संजय सिंह की पुस्तक ‘राज-रंग’ का मुम्बई प्रेस क्लब में हुआ विमोचन

दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली के नेशनल ब्यूरो में कार्यरत रक्षा एवं राजनीतिक संवाददाता संजय सिंह की हालिया प्रकाशित पुस्तक राज-रंग (राजनेताओं से अंतरंग बातचीत) का विमोचन मुम्बई प्रेस क्लब के सभागार में समारोहपूर्वक 3 अक्टूबर को सम्पन्न हुआ। पुस्तक का विमोचन देश के ख्यातिलब्ध काटूर्निस्ट और कहानीकार आबिद सुरती, मुम्बई विविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं साहित्यकार करुणा शंकर उपाध्याय, कवि एवं शायर उदय भानु सिंह तथा मुम्बई प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष एवं दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रमुख ओम प्रकाश तिवारी के करकमलों से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर भारी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, साहित्यप्रेमी एवं मित्रगण उपस्थित थे।

मृणाल पाण्डे की कथाकृति ‘हिमुली हीरामणि कथा’ का लोकार्पण

नई दिल्ली। हिमुली हीरामणि कथा की रचना युवाओं के लिए हुई है यदि इसे हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की परंपरा को आगे ले जाने वाली कृति समझा जाता है तो यह मेरे लेखन का सम्मान है। सुप्रसिद्ध कथाकार और पत्रकार मृणाल पाण्डे ने मिरांडा हाऊस में अपनी सद्य प्रकाशित कथा कृति ‘हिमुली हीरामणि कथा’ के लोकार्पण एवं परिचर्चा के अवसर पर कहा कि यह नानी के घर और छठी के दूध के बीच की कथा है। पाण्डे ने परिहास भाव के लगातार विरल होते जाने को चिन्ताजनक बताते हुए कहा कि ऐसे दौर में मैंने बोलियों के बाल्यावस्था के साहित्य को पढ़ा और उस विरल होते परिहास भाव को इस कृति में समेटा है। उन्होंने कहा यह कहानी यथार्थ की कहानी है जिसकी भाषा दादी- नी की कहानियों वाली है।

पत्रकारिता फील्ड में आने वालों, इस किताब को पढ़ लो… फिर न कहना- ‘ये कहां फंस गए हम!’

पत्रकारिता की दुनिया को ‘संजय’ की नजर से देखने-समझने के लिए ‘पत्रकारिता – जो मैंने देखा, जाना, समझा’ को पढें…

वरिष्ठ पत्रकार और उद्यमी संजय कुमार सिंह की पुस्तक “पत्रकारिता – जो मैंने देखा, जाना, समझा“ उन तमाम लोगों के लिए आंख खोलने वाली है, जो आज भी पत्रकारों में बाबूराव विष्णु पड़ारकर या गणेश शंकर विद्यार्थी देखते हैं और जो ग्लैमर से प्रभावित होकर पत्रकारिता को पेशा बनाना चाहते हैं। यह सच है कि चीजें जैसी दिखाई पड़ती हैं, उनको वैसी ही वही मान ले सकता है जिसके पास अंतर्दृष्टि नहीं होगी। पर जिसके पास अंतर्दृष्टि है वह चीजों को उसके अंतिम छोर तक देखता है। चीजें जैसी दिखती हैं, वह उसे उसी रूप में कदापि स्वीकार नहीं करता। चिंतन-मनन करता है और अपनी अंतर्दृष्टि से सत्य की तलाश करता है।

प्रियंका की किताब का खुलासा, बाबा रामदेव इन तीन हत्याओं के कारण बन पाए टाइकून!

Surya Pratap Singh :  एक बाबा के ‘फ़र्श से अर्श’ तक की कहानी के पीछे तीन हत्याओं / मौत के हादसे क्या कहते हैं? अमेरिका में पढ़ी-लिखी प्रसिद्ध लेखिका प्रियंका पाठक-नारायण ने आज देश के प्रसिद्ध योगगुरु व अत्यंत प्रभावशाली व्यक्ति, बाबा रामदेव की साइकिल से चवनप्रास बेचने से आज के एक व्यावसायिक योगगुरु बनने तक की कथा अपनी किताब में Crisp facts / प्रमाणों सहित लिखी है। इस पुस्तक में बाबा की आलोचना ही नहीं लिखी अपितु सभी उपलब्धियों के पहलुओं को भी Investigative Biography के रूप में लिखा है।

अनिल यादव की किताब ‘यह भी कोई देस है महराज’ का अंग्रेजी संस्करण छपा

Dinesh Shrinet : “पुरानी दिल्ली के भयानक गंदगी, बदबू और भीड़ से भरे प्लेटफार्म नंबर नौ पर खड़ी मटमैली ब्रह्मपुत्र मेल को देखकर एकबारगी लगा कि यह ट्रेन एक जमाने से इसी तरह खड़ी है। अब यह कभी नहीं चलेगी। अंधेरे डिब्बों की टूटी खिड़कियों पर पर उल्टी से बनी धारियां झिलमिला रही थीं जो सूखकर पपड़ी हो गई थीं। रेलवे ट्रैक पर नेवले और बिल्ली के बीच के आकार के चूहे बेख़ौफ घूम रहे थे। 29 नवंबर, 2000 की उस रात भी शरीर के खुले हिस्से मच्छरों के डंक से चुनचुना रहे थे। इस ट्रेन को देखकर सहज निष्कर्ष चला आता था – चुंकि वह देश के सबसे रहस्यमय और उपेक्षित हिस्से की ओर जा रही थी इसलिए अंधेरे में उदास खड़ी थी।”

दीपक द्विवेदी की किताब ‘इम्पावरिंग द मार्जिन्लाइज्ड’ का उपराष्ट्रपति ने किया विमोचन

नई दिल्ली। दैनिक भास्कर उत्तर प्रदेश के चीफ एडीटर एवं नागरिक फाउन्डेशन के फाउन्डर प्रेसीडेन्ट दीपक द्विवेदी की पुस्तक इम्पावरिंग द मार्जिन्लाइज्ड का विमोचन उपराष्ट्रपति डा. हामिद अंसारी के आवास पर आयोजित एक समारोह में किया गया श्री द्विवेदी द्वारा लिखित इस पुस्तक में यूनाईटेड नेशन्स् समेत कई राष्टीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा देश के ग्रामीण क्षे़त्रों को विकसित करने के लिए किये जा रहे विभिन्न प्रयासों को रेखांकित किया गया हैं।

माखनलाल पत्रकारिता विवि के प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने भी लिख दी मोदी पर किताब

पुस्तक ‘मोदी युग’ का शीर्षक देखकर प्रथम दृष्टया लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्तुति में धड़ाधड़ प्रकाशित हो रही पुस्तकों में एक कड़ी और जुड़ गई। अल्पजीवी पत्र-पत्रिकाओं के लेखों के साथ ही एक के बाद एक सामने आ रही पुस्तकों में मोदी सरकार की जो अखंड वंदना चल रही है, वो अब उबाऊ …

जस्टिस कर्णन की जीवनी लिखने के लिए दिलीप मंडल को मिले पचास लाख रुपये!

चर्चित पत्रकार दिलीप मंडल के बारे में खबर आ रही है कि वे जस्टिस कर्णन पर किताब लिखेंगे जिसके लिए प्रकाशक ने उन्हें पचास लाख रुपये दिए हैं. दलित समुदाय से आने वाले जस्टिस कर्णन की जीवनी लिखने को लेकर प्रकाशक से डील पक्की होने के बाद दिलीप मंडल अपने मित्रों को लेकर जस्टिस कर्णन से मिलने कलकत्ता गए. आने-जाने, खिलाने-पिलाने का खर्च प्रकाशक ने उठाया. किताब हिदी, अंग्रेजी, तमिल और कन्नड़ में छपेगी. ज्ञात हो कि दिलीप मंडल ने अब अपना जीवन दलित उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है और फेसबुक पर हर वक्त वह दलित दलित लिखते रहते हैं जिसेक कारण उनके प्रशंसक और विरोधी भारी मात्रा में पैदा हो गए हैं.

अखिलेश यादव सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलती विष्णु गुप्त की नई किताब बाजार में आई

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वरिष्ठ पत्रकार और कॉलमनिष्ट विष्णुगुप्त की पुस्तक धमाल मचा रही है। विष्णुगुप्त की पुस्तक का नाम ‘अखिलेश की गुंडा समाजवादी सरकार’ है। इस पुस्तक में अखिलेश यादव की सरकार के पांच वर्ष का लेखा-जोखा है वह भी भ्रष्टाचार की कहानी और वंशवाद के विस्तृत विवरण के साथ में है। पुस्तक लखनउ के साथ ही साथ वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी, कानपुर, मेरठ सहित सभी जगहों पर उपलब्ध है और तेजी से आम जन तक पहुंच रही है।

हिन्दी के चर्चित और चहेते गद्यकार अनिल यादव की नई किताब ‘सोनम गुप्ता बेवफा नहीं है’ बाजार में आई

Siddharth Kalhans : पहली बार किसी ने दस रुपये के नोट पर लिखा होगा, सोनम गुप्ता बेवफा है, तब क्या घटित हुआ होगा? क्या नियति से आशिक, मिज़ाज से अविष्कारक कोई लड़का ठुकराया गया होगा, उसने डंक से तिलमिलाते हुए सोनम गुप्ता को बदनाम करने की गरज से उसे सरेबाजार ला दिया होगा? या वह सिर्फ फरियाद करना चाहता था, किसी और से कर लेना लेकिन सोनम से दिल न लागाना।

अनिल यादव