Connect with us

Hi, what are you looking for?

दिल्ली

जंतर-मंतर संदेश : चुनाव हुए तो आम आदमी पार्टी दिल्ली में चालीस से पचास सीटें जीतेगी

3 अगस्त को दिन में तीन बजे मुझे जंतर मंतर पहुंचना ही था, सो पहुंचा. इसलिए नहीं कि मैं इस पार्टी का कोई नेता हूं, कोई कार्यकर्ता हूं या कोई पद पाने या कोई इलेक्शन लड़ने का आकांक्षी हूं. सिर्फ इसलिए कि इस देश को कांग्रेस और भाजपा का विकल्प मिलना चाहिए. कम्युनिस्टों ने गल्तियां करके खुद को तो नष्ट किया ही, कांग्रेस-भाजपा के विकल्प के स्पेस को भी नष्ट किया. ऐसे में आम आदमी पार्टी का उदय बड़ी परिघटना है. छोटे स्तर पर ही सही, दिल्ली जैसे छोटे राज्य में ही सही, आम आदमी पार्टी का फिर से खड़े होना और छा जाना बड़ी बात है. यह 3 अगस्त की 3 बजे वाली रैली ने साबित किया. मैं जब जंतर मंतर पहुंचा तो अरविंद केजरीवाल को साक्षात देखने की खातिर मुख्य मंच की ओर बढ़ने लगा तो भीड़ के किनारे किनारे चलता रहा चलता रहा चलता रहा, रास्ता खत्म ही ना हो.

भीड़ के आ-जा रहे रेले से होकर आगे सरक पाना मुश्किल हो रहा था. पसीने और प्यास से सराबोर हो गया. आम आदमी पार्टी के वालंटियर पानी के पैकेट बांट रहे थे. मैं भी लपका और एक छोटा सा पानी का पाउच ले लिया. यह कहते हुए पीना शुरू किया कि, चलकर फेसबुक पर लिखूंगा- ‘हां, मैंने, आम आदमी पार्टी का पानी पिया है, नमक नहीं खाया है’. इतना सुनते ही मेरे साथ चल रहे पत्रकार मित्र अजय ठठाकर हंसे. उस उमस, पसीना, थकान में यह आम पानी वाकई किसी टानिक सरीखा काम आया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिर हम लोग चल पड़े. सरकना जारी रहा, चीटियों की तरह, एक दूसरे से सट-सट कर, रेलमपेल के बीच धक्कम-मुक्कम करते हुए. मुख्य मंच दिखा लेकिन वो अभी दूर था. चलते रहे हम लोग. जाने कितनी बड़ी दूरी हो गई थी कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी. जिधर देखो उधर आदमी. पेड़ पर, जमीन पर, सड़क पर, मकान पर, साइड में… हर तरफ सिर्फ आम आदमी पार्टी की टोपी लगाए लोग. जंतर-मंतर का पूरा इलाका शुरू से लेकर आखिर तक जनसैलाब से पटा पड़ा था. जंतर-मंतर के अगल-बगल की सड़कें रैली में लगातार आ रहे ‘आप’ टोपीधारियों की भीड़ के रेलमपेल और नारेबाजी से गुंजायमान थी. जंतर मंतर आयोजनस्थल और इसके अगल-बगल की सड़कों पर इस कदर भीड़ और बेहद सफल रैली देखकर मैं खुद अवाक था. मुझे भी नहीं उम्मीद थी कि मोदी की मार से कराह रही ‘आप’ को इतनी जल्दी ऐसा जनसमर्थन रूपी संजीवनी मिल जाएगी. मुझे अंदाजा नहीं था कि आम लोग मोदी से इतनी जल्दी मोहभंग के शिकार होकर केजरीवाल को फिर सिर आंखों पर बिठा लेंगे. मोदी की लफ्फाजियों के चक्कर में पड़कर उन्हें वोट देने वाली जनता बस दो महीने में ही जान गई कि झूठ और झांसे के मामले में वाकई मोदी-बीजेपी का कोई विकल्प नहीं. कांग्रेस जितना खराब शासन छोड़कर सत्ता से बाहर हुई उससे भी खराब शासन देकर मोदी ने अपने सत्ता के सफर का श्रीगणेश किया है…. केजरीवाल की कांग्रेस और भाजपा के बारे में कही गई एक-एक बात इतनी जल्दी जनता के समझ में आ जाएगी, ये अपन को नहीं अंदाजा था.

सोचने लगा कि इस जबर्दस्त रैली की कवरेज में तो मीडिया टूट पड़ेगा. हां, मौके पर मीडिया की भीड़ तो थी. लेकिन जब घर आकर न्यूज चैनलों को खंगाला तो वहां यह रैली अंडरप्ले की गई थी. छिटपुट एकाध खबर, फटाफट न्यूज टाइप में. लगा, मुख्यधारा मीडिया सच में कार्पोरेट के एजेंडे से संचालित हो रही है और अभी तक मोदी गान से मुक्त नहीं हो पाई है. आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता Swapnil Kumar इस बारे में कहते हैं:  ”आज मीडिया ने ‘आप’ की रैली को भरपूर कवर ना कर अपने आकाओं के आदेश का पालन बखूबी किया. मीडिया ने आज स्‍पष्‍ट तौर पर बीजेपी के सहायक के रूप में काम किया.”

Advertisement. Scroll to continue reading.

निजी तौर पर मुझे जंतर-मंतर की ‘आप’ की रैली देखकर लगा कि जनता जाग चुकी है. खासकर दिल्ली की जनता ने तो अपना मन बना लिया है. मैं दावे से कह सकता हूं कि जब भी चुनाव होगा, दिल्ली में चालीस से पचास विधानसभा सीटें आम आदमी पार्टी के खाते में जाएगी. अरविंद केजरीवाल अब पूरी तरह बहुत बड़े ब्रांड, बहुत बड़े नेता बन चुके हैं. उनकी पार्टी में कोई उनका साथ छोड़े या रहे, इससे अरविंद केजरीवाल की ब्रांड इमेज और पार्टी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. जनता को सिर्फ एक नाम पता है, वो है अरविंद केजरीवाल. लोगों को अब एक मात्र उम्मीद की किरण अरविंद केजरीवाल दिख रहे हैं.

जंतर मंतर पर जनसैलाब देखकर मैं पूरी तरह आश्वस्त हो गया कि देश को देर-सबेर एक शानदार विकल्प मिलेगा, जिसकी शुरुआत दिल्ली प्रदेश में आम आदमी पार्टी द्वारा सरकार बनाकर की जाएगी. जैसे मोदी गुजरात के रास्ते केंद्र की सत्ता तक पहुंचे, उसी तरह केजरीवाल दिल्ली प्रदेश की सत्ता लेकर और उसके प्रभाव को आगे बढ़ाकर केंद्र तक पहुंच सकते हैं. कुछ लोगों को मेरी बात मुंगेरी लाल के हसीन सपने सरीखे लग रहे होंगे लेकिन जिन्हें जनता की नब्ज और राजनीति की दशा-दिशा पता है, वो समझ सकते हैं कि केजरीवाल भविष्य की राजनीति का केंद्र बिंदु है. या तो आपको केजरीवाल का साथ देना होगा या उसके खिलाफ खड़ा होना होगा. आप बीच बचाव की स्थिति में नहीं रह सकते. केजरीवाल जैसे लोग मुल्क की कार्पोरेट के बल खड़ी सरकार सत्ता को जनता के बल खड़ी कर पाएं तो ऐतिहासिक परिघटना होगी. लेकिन पूंजीवाद का छलिया रूप महान है. कल को अगर पता चला कि केजरीवाल कार्पोरेट के नए चेहरे हो गए तो इस देश के लोगों को गहरा आघात लगेगा. वैसे, आघातों और मारों की आदी भारतीय जनता के लिए दर्द, दुख, दगाबाजी झेल लेना कोई नई बात नहीं. और हां, नई उम्मीदे भी पाल लेना कोई बड़ी बात नहीं. सो, यह भरोसा और ना-उम्मीदी के खोल में लोकतंत्र नामक खेल चलता रहेगा और इसकी ओट-आड़ में देश-विदेश के पूंजी-कार्पोरेट घराने दिन दूनी रात चौगुनी गति से फलते-फूलते रहेंगे. जैजै

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक यशवंत सिंह भड़ास4मीडिया के एडिटर हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए कर सकते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement