फैजाबाद। दूसरों की सहायता और समस्याओं को उठाने वाले अमर उजाला के फैजाबाद शहर के रिपोर्टरों की कोई नहीं सुन रहा है। पिछले तीन दिनों से सभी रिपोर्टर विभिन्न समस्याओं को लेकर कलम बंद हड़ताल पर हैं। इसकी सूचना लखनऊ और नोयडा तक बैठे बड़े अधिकारियों के पास पहुंची है। लेकिन फैजाबाद में कलम बंद हड़ताल करने वाले पत्रकारों से वार्ता या उनके दुख-सुख की जानकारी लेने कोई नही पहुंचा है।
समझा जाता है कि फैजाबाद में गुटबाजी को लेकर यह अचानक हड़ताल हुई है। यहां के पत्रकारों का कहना है कि पिछले 6 साल से एक रुपया मानदेय नहीं बढ़ाया गया है। मंहगाई पर आए दिन खबरें लिखते हैं लेकिन उनकी खुद की माली स्थिति और बढ़ी हुई मंहगाई से दूभर हुए जीवन को संस्थान नहीं देख रहा है। बताया जाता है कि हड़ताल से खबरों पर असर हुआ है। शहरी पत्रकारों के समर्थन में कई ग्रामीण पत्रकार भी चुपके से साथ आए हैं। खबरों की संख्या में गिरावट हुई है। लेकिन पत्रकारों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ दूसरे पत्रकार संगठन सामने नहीं आ रहे हैं।
फैजाबाद जिले के अमर उजाला कार्यालय में कल भी सारे स्टाफ के लोगों ने कार्य बहिष्कार कर हड़ताल कर दिया। सारे स्टाफ के लोग कार्यालय के बाहर आ गए। स्टाफरों का आरोप है कि 6 साल से मानदेय नहीं बढ़ाया गया। कोई पहचान पत्र नहीं दिया गया है। काम अधिक लिया जा रहा है। जब तक सम्पादक मानदेय नहीं बढ़ाएंगे तब तक कार्य बहिष्कार करते रहेंगे।
चर्चा है कि फैजाबाद के वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा गुपचुप रूप से बाहरी पत्रकारों से खबर लेने का सिलसिला शुरू किया गया है, ताकि संस्थान को उनकी कमी न महसूस होने दिया जाए। लेकिन ऐसे लोग यह नहीं समझते हैं कि संस्थान किसी का नहीं होता है। आज उनके साथ है तो कल किसी और के साथ होगा। छोटे पत्रकारों का मानदेय बढ़ाया जाय, इसके लिए सभी को मिलजुल कर सामने आना चाहिए। चर्चा है कि एक दो दिन बाद हड़ताली पत्रकार धरना प्रदर्शन भी कर सकते हैं। इस समय फैजाबाद में अमर उजाला में गुटबाजी भी काफी तेज है। यहां की सूचना लखनऊ में बैठे नए सम्पादक के पास जाने से भी रोकी जा रही है, ऐसी जानकारी मिली है। संपादक और प्रबंधन को पत्रकारों की समस्याओं को ध्यान से सुनना चाहिए।
फैजाबाद से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.