जनसंदेश जीएम की गुंडागर्दी, पीएफ का पैसा मांगने पर पुलिस से दिलवा रहा धमकी

जनसंदेश टाइम्स शुरू से विवादों में रहा है. अखबार में संपादक से लेकर मैनेजर समय-समय पर बदलते रहे हैं और सबके सब एक के बाद एक विवादों को जन्म देते रहे हैं. इधर कुछ समय से लगातार विनीत मौर्या जीएम की कुर्सी पर जमे हुए हैं. विनीत मौर्या ने अपने संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों का शोषण करने का एक नया कीर्तिमान बनाया है. सैलरी कभी समय से न देना या चार-चार महीने, तीन-तीन महीने पर आधी सैलरी देना जनसंदेश की नियति बन गई है. इसी से तंग आकर साठ प्रतिशत कर्मचारियों ने नया ठिकाना ढूंढ लिया. बाकी जो किन्हीं कारणों से कहीं नहीं जा सकते उनका जीएम विनीत मौर्या जमकर शोषण कर रहे हैं.

जनसंदेश टाइम्स के मुद्रक-संपादक पर लटकने लगी गिरफ्तारी की तलवार

बनारस में नया साल जनसंदेश टाइम्स प्रबंधन के लिए मुसीबतों की सौगात लेकर आया। 2015 के पहले दिन कर्मचारियों का वेतन हड़पने और उत्पीलड़न के मामले में प्रबंधन को पुलिस की झिड़की सुननी पड़ी, वहीं दूसरे दिन कर्मचारियों के पीएफ का धन नहीं जमा करने के मामले में मुद्रक और संपादक के खिलाफ पीएफ इंस्पेक्टर की तहरीर पर चेतगंज थाने में अमानत में खयानत और गबन का मुकदमा दर्ज हो गया। अब उनके सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। साल का तीसरा दिन भी सही सलामत नहीं बीता। बकाया का भुगतान नहीं करने पर बिजली विभाग ने अखबार के दफ्तर की बत्ती गुल कर दी।

जनसंदेश टाइम्‍स प्रकरण : श्रम मंत्रालय ने राज्‍य सरकार से मांगी कार्रवाई रिपोर्ट

जनसंदेश टाइम्‍स प्रबंधन पर सरकार का शिकंजा लगातार कसता चला जा रहा है। मानवाधिकार आयोग में कर्मचारियों के उत्‍पीड़न का मामला दर्ज होने और उसके बाद भविष्‍य निधि कार्यालय की टीम द्वारा छापेमारी की कार्रवाई के बाद अब केन्‍द्रीय श्रम मंत्रालय ने जनसंदेश टाइम्‍स कर्मियों के उत्‍पीड़न मामले को लेकर राज्‍य सरकार को कार्रवाई का निर्देश देते हुए रिपोर्ट तलब की है। बनारस में जनसंदेश टाइम्‍स के कर्मचारियों को कई माह से वेतन नहीं देने और मनमाने तरीके से निकाले जाने को लेकर मिली शिकायत को संज्ञान में लेते हुए केन्‍द्रीय श्रम मंत्रालय ने उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍य सचिव, श्रम रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग श्री शैलेश कृष्‍णा को लिखे पत्र संख्‍या- वी- 24032/1/2014 में जनसंदेश टाइम्‍स बनारस के कर्मियों को कई माह से वेतन नहीं दिये जाने, वेज बोर्ड के नियमों के विपरीत मनमाने तरीके से वेतन का निर्धारण और मनमाने तरीके से कर्मचारियों को निकाले जाने के मामले में कार्रवाई करने के साथ ही कृत कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।

जनसंदेश टाइम्स की छपाई मशीन का गिरा शटर, आनन-फानन में सहारा की मशीन में छपा 5 हजार कापी

वाराणसी से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समाचार पत्र जनसंदेश टाइम्स का इन दिनों उल्टी गिनती बड़ी तेजी से शुरू है। बंदी के कगार पहुंच चुके इस समाचार पत्र में पिछले दिनों रात नौ बजे उस वक्त हड़कंप मच गया, जब रोहनियां प्रिंटिंग प्रेस में पैसे के अभाव में कागज के रील की व्यवस्था नहीं हो सकी। आनन-फानन में दैनिक समाचार पत्र की सहारा से तालमेल कर प्रतियां छापी गयी। हालांकि इस समाचार पत्र के लिए यह कोई नया संकट नहीं है। रील के अभाव में हर दूसरे-तीसरे दिन प्रतियां नहीं छपती। बीते दिनों रात में कंपनी की मैनेजिंग कमेटी ने निर्णय लिया कि अब प्रिटिंग प्रेस, रोहनियां का शटर ही गिरा दिया जाए।

जनसंदेश टाइम्स बनारस की प्रिंटिंग यूनिट बंद, दर्जनों सड़क पर

जनसंदेश टाइम्स बनारस की अब आखिरी सांसें भी टूटने लगी हैं. प्रदेश में जिस तेजी से एनआरएचएम घोटाले की परतें खुलीं, उसी तेजी से जनसंदेश टाइम्स पूरे प्रदेश में फैलता गया. अब जब एनआरएचएम घोटाले के आरोपी जेल की कोठरियों में गुमनामी में खोते जा रहे हैं, उसी गति से जनसंदेश टाइम्सज भी सिमटते-सिमटते अपने अस्तित्व की समाप्ति की कगार पर आ गया है. कर्मचारियों का बकाया नहीं देने का मन बना चुके मालिकों ने बिना किसी सूचना के बनारस की प्रिंटिंग यूनिट बंद कर कर्मचारियों को छुट्टी का फरमान सुना दिया. इन कर्मचारियों को उनका कई माह का बकाया वेतन भी नहीं दिया गया. इसी तरह एक सप्तााह पूर्व संपादकीय और प्रसार और अन्य विभागों के भी दर्जनों कर्मचारियों की उनका बकाया अदा किये बिना छुट्टी कर दी गयी.

जनसंदेश टाइम्स बनारस तालाबंदी की ओर, संपादक आशीष बागची ने डेढ़ दर्जन लोगों को निकाला

खबर है कि जनसंदेश टाइम्स, बनारस अब तालाबंदी के मुहाने पर है। सिर्फ घोषणा ही बाकी है। मालिकों ने हिटलरशाही रवैया अपनाते हुए एक नवंबर को डेढ़ दर्जन से अधिक कर्मचारियों को कार्यालय आने से मना कर दिया। इन कर्मचारियों का कई माह का वेतन भी बकाया है, जिसे मालिकानों ने देना गवारा नहीं समझा। इसके साथ ही अखबार के संस्करण भी सिमटा दिये गये। सिटी और डाक दो ही संस्कदर अब रह गये। पहले सभी जिलों के अलग-अलग संस्करण छपते थे। अब दो ही संस्करण में सभी जिलों को समेट दिया गया है।

जनसंदेश में विनीत मौर्या का युग खत्म, पोद्दार की वापसी

जनसंदेश टाइम्स में अब नई कहानी ने मोड़ ले लिया है। करीब एक साल पहले कंपनी के सीएमडी अनुज पोद्दार को हटा कर मौर्या बंधुओं रवीन्द्र मौर्या व विनीत मौर्या को अखबार संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके साथ ही संपादक सुभाष राय भी प्रधान संपादक बनकर लौट आये, जिन्होंने पोद्दार से विवाद के बाद इस्तीफा दे दिया था। सुभाष राय ने ही 2010 में अखबार को लांच कराया था। इसके बाद आरपी सिंह सीईओ बनकर आये। इन सबके संयुक्त प्रयास से ही अखबार के बुरे दिनों की शुरुआत हुई। अब अखबार अंतिम सांसें गिन रहा है।