उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु और संसद के साथ धोखा… खबर का हेडर पढ़कर आपको आश्चर्य तो जरूर होगा, लेकिन यह हकीकत है। देश की संसद और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु के साथ बहुत बड़ा धोखा हो रहा है। संवैधानिक पद पर बैठे उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु के आदेश की आड़ में राज्य सभा सचिवालय और राज्य सभा टीवी के अधिकारी बड़ा खेल कर रहे हैं।
हाल ही में राज्य सभा टीवी में एक्जीक्य़ूटीव डाय़रेक्टर टेक्निकल की वेकैंसी निकाली गई थी। शर्तों के अनुरूप कई लोगों ने आवेदन किया। माना जा रहा था कि जल्द ही आवेदकों को सूचित कर साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। इस पद के लिए आवेदन का आदेश खुद देश के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा टीवी के चेयरमैन वेंकैया नायडु ने दी थी लेकिन राज्य सभा सचिवालय और राज्य सभा टीवी के अधिकारियों ने उनके आदेश को ना मानकर एक तरह से उनका माखौल उड़ाया है।
दरअसल मौजूदा इस पद पर विनोद कौल बतौर पांच साल से ज्यादा समय से कार्यरत हैं। उनके ऊपर कई तरह के आरोप हैं जिसकी जांच चल रही है। राज्य सभा सचिवालय की माने तो उपराष्ट्रपति खुद चाहते हैं कि इस पद के लिए जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए, लेकिन उनके अधीनस्थ काम करने वाले अधिकारी ने उनको धोखे में रखकर फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही विनोद कौल का रिन्युवल छह महीने के लिए हुआ है और इसी बीच वैंकेया चाहते है कि एक्जीक्य़ूटीव डाय़रेक्टर टेक्निकल के पद पर नियुक्ति हो जाए, लेकिन शायद उनके अधीनस्थ काम करने वाले अधिकारी ऐसा नहीं चाहते हैं।
क्या यह किसी अपराध से कम है कि देश के उपराष्ट्रपति आदेश देते हैं और उनके ही सचिवालय के अधिकारी उसको ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। क्या देश के संसद और राज्य सभा के चेयरमैन के साथ यह धोखा नहीं है कि जिस एक्जीक्य़ूटीव डाय़रेक्टर टेक्निकल पर गंभीर आरोप लगे हैं और उसे उन्हीं के अधीनस्थ काम करने वाले अधिकारी लगातार बचा रहे हैं। मोदी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की बात करती है, भ्रष्ट अधिकारियों को समय से पहले रिटायर्ड करके एक नई मिसाल दी जा रही है लेकिन राज्य सभा टीवी में कई किस्म के आरोपों से घिरे एक्जीक्य़ूटीव डाय़रेक्टर टेक्निकल को एक्टेंशन पर एक्टेंशन दिया जा रहा है और यह सब अधिकारियों के मिलीभगत से हो रहा है।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु जो कि राज्यसभा टीवी के चेयरमैन भी हैं, उन्हें धोखे में रखकर, गलत जानकारी देकर भ्रष्टाचारियों को बचाया जा रहा है। ऐसे में क्या उन अधिकारियों पर नायडु को कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो उन्हें गलत जानकारी देकर भ्रष्टाचारियों के पनाहगार बने हुए हैं। यह बात अब दूर तक जाएगी।
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