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जनसंदेश टाइम्स बनारस की प्रिंटिंग यूनिट बंद, दर्जनों सड़क पर

जनसंदेश टाइम्स बनारस की अब आखिरी सांसें भी टूटने लगी हैं. प्रदेश में जिस तेजी से एनआरएचएम घोटाले की परतें खुलीं, उसी तेजी से जनसंदेश टाइम्स पूरे प्रदेश में फैलता गया. अब जब एनआरएचएम घोटाले के आरोपी जेल की कोठरियों में गुमनामी में खोते जा रहे हैं, उसी गति से जनसंदेश टाइम्सज भी सिमटते-सिमटते अपने अस्तित्व की समाप्ति की कगार पर आ गया है. कर्मचारियों का बकाया नहीं देने का मन बना चुके मालिकों ने बिना किसी सूचना के बनारस की प्रिंटिंग यूनिट बंद कर कर्मचारियों को छुट्टी का फरमान सुना दिया. इन कर्मचारियों को उनका कई माह का बकाया वेतन भी नहीं दिया गया. इसी तरह एक सप्तााह पूर्व संपादकीय और प्रसार और अन्य विभागों के भी दर्जनों कर्मचारियों की उनका बकाया अदा किये बिना छुट्टी कर दी गयी.

<p>जनसंदेश टाइम्स बनारस की अब आखिरी सांसें भी टूटने लगी हैं. प्रदेश में जिस तेजी से एनआरएचएम घोटाले की परतें खुलीं, उसी तेजी से जनसंदेश टाइम्स पूरे प्रदेश में फैलता गया. अब जब एनआरएचएम घोटाले के आरोपी जेल की कोठरियों में गुमनामी में खोते जा रहे हैं, उसी गति से जनसंदेश टाइम्सज भी सिमटते-सिमटते अपने अस्तित्व की समाप्ति की कगार पर आ गया है. कर्मचारियों का बकाया नहीं देने का मन बना चुके मालिकों ने बिना किसी सूचना के बनारस की प्रिंटिंग यूनिट बंद कर कर्मचारियों को छुट्टी का फरमान सुना दिया. इन कर्मचारियों को उनका कई माह का बकाया वेतन भी नहीं दिया गया. इसी तरह एक सप्तााह पूर्व संपादकीय और प्रसार और अन्य विभागों के भी दर्जनों कर्मचारियों की उनका बकाया अदा किये बिना छुट्टी कर दी गयी.</p>

जनसंदेश टाइम्स बनारस की अब आखिरी सांसें भी टूटने लगी हैं. प्रदेश में जिस तेजी से एनआरएचएम घोटाले की परतें खुलीं, उसी तेजी से जनसंदेश टाइम्स पूरे प्रदेश में फैलता गया. अब जब एनआरएचएम घोटाले के आरोपी जेल की कोठरियों में गुमनामी में खोते जा रहे हैं, उसी गति से जनसंदेश टाइम्सज भी सिमटते-सिमटते अपने अस्तित्व की समाप्ति की कगार पर आ गया है. कर्मचारियों का बकाया नहीं देने का मन बना चुके मालिकों ने बिना किसी सूचना के बनारस की प्रिंटिंग यूनिट बंद कर कर्मचारियों को छुट्टी का फरमान सुना दिया. इन कर्मचारियों को उनका कई माह का बकाया वेतन भी नहीं दिया गया. इसी तरह एक सप्तााह पूर्व संपादकीय और प्रसार और अन्य विभागों के भी दर्जनों कर्मचारियों की उनका बकाया अदा किये बिना छुट्टी कर दी गयी.

बनारस में जनसंदेश रोहनियां में बून एकजिम प्राइवेट लिमिटेड में प्रिंट होता था. यहां पूरी प्रिंटिंग यूनिट है. इसके पहले यहां से हिन्दुस्तान अखबार छपता था. बाद में जनसंदेश के प्रबंधन ने इसे खरीद लिया. यहां से जनसंदेश का अंतिम अंक तीन नवंबर को बाजार में आया. उसके बाद जनसंदेश की प्रिंटिंग मड़ौली स्थित मोतीलाल इंडस्ट्रियल स्टेट से हो रही है. अब अखबार के सिर्फ तीन संस्करण इलाहाबाद, बनारस सिटी और डाक ही छप रहे हैं. उधर जिन कर्मचारियों को हटाया गया है, उनका तीन से चार माह का वेतन बकाया है.

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बकाया देना तो दूर प्रबंधन ने हिटलरशाही रवैया अपनाते हुए इस बात की नोटिस भी नहीं दी कि अमुक तिथि से आपकी सेवाएं समाप्त कर दी जायेगी. मौखिक सूचना देकर इनकी छुट्टी कर दी गयी, जिससे इन कर्मचारियों के सामने भुखमरी की स्थिति है. बकाया वेतन पाने के लिए ये कर्मचारी इधर-उधर भटक रहे हैं लेकिन कोई सीधे मुंह उनसे बात करने वाला नहीं है. यही हाल एक सप्ताह पूर्व हटाये गये संपादकीय और अन्य विभागों के कर्मियों की भी. वे अपने किये गये काम का भुगतान पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. सबसे शर्मनाक स्थिति काशी पत्रकार संघ के पदाधिकारियों की है, जिनमे अध्यक्ष समेत अनेक महत्वपूर्ण पदों पर जनसंदेश के ही लोग हैं, जो मालिकों से मिलीभगत के चलते कोई पहल नहीं कर रहे हैं. पत्रकार संघ के पदाधिकारी यह कहते घूम रहे हैं कि कोई पीड़ित उनके यहां आवेदन करेगा तो वे पहल करेंगे. शायद वे भूल गये हैं सरकारी आयोग और कोर्ट भी मामलों को स्व़त: संज्ञान ले लेता है, जबकि वे तो उसी पत्रकारों के हित के लिए बने संगठन के पदाधिकारी हैं, जिसके हित के लिए उस संगठन का गठन हुआ है और पत्रकारों ने उनका चयन किया है. (साभार- क्लाउन टाइम्स)

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