Deepak Sharma : देश में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अगर जनता एक पार्टी खड़ा कर सकती है तो भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जनता क्या अपना एक न्यूज़ चैनल भी शुरू कर सकती है? 48 घंटे पहले फेसबुक पर मैंने ये विचार सार्वजनिक तौर पर रखा था. इस विचार को अपार जनसमर्थन मिला है. इनबॉक्स में सैकड़ों शुभ सन्देश आ रहे हैं और वाल.पर सैकड़ों मित्र इस विचार को हकीकत में बदलने का आग्रह कर रहे हैं. शायद इसलिए इस विचार को अब हम सब मिलकर रणनीति में बदलने जा रहे हैं.
कई पत्रकार, सरकारी अफसर, अधिवक्ता, अभियंता, युवक, अप्रवासी भारतीय और हर क्षेत्र से जुड़े मित्रों ने हर संभव सहयोग देने का वचन दिया है. अमेरिका के न्यूयार्क शहर से लेकर दुबई तक मित्रों ने आर्थिक सहयोग की बात की है. कुछ सॉफ्टवेर इंजिनियर निशुल्क वेबसाइट बनाने की बात कर रहे हैं जिस पर जनसमर्थन को तेजी से बढाया जा सके. दिल्ली के एक मित्र ने न्यूज़ चैनल का लाइसेंस मुफ्त देने की बात की है. भारत सरकार के एक रिटायर्ड सचिव पब्लिक फंडिंग की रूप रेखा तैयार कर रहे हैं. एक कमिश्नर स्तर के अधिकारी दफ्तर के लिए जगह देना का इंतज़ाम कर रहे हैं. बहुत से मित्रों के आग्रह और सहयोग की बातें आप खुद स्टेटस पर आ रहे कमेंट्स में पढ़ सकते हैं.
आजतक के पूर्व एग्जीक्यूटिव एडिटर अमिताभ श्रीवास्तव ने इस मुहीम को लेकर जनता से संवाद करने के लिए वेबसाइट खोलने की बात की है.इस वेबसाइट को उन्होंने INDIASAMVAD नाम दिया है. वेबसाइट के लिए कुछ सॉफ्टवेर इंजिनियर मित्र तैयारी में जुट गये हैं. फिलहाल आप एक अलग ईमेल पर संपर्क कर सकते हैं. अपने विचार हमे इस ईमेल पर भेजें [email protected]
जल्द ही हमसब दिल्ली में मिलकर एक कमेटी गठित करने के लिए बैठक करेंगे. सबकुछ पारदर्शी रहेगा क्यूंकि ये मुहीम ही देश में पारदर्शिता लाने की है. मित्रों मैं साफ़ कर दूं कि ये विचार अब आप सब का है. अब पीछे हटने और रुकने की बात नहीं. अब साथ मिलकर आगे ही बढ़ना है.
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लोगों के चंदे से एक पार्टी खड़ी की जा सकती है तो लोगों के चंदे से क्या एक न्यूज़ चैनल भी खड़ा किया जा सकता ? क्या जनता का भी कोई अपना न्यूज़ चैनल हो सकता है ? क्या लोगों का एक ऐसा न्यूज़ चैनल होना चाहिए जो देश में कुछ निजी परिवारों के कब्ज़े से मीडिया को मुक्त करा सके . अगर मुक्त न करा सके तो कम से कम मीडिया मुग़लों को चुनौती दे सके. जनता के चंदे से चलने वाला ये न्यूज़ चैनल ना सरकार के आगे झुके और न ही किसी बड़े कारपोरेट का गुलाम हो. ये एक ऐसा चैनल हो जो जनता के हित में भ्रष्टाचार के खिलाफ देश व्यापी मुहीम छेड़े और घपलों के मामलों को किसी सरकार या धनपशु के कहने पर न दबाए.
ये देश का पहला ऐसा न्यूज़ चैनल हो जिसमे एक बृहद सलाहकार मंडल हो और जहां जनता की वेब वोटिंग पर खास ख़बरों को दिखाया जाये. ये न्यूज़ चैनल जनता को पारदर्शिता के साथ बताए कि कोई खबर चैनल पर क्यूँ कम दिखाई गयी और कोई ज्यादा क्यूँ दिखाई जा रही है. इस न्यूज़ चैनल का ऑडिट भी एक जनता द्वारा गठित बोर्ड के ज़रिये हो और सारी जानकारी वेबसाइट पर डाली जाये. क्या ऐसा न्यूज़ चैनल देश में आना चाहिए ? या मीडिया को कुछ निजी परिवारों के हित के लिए छोड़ दिया जाये.
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जिसे अपनी सत्यनिष्ठा का सर्वनाश कराना हो वो देश की मुख्यधारा की पत्रकारिता में आ सकता है. और जिसे अपना स्वाभिमान गवाने की इच्छा हो वो मुख्यधारा की राजनीति में जा सकता है. तो क्या पत्रकारिता छोड़ देनी चाहिए ? तो क्या राजनीति का बहिष्कार करना चाहिए? सकारात्मक जवाब है कि दोनों विधाएं जरूरी हैं पर दोनों के मूल्यांकन से पहले देश की नब्ज़ तो जान लीजिये. देश में बढ़ते सामाजिक असंतुलन और बेरोज़गारी के बीच युवाओं की बढ़ती कुंठा का एक परिणाम ये है कि ज्यादातर लोग व्यवस्था पर भरोसा खोते जा रहे हैं. उनकी पहली निराशा सरकार की नॉन-डिलीवरी से है और दूसरी निराशा मीडिया की गिरती साख और सरोकार से है.
देश की सरकार भी क्या करे ? सप्लाई और डिमांड में इतना अंतर है कि जनता को मूल सुविधाएं देना भी नामुमकिन सा हो गया है. यही हाल मुख्यधारा की मीडिया का है.सम्पादक पर टीआरपी और विज्ञापन का इतना दबाव है कि वो चाहकर भी जनता के संघर्ष से नही जुड़ पाता है. हाशिये पर खड़े आम आदमी के पास सिर्फ लाचारी बची है. इसलिए वो मान बैठा है कि देश का नेता भ्रष्ट और मीडिया दलाल है.पुलिस और नौकरशाही से उसका भरोसा कई साल पहले उठ चुका है. महेंगी कीमत पर इन्साफ देने वाले हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ना आम आदमी के लिए थे और ना हैं. सच हे कि हाशिये पर लाचार खड़ा आदमी व्यवस्था को लेकर मोहभंग की स्थिति में है.
हमारे जैसे मध्यम वर्ग के लोगों के लिए हाथ में तिरंगा लेकर दौड़ना स्वाभिमान हो सकता है.हमारे लिए देश का संविधान गर्व का विषय हो सकता है. हमारे लिए चुनाव के नतीजे महत्वपूर्ण हो सकते हैं. लेकिन जिन रास्तों पर अभी कंक्रीट नही ढला है जिन छतों को अभी लिंटर नही मिला है जो पैर चमड़े के जूते से दूर है जिन हाथों ने कभी घडी नही पहनी और जो कमज़ोर आँखें चश्मों के लिए मोहताज़ है उनके लिए मोदी, केजरीवाल, नितीश या फिर अर्नब, राजदीप, पुण्य प्रसून, रविश या रजत शर्मा का क्या मतलब है ? ये नाम हमारे लिए बड़े हैं देश की आधी से ज्यादा जनता के लिए इनके कोई मायने नहीं है. मित्रों मै निराशावादी नही हूँ लेकिन सच से भी मुह कैसे फेर लूं? मैं आप पर कोई दबाव नही डाल रहा हूँ लेकिन अगर सच को सर्वोपरी मानते है तो स्वीकार कीजिये कि आजादी अब तक एक तिहाई घरों तक पहुंची है. बाकी सिर्फ जी रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से.
मूल खबर….
umesh shukla
February 20, 2015 at 7:32 am
deepak bhai ham aap ke hausale ko salute karate hain. kuch bhi asambhav nahi basharte thaan liye jaaye. aap ko badhai.
ajayashk
February 20, 2015 at 4:32 pm
JANTA KA APNA CHANNEL LANEY KE AAPKEY PRAYAS PAR MERI VADHAI SWIKAREY, JAB CHANNEL JANTA KA HOGA TO JANTA KI BHUMIKA BHI HOGI, AJAY ASHk, BOKARO phone 9431168512
ajayashk
February 20, 2015 at 4:32 pm
JANTA KA APNA CHANNEL LANEY KE AAPKEY PRAYAS PAR MERI VADHAI SWIKAREY, JAB CHANNEL JANTA KA HOGA TO JANTA KI BHUMIKA BHI HOGI, AJAY ASHk, BOKARO phone 9431168512
Praveen Kumar
February 20, 2015 at 4:49 pm
Make share holder to every person who so ever like to donate in your channel. Make a capping of maximum limit of amount….
Aamir Khan
February 20, 2015 at 7:43 pm
Good Luck Sir ji
page par update kar dia hai !!! 🙂
Anwar
February 22, 2015 at 5:18 am
Very Good Idea.
Ready to become partner of your mission.
Fix limit for share holders.
yatin Pandit
February 22, 2015 at 12:19 pm
100 miles ka safar 1 kadam se hi shuru hota hai Sir g
GOD and my self Always vd U
prayag pande
February 23, 2015 at 11:27 am
श्री दीपक जी ! यह बेहद उम्दा विचार है । देश में अभी तक गाहे – बगाहे वैकल्पिक मीडिया की चर्चाएं होती रही हैं । पर यह विचार आज तक वास्तविक तौर पर जमीन में नहीं उत्तर सका । भारतीय पत्रकारिता की साख और सरोकारों को जिन्दा रखने के लिए जन समर्थित जनपक्षीय जन मीडिया की सख्त दरकार है । इस विचार को आप जैसे लोग ही हकीकत में तब्दील कर सकते हैं । हमारी शुभ – कामनाएं ।
abhay tiwari
February 23, 2015 at 4:36 pm
दीपक जी के विचारो से हम सहमत हैं आप चैनल खोलो हम लोग आपकी मुहिम मे सहयोग करेंगे
ekram
February 23, 2015 at 8:58 pm
दीपक जी बहुत ही अच्छा बिचार है आप आगे बड़ो हम सबसाथ है और ये चैनल dthपे होना चाहिए ताकेहर गरीब के घर तक सच्चाई जा सके
manish Gupta
February 25, 2015 at 6:25 pm
Very Good Deepak Sir …Best Of Luck . Hum Aapke Sath hain.
israr
February 27, 2015 at 9:45 am
deepak ji,hum aapke saath hain,
himanshu vashishtha
March 11, 2015 at 11:17 pm
Good luck sir ji’good idea….. is se corruption par to control hoga.. hum aapke saath hai
के.डी.यादव कुशीनगर
March 12, 2015 at 10:34 am
दीपक सर हम आपके साथ हैं यह विचार रख कर भी हम कुछ कर नही पा रहें थे आप देश के लिये बहूत बड़ी वात सोचा हैं तन मन धन से आपके साथ हैं सर यह गर्व कि वात हैं कुशीनगर से के.डी.यादव
मों.नंबर – 9918299828
9454889368
sachin sharma
March 16, 2015 at 7:09 pm
sir main aapke saath hun aap ek aandolan shuru karne jaa rahe hia jo ek kranti ke roop me ubhrega
sir hame bhi ek baar seva ka mauka dena
mob.9675857153