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उत्तर प्रदेश

मुस्लिम पत्रकारों पर भाजपा नेता ने फर्जी एफआईआर करा जबरन आफिस खाली कराया!

बाराबंकी जिले के 2 पत्रकार बन्धु हैं. मुस्तफा बन्धु. रिजवान मुस्तफा व रेहान मुस्तफा. रिज़वान मुस्तफा कई साल पहले से जनसत्ता एक्सप्रेस अखबार के जिला संवाददाता हैं. अब ये अपना खुद का न्यूज़ पोर्टल तहलका टुडे के नाम से चला रहे हैं. इनका छोटा भाई रेहान आजतक चैनल के जिलाप्रतिनिधि (स्ट्रिंगर) हैं. नगर पालिका के चेयरमैन पति और भाजपा नेता रंजीत बहादुर श्रीवास्तव के खिलाफ खबर छापना इन मुस्तफा बंधुओं को भारी पड़ गया.

भाजपा नेता ने फर्जी एफआईआर करा कर इनके आफिसों को जबरन खाली करा दिया. रंजीत बहादुर श्रीवास्तव को मुस्तफा बंधु दुराचारी लाला कह कर संबोधित करते थे. इन दोनों भाइयों ने शहर कोतवाली के पास नगर पालिका की बनी मार्केट में अपने अपने ऑफिस बना रखे थे.

भाजपा नेता के इशारे पर नगर पालिका, तहसील प्रशासन व पुलिस की संयुक्त टीम ने खाली इनके आफिसों को जबरन खाली करा दिया. यह कृत्य नियम-कानून ताक पर रखकर किया गया.

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पढ़िए इस प्रकरण की खबर विस्तार से…

वे ख़बर से खीझे और पत्रकारों की कुंडली हो गई खराब!

बोले पत्रकार- भू माफिया और भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध खबर करने का खामियाजा है

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बाराबंकी में सिलसिलेवार प्रताड़ित किए जा रहे हैं पत्रकार

सी ए ए के बारे में कुछ ना बता पाने वाले भाजपा नेताओं ने भी निकाली खुन्नस

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बाराबंकी। लगता है कि बाराबंकी जिला प्रशासन को अपने विरुद्ध छपने वाली कोई भी खबर बर्दाश्त नहीं है। तभी तो उसने ऐसा करने वाले मान्यता प्राप्त पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज करवा दिए! इस पूरे मामले में कुछेक भाजपा नेता भी शामिल हैं जो सीएए के बारे में पूछने पर कुछ ना बता पाए और इसकी खबर चलाई गई। फिलहाल बाराबंकी जिला प्रशासन बीते कुछ दिनों से निष्पक्ष खबर करने वाले पत्रकारों को लगातार निशाना बना रहा है।

मुकदमे में शामिल किए गए पत्रकारों का कहना है कि नजूल पर बनी उनकी दुकानों पर बगैर किसी कोर्ट के आदेश के तहसील प्रशासन एवं नगर पालिका ने मनमानी कार्यवाही की तथा जबरन उनकी अनुपस्थिति में दुकानों का ताला तोड़ अपना ताला लगा दिया जो सरेआम प्रशासनिक डकैती है। उधर तहसील प्रशासन तथा नगरपालिका प्रशासन अपनी कार्यवाही को बिल्कुल पारदर्शी एवं स्वच्छ तथा नियम कानून के मुताबिक बता रहा है।

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जानकारी के मुताबिक बाराबंकी जनपद में इस समय निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों पर मुसीबत मंडरा रही है। जिला प्रशासन में ऐसे अधिकारी हैं जो अपने विरुद्ध छपने वाली खबर पर अपना सुधार नहीं करते बल्कि खबर छापने अथवा चलाने वाले पत्रकार को ही सुधार देने की मुहिम में जुट जाते हैं। इसका ताजा शिकार हुए हैं टीवी पत्रकार रेहान मुस्तफा तथा प्रिंट मीडिया से जुड़े हुए पत्रकार उमेश कुमार श्रीवास्तव। इस पूरे मामले में मुखिया बनाया गया है तहलका टुडे के संपादक रिजवान मुस्तफा को।

जानकारी के मुताबिक कोतवाली के ठीक बगल स्थित बनी दुकानों को लेकर रिजवान मुस्तफा तथा नगर पालिका के किराया भुगतान की रस्साकस्सी थी। इसी बीच दुकानों को खाली कराने को लेकर नगर पालिका ने कुछ ज्यादा ही तत्परता दिखानी शुरू कर दी। खबर है कि एक ऐसा मुकदमा जो 420 का था उसमें भाजपा के एक नेता पत्रकार रिजवान मुस्तफा से अपने पक्ष में गवाही करवाना चाहते थे। लेकिन पत्रकार ने इससे इंकार कर दिया।

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इसी बीच रिजवान मुस्तफा ने एक विद्यालय की भूमि पर भू माफियाओं के द्वारा खरीद-फरोख्त कर कब्जा किए जाने की खबर को भी चलाया। इसमें तहसील सदर के उपजिलाधिकारी को निशाने पर रखा। यही नहीं इस संबंध में भू माफियाओं के धंधे का खुलासा पत्रकार उमेश श्रीवास्तव ने भी किया। मान्यता प्राप्त पत्रकार उमेश श्रीवास्तव ने शिक्षा केंद्र की जमीन को बचाने के लिए खबर तो चलाई ही बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत पत्र भी दिए।

उधर दूसरी ओर प्रसिद्ध टीवी चैनल के जिला संवाददाता रेहान मुस्तफा ने जिला प्रशासन की नींद को हराम करते हुए एक ऐसे परिवार की स्टोरी चलाई जो कि शौचालय में रहने को मजबूर था। खास बात यह है कि इसमें प्रशासन ने जांच उपरांत दूसरे भाई को मिले मकान की आख्या प्रस्तुत कर पूरी खबर को झूठा ठहराया। जबकि सत्य था कि जो भाई वहां रह रहा था उसे मकान नहीं मिला था।

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इसके अलावा टीवी चैनल पर एक खबर और चली जिसमें भाजपा के कई वरिष्ठ नेता सीएए का फुल फॉर्म ही नहीं बता पाए। इस प्रकार ऐसी कई खबरें थी जो रिजवान मुस्तफा एवं रेहान मुस्तफा के द्वारा चलाई गई। जिसमें भाजपा के कई नेताओं एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की कलई खुलती नजर आई! जिसके बाद गुस्साए सत्ता पक्ष के नेता एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों ने साजिश के तहत उपरोक्त मानता प्राप्त पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करवा डाला।

जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के इशारे पर यहां रस्सी को सांप बनाया गया! साजिश के तहत दिखाया गया कि नगरपालिका के अधिकारी दुकानों को खाली कराने के लिए आये। यहां पर उनसे गाली-गलौज तथा झगड़ा फसाद किया गया। सरकारी काम में व्यवधान डाला गया। जबकि स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ना तो नगरपालिका से वहां कोई आया और ना ही किसी से कोई लड़ाई झगड़ा अथवा गाली गलौज हुआ। खास यह भी है कि ठीक बगल कोतवाली में लगे सीसीटीवी कैमरों को भी इस फर्जी लड़ाई झगड़े के मुद्दे पर नहीं खंगाला गया। जबकि हकीकत ये है कि भारी बरसात और ठंढक की वजह से आफिस ही नही खुला 16 जनवरी को।

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खैर कुछ हुआ या नहीं हुआ यह तो अलग बात थी। लेकिन आनन-फानन में SDM अभय कुमार ने माफिया लाला रंजीत को रात 10 बजे कोतवाली ले जाकर और पुलिस पर दबाव बनाकर नगर पालिका कर्मचारियों से उपरोक्त पत्रकारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया गया।

सनद हो इससे पहले भी पत्रकारों को निष्पक्ष खबर छापने के चलते जिला प्रशासन के अधिकारी एवं पुलिस के लोग निशाना बना चुके हैं। यही नहीं कई पत्रकारों को जेल तक भेजा जा चुका है। जाहिर है कि भ्रष्ट अधिकारी अपनी करतूत छिपाने के लिए पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं। खुलेआम यह भी कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी जी ने साफ कहा है कि जो पत्रकार सरकार की छवि को खराब करें उसे जेल भेजो! हम लोग वही कर रहे हैं।

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मान्यता प्राप्त पत्रकारों के विरुद्ध इस तरह के सुनियोजित हमले से अन्य पत्रकारों में आक्रोश फैला गया है। खास बात यह भी है कि अधिकारियों को वही पसंद है जो दिन भर उनके कार्यालय में बैठकर चापलूसी करते हैं और उनकी चाय पीते हैं। उन्हें वह पत्रकार नहीं पसंद है जो समाज की कमियों को अधिकारियों के सामने लाते हैं! कुल मिलाकर मान्यता प्राप्त पत्रकारों पर कूट रचित तरीके से दर्ज कराए गए मुकदमे से पत्रकारों में व्यापक आक्रोश व्याप्त है। पत्रकारों ने उपरोक्त मुकदमे को तत्काल वापस लिए जाने की मुख्यमंत्री से मांग की है। साथ ही दूसरी ऒर भू माफियाओं से मिले हुए अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही किए जाने की बात कही है।

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