झोलाछाप पत्रकारिता जनता के साथ छल है। एक ओर तो पत्रकारिता को चौथा स्तम्भ कहा जाता हैं, दूसरी ओर उस स्तम्भ की पहरेदारी झोलाछाप पत्रकारों के जिम्मे है। पत्रकारिता की विशेष पढ़ाई होती है, जहाँ जनता और देशहित की सीखा दी जाती है परन्तु भुरकुण्डा, रामगढ़ (झारखंड) के झोलाछाप पत्रकारों की बात ही कुछ और है। जनहित में इनके आतंक से निपटने के लिए अब दिल्ली तक पर्चे बांटे जाएंगे।
यहाँ पिछले कई दिनों से झोलछाप पत्रकारों द्वारा जनता को दिग्भ्रमित किया जा रहा है। प्रमाण देने पर भी अखबार प्रबंधन द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करने से इस बात को बल मिलता है कि कहीं न कहीं जनता को धोखा देने में अखबार प्रबंधन की भी सहभागिता है। इस क्षेत्र के एक अपराधी तत्व के सारे डिटेल्स मौजूद हैं। फिर भी जनता के समक्ष उसे नहीं लाया जाना पत्रकारिता के साथ धोखा है। उस अपराधी के सारे डिटेल्स हिन्दुस्तान के एक झोलाछाप पत्रकार दुर्गेश तिवारी के हाथ लगे। इसकी सूचना हिन्दुस्तान के ‘महान’ संपादक शशि शेखर तक पंहुचाई गई। नतीजा जीरो रहा। शशि शेखर ने भी उस अपराधी तत्व के संबंध में गंभीर सूचनाओं को पाठकों से छिपाने का घृणित कार्य किया गया।
धीरे धीरे उस अपराधी के सारे डिटेल्स स्थानीय झोलाछाप कुछ और पत्रकारों के पास पंहुचे तो उन्होंने भी अंदरखाने ले-देकर खामोशी साध ली। सच इतना ही नहीं है। राकेश पाण्डेय नाम के एक पत्रकार को केवल यूपी का वासी होने के कारण दैनिक जागरण ने रख लिया। योग्यता नदारद। ऐसे ही हैं प्रभात खबर के आलोक, महावीर ठाकुर, हिन्दुस्तान के दुर्गेश तिवारी आदि। अनुकम्पा पत्रकार। योग्यता भगवान जाने। प्रबंधन तो सब जानबूझकर अंधी काट रहा है। ‘आज’ के पत्रकार सरोज झा की तो बात ही निराली है। इनका मुख्य काम कोयले के लोकल सेलर से शहरी क्षेत्र के युवाओं के नाम पर अवैध वसूली करना। इन सबकी करतूतों की विधिवत जाँच की जाए जाये तो एक ही दिन में सारी बातें साफ हो जायेंगी।
पत्रकारिता के सिद्धांतों के सम्मान के लिए अब तो जनता की अदालत में इन झोलाछाप पत्रकारों के खिलाफ कदम उठाए जाने चाहिए। जनजागरण किया जाना चाहिए। अखबार प्रबंधन यदि इन पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को लागू नहीं करते हैं तो अब दिल्ली तक पर्चे बांट कर इन सबका भंडाफोड़ किया जाएगा।
प्रमोद कुमार सिंह, अध्यक्ष, भारतीय अभिभावक संघ, भुरकुण्डा, रामगढ़, झारखंड
ravishankar
June 29, 2015 at 12:32 am
एकदम सही कहा।बोकारो भेजे गए योगेन्द्र सिन्हा ने तो रामगढ़ पोस्टिंग के लिए संपादक दिनेश मिश्र को टेर्रानो suv कोयला माफिअयो से दिलाई। यही नही हर माह दिनेश मिश्रा आदि को रूपया भेज जाता हैं।
Nand Kishore Agarwal
August 1, 2016 at 6:51 am
It is unfortunate for media that media houses appoint reporters on basis of their ability to collect revenue for the news paper not on basis of education and skill in media as most of reporters from district to block have been given target for collection of revenue in shape of advertisement in various occasions. I am not agree with the writer of this story that all reporters in Bhurkunda are so called Jhola chhap.
NK Agarwwal, Senior Journalist, Ramgarh