोर नहीं हुई।