हाल ही में एनसीआर के रीजनल चैनल जनता टीवी से नई टीम की छुट्टी। 2 महीने पहले ही बिका था चैनल लेकिन चैनल के पुराने मालिक को पैसे न देने और नए खरीददारों द्वारा पुराने स्टाफ को प्रताड़ित करने के चलते दिखाया बाहर का रास्ता। आज से लगभग 7 साल पहले टोटल टीवी से गुड़गांव शहर से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले एक शख्स को अब चैनल हेड बनने का शौक चढ़ा है। इन जनाब ने टोटल टीवी की पत्रकारिता छोड़ कर गुड़गांव में खबरें अभी तक न्यूज़ चैनल में मार्किटिंग हेड बन गए। लेकिन वहाँ इन जनाब की दाल ज्यादा दिन तक नहीं गली और इनके कारनामों का मनेजमेंट को पता चल गया तो इनको चलता कर दिया गया। फिर ये p7 न्यूज़ के रीजनल चैनल पर्ल हरियाणा को इन शर्तों पर सम्भालने लगे कि प्रदेश में चुनाव है, जिसमें ये मोटी विज्ञापन राशि लायेंगे। लेकिन चुनाव के बाद यहाँ पर भी हालात ठीक नहीं रहे और p7 बंद हो गया और जनाब घर आ गए।
इसी दौरान साहब जी ने एक कांग्रेसी नेता को सपने दिखाए और 2 महीने पहले ncr का जनता tv खरीद लिया। जनाब को एक बार फिर कुर्सी हासिल हो गई। लेकिन इनकी रंग दिखाने की पुरानी आदत गई नहीं थी। अभी चैनल के मालिक को भुगतान भी नहीं हुआ था की जनाब व उनके साथ आई टीम के सदस्यों ने न केवल सभी पदों पर अपने नए लोग बिठा दिए बल्कि पुराने स्टाफ को हद से ज्यादा तंग करना शुरू कर दिया। डील के मुताबिक ये तय हुआ था कि किसी भी पुराने स्टाफ को न तो निकाला जायेगा और न ही तंग किया जायेगा। हद तो तब हो गई जब फिक्की एडिटोरिम में जनता टीवी को एक संस्था की ओर से एनसीआर के बहतरीन चैनल का अवार्ड दिया गया तो जो नई टीम कुछ दिनों पहले ही आई थी वही उस अवार्ड को लेने पहुंची और वहाँ जमकर अपनी तारीफ भी की। इसके अलावा इस नई टीम ने अपनी ही बाइट इस अवार्ड की उपलब्धि पर चलानी शुरू कर दी। इस नई टीम ने अपने निशाने का शिकार पीसीआर, mcr और रन डाउन के अलावा सभी एंकर को भी बनाया।
जो पुराने एंकर थे उनको ऑफ़ लाईन करके इस टीम ने उन अपने नए लोगो को एंकर बना दिया जिन्हें एंकरिंग ठीक से आती नहीं. इस पूरे प्रकरण से पुराना स्टाफ पूरी तरह से तंग आ चुका था और उन्होंने इन सभी बातों की शिकायत अपने पुराने बॉस गुरविंदर से की। पुराने लोगों से बात करने के लिए लगभग 10 दिन पहले गुरविंदर ऑफिस के ही नजदीक एक रेस्टोरेंट में आये थे और सभी की समस्या सुनी। इसके बाद गुरविंदर ने सभी को 22 अप्रैल तक रुकने को कहा क्योंकि तय तारीख के अनुसार कांग्रेसी नेता से डील का पैसा उन्हें मिलना था। लेकिन 22 अप्रैल की रात तक जब पैसा गुरविंदर को नहीं मिला तो उसने नई टीम से बात की तो वो पैसा देने में आनाकानी करने लगी।
गुरविंदर भी मझे खिलाड़ी बन चुके हैं। बिना पैसा हाथ आए किसी बात पर भरोसा नहीं करते। उन्हें मीडिया का धंधा ठीक से पता है। कैसे किससे कब कहां पैसा निकाल लेना है, उन्हें अच्छी तरह से आता है। पैसे न मिलने पर गुरविंदर ने 23 अप्रैल से नई टीम पर पूर्ण रूप से ऑफिस आने पर बैन लगा दिया। जब इस बात की सूचना नई टीम के सभी लोगों को लगी तो उनके तो होश उड़ गए कि ये क्या हुआ और वो फिर 23 अप्रैल को अपने मालिक और कांग्रेसी नेता से मीटिंग करने पहुंचे। लेकिन वहाँ भी उनको निराशा ही हाथ लगी क्योंकि नेता जी ने कहा अब वो कुछ नहीं कर सकते। तो फिर इस टीम के इंचार्ज ने एक और दाव खेला और कहा कि ये नहीं तो कोई और चैनल खरीद लो ताकि उनको कोई दिक्कत ना आये। इसके बाद नेता जी ने उन्हें सप्ताह भर के लिये सोचने का समय माँगा है। अब ये पूरी टीम अपने आका के साथ फिर एक बार नए शिकार की तलाश में निकली है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
दीपक खोखर 9991680040
April 27, 2015 at 1:37 pm
दरअसल रैकेटियर टाइप के लोग हैं ये। हर जगह जहां भी जाते हैं अपना कमीनापन शुरू कर देते हैं और जनता टीवी के मामले में भी यही हुआ। नेताओं से पैसे ऐंठने के लिए इन्होंने ग्रुप बना रखा है। पहले चुनाव में जो फंसा उसे लूट लिया, अब गुड़गांव के कांग्रेसी जितेंद्र भारद्वाज को अपने जाल में फंसा कर किसी तरह बड़ा सपना दिखाया। लेकिन जल्द ही हकीकत सामने आ गई। बचकर रहना कमीनों की टोली से। देखते हैं अब अगला शिकार किसे बनाते हैं।