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जस्टिस कर्णन की जीवनी लिखने के लिए दिलीप मंडल को मिले पचास लाख रुपये!

चर्चित पत्रकार दिलीप मंडल के बारे में खबर आ रही है कि वे जस्टिस कर्णन पर किताब लिखेंगे जिसके लिए प्रकाशक ने उन्हें पचास लाख रुपये दिए हैं. दलित समुदाय से आने वाले जस्टिस कर्णन की जीवनी लिखने को लेकर प्रकाशक से डील पक्की होने के बाद दिलीप मंडल अपने मित्रों को लेकर जस्टिस कर्णन से मिलने कलकत्ता गए. आने-जाने, खिलाने-पिलाने का खर्च प्रकाशक ने उठाया. किताब हिदी, अंग्रेजी, तमिल और कन्नड़ में छपेगी. ज्ञात हो कि दिलीप मंडल ने अब अपना जीवन दलित उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है और फेसबुक पर हर वक्त वह दलित दलित लिखते रहते हैं जिसेक कारण उनके प्रशंसक और विरोधी भारी मात्रा में पैदा हो गए हैं.

चर्चित पत्रकार दिलीप मंडल के बारे में खबर आ रही है कि वे जस्टिस कर्णन पर किताब लिखेंगे जिसके लिए प्रकाशक ने उन्हें पचास लाख रुपये दिए हैं. दलित समुदाय से आने वाले जस्टिस कर्णन की जीवनी लिखने को लेकर प्रकाशक से डील पक्की होने के बाद दिलीप मंडल अपने मित्रों को लेकर जस्टिस कर्णन से मिलने कलकत्ता गए. आने-जाने, खिलाने-पिलाने का खर्च प्रकाशक ने उठाया. किताब हिदी, अंग्रेजी, तमिल और कन्नड़ में छपेगी. ज्ञात हो कि दिलीप मंडल ने अब अपना जीवन दलित उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है और फेसबुक पर हर वक्त वह दलित दलित लिखते रहते हैं जिसेक कारण उनके प्रशंसक और विरोधी भारी मात्रा में पैदा हो गए हैं.

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पिछले दिनों जेएनयू के कन्हैया की आत्मकथा के लिए जॉगरनॉट प्रकाशन ने 30 लाख रूपए दिए थे. कन्हैया की किताब छप चुकी है, और खूब बिक रही है. एक प्रकाशन ने हार्दिक पटेल की आत्मकथा के लिए भी एक बड़ा अमांउट ऑफर किया है. वह किताब शायद अभी प्रेस में है. बताया जा रहा है कि दिलीप मंडल को 50 लाख में से 30 लाख की पेमेंट हो चुकी है. बाकी 20 लाख किताब की पांडुलिपि सौंपने पर मिलेंगे. दिलीप ने वादा किया है कि वह दो महीने में आत्मकथा लिखकर प्रकाशक को सौंप देंगे. इसके लिए उन्हें कई बार जस्टिस कर्णन से मिलना होगा. सारा टीए-डीए प्रकाशक उठाएगा और एक लिपिक (नोट्स लेने के लिए) का पारिश्रमिक भी प्रकाशक ही देगा. एक महीने के काम का लगभग 40 हजार.

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0 Comments

  1. बाहुबली

    May 15, 2017 at 3:48 pm

    दिलीप मंडल आने वाले दिनों में लालू प्रसाद यादव पर भी किताब लिख सकते है. हाल ही में बिहार के राजगीर में लालू ने उन्हें शाल ओढ़कर सम्मानित किया है. लालू के हाथ से शाल ओढने के बाद दिलीप मंडल ने ऐसा महसूस किया जैसे गंगा नहा लिए.जैसे पूरी पत्रकारिता धन्य हो गयी. हो सकता है लालू उन्हें अगले लोकसभा चुनाव में मधेपुरा से टिकट भी दे दें. मंडल ने प्रकाशकों की नब्ज पकड़ ली है. इसलिए मंडल सवर्णों को गाली देते रहते है ताकि पिछड़े और दलितों पर पुस्तक लेखन का मौका मिलते रहे. गजब की मार्केटिंग है. सबलोग इसे समझ नहीं सकते है. ए आदमी जिस तरह समाज में विष बो रहा है इसके खिलाफ तो ऍफ़ आई आर दाखिल होना चाहिए. लानत है ऐसे पत्रकार पर.

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